आयुष्मान भारत योजना आमजनों को मुफ्त इलाज के लिए या राजनीतिक इवेंट ? विद्रोही

आयुष्मान भारत योजना के जो गोल्डन कार्ड अस्पतालों में नियमित ढंग से बनाये जा सकते थे, उनको बनाने के नाम पर करोडों रूपये का सरकारी धन बर्बाद करके इवेंट नौटंकी करने की क्या जरूरत थी? विद्रोही
गोल्डन कार्ड बाटने के नाम से इंवेट करके चिकित्सा सेवाओं को अप्रत्यक्ष रूप से ठप करने की क्या आवश्यकता थी? विद्रोही

22 नवम्बर 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर से सवाल किया कि 21 नवम्बर सोमवार को पूरे हरियाणा मेें आयुष्मान भारत योजना नाम पर मंत्रीयों, सांसदों द्वारा प्रदेश के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में गोल्डन कार्ड बाटने के नाम से इंवेट करके चिकित्सा सेवाओं को अप्रत्यक्ष रूप से ठप करने की क्या आवश्यकता थी? विद्रोही ने कहा कि जिन सरकारी डाक्टरों को आमजनों की बीमारी का ईलाज करना चाहिए था, वे सोमवार को पूरे दिन गोल्डन कार्ड बाटने की इवेंट नौटंकी में व्यस्त रहे और सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए जाने वाले मरीज परेशान होकर इधर-उधर भटकते रहे। सवाल उठता है कि भाजपा सरकार ने आयुष्मान भारत योजना आमजनों को मुफ्त इलाज के लिए शुरू की थी या राजनीतिक इवेंट करके लोगों की वोट हडपने का कुप्रयास के लिए की थी? यदि आयुष्मान भारत योजना लोगों को मुफ्त इलाज देने के लिए है तो इसके नाम पर राजनीति इवेंट करके वोट हडपने का कुप्रयास क्यों? 

विद्रोही ने कहा कि 21 नवम्बर को आयुष्मान भारत योजना के गोल्डन कार्ड बाटने के नाम पर प्रदेशभर में इवेंट हुई, उसकी तैयारी में ही स्वास्थ्य विभाग के डाक्टर विगत सात दिनों से लगे रहे जिसके चलते सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुई और 21 नवम्बर के इवेंट के चलते पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं व सरकारीे प्रशासन लगभग ठप रहा। जिन डाक्टरों को मरीजों के इलाज में व्यस्त होना चाहिए था, वे गोल्डन कार्ड इवेंट व नेताओं की आवभगत में लगे रहे और जिन प्रशासनिक अधिकारियों को अपने कार्यालयों में बैठकर जनसुविधाओं को निपटाने में लगना चाहिए था, वेे भी नेताओं की वोट बैंक इवेंट गोल्डन कार्ड नौटंकी की व्यवस्थाओं में व्यस्त रहे। आमजन व मरीज अपनी-अपनी समस्याओं के लिए सोमवार को पूरे प्रदेश मेें योहि भटकते रहे। विद्रोही ने सवाल किया कि आयुष्मान भारत योजना के जो गोल्डन कार्ड अस्पतालों में नियमित ढंग से बनाये जा सकते थे, उनको बनाने के नाम पर करोडों रूपये का सरकारी धन बर्बाद करके इवेंट नौटंकी करने की क्या जरूरत थी?

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