भाजपा नेताओं के मतदान के बाद से लेकर हाल तक यही ताजा बया सुबह भाजपा की सोशल मीडिया पर डाली गई क्लिपिंग अचानक गायब सबसे बड़ा सवाल मधु सारवान और भाजपा दोनों ही क्या अलग-अलग पार्टी सिंबल पर ही मधु सारवान को पार्टी संगठन ने हीं चुनाव लड़वाया दावा है कि सबसे बड़ी पार्टी, हर बूथ मजबूत और पन्ना प्रमुख की फौज भाजपा में जयचंद के कारण जजपा जीती, बयान नेताओं के गले की फास भाजपा में अलग-अलग नेताओं की अपनी ढपली और अपना-अपना राग फतह सिंह उजाला गुरुग्राम । दक्षिणी दिल्ली के साथ लगता साइबर सिटी गुरुग्राम और इसी जिला गुरुग्राम में गुरुग्राम और मानेसर नगर निगम के अलावा अब दो सब डिवीजन पटौदी सहित मानेसर भी मौजूद हैं । जिला गुरुग्राम साइबर सिटी , देश ही नहीं दुनिया में विभिन्न कारणों से अपनी मजबूत पहचान बनाए हुए हैं । यहां पर कोई भी औद्योगिक गतिविधि हो विकास के कार्य हो, चुनाव हो या फिर राजनीतिक उठापटक । ऐसे में पूरे प्रदेश देश और दुनिया की नजरें यहां पर टिके रहना स्वाभाविक बात है। लेकिन जिस प्रकार से हाल ही में गुरुग्राम जिला परिषद के चुनाव जिला भाजपा इकाई और गुरुग्राम भाजपा चुनाव समिति के द्वारा पार्टी सिंबल पर लड़वाने का फैसला किया गया । वह कहीं न कहीं आनन-फानन में लिया गया फैसला और पार्टी के राजनीतिक नजरिए से बेहद चिंतन और मंथन का कारण बना हुआ है । यह बात कहने में कतई भी संकोच नहीं है कि मतदान होने के अगले दिन ही एक ऐसे नेता के द्वारा बयान दिया गया जिसके द्वारा सबसे पहले दावा किया गया कि जिला परिषद चुनाव और जिला परिषद चेयरमैन का चुनाव पार्टी सिंबल पर ही लड़ने का फैसला जल्द किया जाएगा । इसी कड़ी में सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भाजपा पंचायती राज प्रकोष्ठ के जिला सह संयोजक सुंदरलाल से भी अलग नहीं मानी जा सकती है । इसके अलावा सरपंच सुंदर लाल यादव गुरुग्राम ब्लॉक सरपंच एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं । सवाल यह है कि ऐसे क्या कारण रहे कि भाजपा नेताओं को अब यह बात मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक तौर से कहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, कि भाजपा में ही कुछ जयचंद के कारण भाजपा की चेयरमैन पद की उम्मीदवार मधु सारवान को पराजय का मुंह देखना पड़ा ? यहां सीधा ,कड़वा सवाल यही है कि मधु सारवान को तो भाजपा नेताओं के द्वारा हार के पाले में धकेल दिया गया ? ऐसा क्या कारण और कौन सी मजबूरी है जो एक भी भाजपा नेता यह कहने का साहस नहीं जुटा पा रहा की गुरुग्राम जिला परिषद चेयरमैन का चुनाव देश और दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी ही हारी है । इसका मुख्य कारण यही है कि भाजपा के जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर तक के नेता यह दावा करते आ रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी देश और दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी और संगठन है। इस पार्टी का ग्रास रूट पर इस हिसाब से विस्तार किया गया है कि प्रत्येक पोलिंग बूथ पर भी अधिकारी नियुक्त किए गए हैं , इससे एक कदम और आगे बढ़ कर पन्ना प्रमुख तक की भी नियुक्ति की गई है । पन्ना प्रमुख का सीधा तात्पर्य यही है कि संबंधित गांव वार्ड की जो भी मतदाता सूची होती है , उस सूची में दर्ज एक-एक मतदाता के विषय में पन्ना प्रमुख को हर प्रकार की जानकारी भी रहती है । कुल मिलाकर सीधी और साफ बात यही है कि जननायक जनता पार्टी के नेता और विधानसभा चुनाव लड़ चुके पूर्व जिला पार्षद दीपचंद की पुत्री दीपाली चौधरी के द्वारा गुरुग्राम जिला परिषद चेयरमैन पद पर भारतीय जनता पार्टी को सीधे 1780 वोटों से करारी शिकस्त दी गई है । अब इसके पीछे भाजपा नेताओं के द्वारा यह तर्क सहित सार्वजनिक बयान दिए जा रहे हैं कि भाजपा में ही कुछ जयचंद के कारण मधु सारवान को पराजय का मुंह देखना पड़ा है ? इसमें मधु सारवान का क्या कसूर हो सकता है ? मधु सागवान को तो भारतीय जनता पार्टी की जिला निर्वाचन इकाई क्षेत्र के विधायक और स्वयं भाजपा जिला अध्यक्ष की सिफारिश पर ही टिकट देकर