मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर राजनीतिक कारणों से अपनी ही घोषणा से ऐसे असहज हुए कि खुद की घोषणा को तीन साल तक जुमला बताकर ठंडे बस्ते में डालते रहे : विद्रोही
जब एक भी जमीन मालिक किसान को एम्स के नाम पर रजिस्ट्री करवाने में आपत्ति नही है तो सरकार कोई अन्य कानूनी रास्ता निकालकर उक्त जमीन को एम्स के नाम करवाने से क्यों भाग रही है? विद्रोही
माजरा एम्स शिलान्यास में रोडे अटकाने से बाज आये नही तो स्वयं उन्हे व भाजपा को इसका भारी खामियाजा भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए : विद्रोही

30 नवम्बर 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर से आग्रह किया कि वे माजरा एम्स निर्माण पर श्रेय लेने की अहीरवाल के साथ राजनीतिक द्वेष-भेदभाव की औच्छी-गंदी राजनीति करने से बाज आये और एम्स का शिलान्यास जल्दी करने के रास्ते में रोड़े अटकाने से भी बाज आये। विद्रोही ने आरोप लगाया कि 5 जुलाई 2015 को बावल की एक सभा में मनेठी में एम्स बनाने की घोषणा करने के साथ ही मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर राजनीतिक कारणों से अपनी ही घोषणा से ऐसे असहज हुए कि खुद की घोषणा को तीन साल तक जुमला बताकर ठंडे बस्ते में डालते रहे। जब अहीरवाल के जागरूक लोगों ने मनेठी में एम्स बनाने की घोषणा को जमीने पर उतारने खातिर अगस्त-सितम्बर 2018 में सडकों पर जनआंदोलन शुरू किया तो लोकसभा चुनावों के मध्यनजर भाजपा सरकार एम्स निर्माण को मजबूर हुई और 28 फरवरी 2019 को मोदी केबिनेट ने 1299 करोड़ रूपये की लागत से बनने वाले मनेठी एम्स को मंजूरी तो दी, लेकिन आज तक एम्स का शिलान्यास तक नही हुआ और किन्ही न किन्ही कारणों से एम्स निर्माण में रोड़े अटकते रहे।
विद्रोही ने कहा कि अब जब हरियाणा सरकार की शर्तो अनुसार माजरा के किसानों ने करोडो रूपये का व्यक्तिगत नुकसान उठाकर एम्स निर्माण के लिए 189 एकड़ जमीन एम्स के नाम पर करवा दी और केन्द्रीय स्वास्थ्य विभाग ने विधिवत रूप से इस जमीन पर कब्जा भी ले लिया तो 7 नाबालिगों व दो एनआईआर सहित 14 लोगों की थोडी सी बची जमीन की रजिस्ट्री को तकनीकी बहाना बनाकर एम्स शिलान्यास में रोड़े अटकाना अनुचित व द्वेषपूर्ण राजनीति नही तो क्या है? जिन 14 लोगों की लगभग 21 एकड जमीन एम्स के नाम पर नही हुई, वे भी एम्स के लिए जमीन देने को तैयार है। कुछ तकनीकी कारणों से यदि रजिस्ट्री नही हो रही है तो हरियाणा सरकार अपने विशेष अधिकारों का प्रयोग करके इस जमीन के टुकडों की रजिस्ट्रीया एम्स के नाम पर क्यों नही करवाती, क्योंकि बचे हुए 14 लोगों के भी परिवारजन शेष जमीन की रजिस्ट्री पहले ही एम्स के नाम पर करवा चुके है।
विद्रोही ने कहा कि जब एक भी जमीन मालिक किसान को एम्स के नाम पर रजिस्ट्री करवाने में आपत्ति नही है तो सरकार कोई अन्य कानूनी रास्ता निकालकर उक्त जमीन को एम्स के नाम करवाने से क्यों भाग रही है? भाजपा सरकार का रवैया बताता है कि किन्ही अज्ञात राजनीतिक कारणों से मुख्यमंत्री खट्टर जान-बूझकर तकनीकी अड़चनों के बहाने एम्स शिलान्यास करने में रोड़ा अटका रहे है। विद्रोही ने मुख्यमंत्री खट्टर को चेतावनी दी कि या तो वे अपनी औच्छी हरकतों से बाज आकर माजरा एम्स शिलान्यास में रोडे अटकाने से बाज आये नही तो स्वयं उन्हे व भाजपा को इसका भारी खामियाजा भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए। अब अहीरवाल की जनता एम्स शिलान्यास मेें और अधिक देरी बर्दास्त करने को तैयार नही।