अपना अधिकृत उम्मीदवार घोषित किया गया । जहां तक पार्टी के इस उम्मीदवार की बात की जाए तो कथित रूप से इतने बड़े जिले और महत्वपूर्ण राजनीतिक केंद्र वाले गुरुग्राम में जब पंचायत के चुनाव भी होते हैं , तो ऐसे में चुनाव के लिए वह चेहरे सामने आते हैं या लाए जाते हैं , जिनकी सीधी सीधी मतदाताओं के बीच में पकड़ और लंबे समय से पहचान सहित आना-जाना भी लगा रहा हो। चुनाव प्रचार पर गौर किया जाए तो कथित रूप से भाजपा की जिला अध्यक्ष की मौजूदगी वार्ड नंबर 9 में दिखाई नहीं दी । मानेसर मंडल, पटौदी मंडल, जाटोली मंडल, हेली मंडल, यह वैसे नाम है जोकि सीधे-सीधे भारतीय जनता पार्टी के ही कार्यकर्ताओं के ग्रास रूट के संगठन हैं । अब जब भाजपा के ही नेताओं के द्वारा जिला परिषद चुनाव में चेयरमैन पद पर हार का ठीकरा भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर सीधा मधु सारवान के पल्ले बांध दिया गया ? तो सवाल उठने भी स्वभाविक है । पार्टी संगठन और नेताओं को सबसे पहले इस बात पर चिंतन और मंथन करने की आवश्यकता है जब हर बूथ पर 10 यूथ का टारगेट लेकर भारतीय जनता पार्टी हर चुनाव में उतरती है और वोटर को घर से मतदान केंद्र तक लाने की जिम्मेदारी भी भाजपा के ही पन्ना प्रमुख के पास रहती है । तो फिर ऐसे में जयचंद तलाश करने के लिए किसी दूसरे घर या दूसरी पार्टी या अन्य संगठन में झांकने की कोई जरूरत भी बाकी नहीं बची हुई दिखाई दे रही ? जहां तक बिना नाम लिए यह बात कही जा रही है कि भाजपा के ही कुछ जयचंद ओं के कारण मधु सारवान को हार का मुंह देखना पड़ा । तो ऐसे में इस बात से कतई भी इनकार नहीं, ब्यान देने वाले नेताओं को अच्छी तरह से मालूम है कि मौजूदा चुनाव बेशक से भारतीय जनता पार्टी ने जिला परिषद चेयरमैन से लेकर सभी वार्डों में पार्टी सिंबल पर लड़े हो । लेकिन नेताओं के जो भी समर्थक और कार्यकर्ता रहे , इस बात की क्या भारतीय जनता पार्टी के नेता गारंटी ले सकते हैं या फिर दावा कर सकते हैं कि अलग-अलग उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने वाले कार्यकर्ता निश्चित ही भारतीय जनता पार्टी के अधिकृत सदस्य भी हैं, या नहीं है ? दूसरी और कथित रूप से जिस प्रकार से चुनाव प्रचार के दौरान मधु सारवान के मुकाबिल अन्य महिला उम्मीदवारों और उनके परिजनों को लेकर खुले तौर पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते हुए आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने की चुनौती दी गई ? ऐसे में यही महसूस किया जा सकता है कि जिस प्रकार से आनन-फानन में भाजपा संगठन के द्वारा गुरुग्राम जिला परिषद चेयरमैन पद के लिए उम्मीदवार का चयन किया गया , वह चयन बहुत देर से तथा आनन-फानन में किया गया । दूसरी ओर हार का अंतर लगभग 18 से वोट का बनता है । अब इस बात की भी क्या गारंटी है कि इन सभी अट्ठारह सौ मतदाताओं में महिला वर्ग शामिल नहीं रही होंगी ? या फिर इस बात की भाजपा संगठन और नेता गारंटी ले सकते हैं यह सभी अट्ठारह सौ वोट निश्चित रूप से पुरुष वर्ग या युवा वर्ग के द्वारा ही मतदान किए गए । जोकि जिला परिषद प्रमुख पद के लिए हार और जीत का अंतर बने हैं । बरहाल जिला परिषद गुरुग्राम का चुनाव परिणाम आ चुका है। लेकिन भाजपा संगठन और भाजपा नेताओं के सामने अभी पटोदी पंचायत समिति के चुने गए सदस्यों में से अपनी ही विश्वासपात्र या अपनी ही पार्टी के किसी भी पंचायत समिति सदस्य को ही चेयरमैन बनाने की खुली चुनौती सामने है ? अब भाजपा नेताओं और संगठन को इस बात पर गंभीरता से ध्यान देते हुए चिंतन और मंथन करना चाहिए कि भाजपा के ही निष्ठावान समर्पित पंचायत समिति सदस्य को चेयरमैन के पद पर पहुंचाया जाए। कहीं यह ना हो कि जिस प्रकार से जयचंद बोलकर आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं? ऐसे आरोप-प्रत्यारोप की झड़ी के बीच ताजपोशी किसी अन्य नेता समर्थक या पार्टी के कार्यकर्ता के सिर पर भी हो सकती है। Post navigation वंचित तबके का प्रतिनिधित्व कर रहे पटौदी विधायक से कांग्रेस नेत्री का बड़ा सवाल महिला सशक्तिकरण को लेकर हरियाणा सरकार ने शुरू की नई योजना : डीसी