आवाज मौसम की’ (गीत संग्रह ), ‘ठहरे हुए समय में -कुछ प्रेम कवितायें’ एवं ‘कुछ दोहे इस दौर के ‘(दोहा संग्रह) का हुआ लोकार्पण
सुरुचि परिवार ने किया साहित्यिक आयोजन

गुरुग्राम – सुरुचि साहित्य कला परिवार के तत्त्वावधान में रविवार 20 नवम्बर, 2022 को सायं 3:30 बजे से सी.सी.ए. स्कूल, सेक्टर-4, गुरुग्राम में लोकार्पण समारोह, पुस्तक चर्चा एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें प्रख्यात साहित्यकार डॉ. राजेंद्र गौतम की तीन पुस्तकों को लोकार्पित किया गया I ‘आवाज मौसम की’ (गीत संग्रह ), ‘ठहरे हुए समय से -कुछ प्रेम कवितायें’ एवं ‘कुछ दोहे इस दौर के ‘(दोहा संग्रह ) के लोकार्पण के बाद वक्ताओं ने प्रमाणिकता के साथ संग्रह के सम्बन्ध में अपने विचार प्रस्तुत किये I

कार्यक्रम की अध्यक्षता दूरदर्शन के पूर्व निदेशक अमरनाथ ‘अमर ‘ ने की जबकि ग़ज़लकार विज्ञान व्रत , साहित्यकार अलका सिन्हा ,गीतकार वेद प्रकाश शर्मा एवं डॉ राजेंद्र गौतम मंच पर विराजमान थे I कार्यक्रम का सहज संचालन मदन साहनी ने किया I अतिथिगण द्वारा दीप प्रज्जवलन से विधिवत कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ I संस्था अध्यक्ष डॉ. धनीराम अग्रवाल ने जहाँ संस्था का संक्षिप्त परिचय दिया, वहीं अतिथिगण का शाब्दिक स्वागत किया I

वेद प्रकाश शर्मा ने ‘आवाज मौसम की ‘ संग्रह के विषय में अपनी बात रखी I उनके गहन अध्ययन, गीतों की समझ एवं सामर्थ्य की उन्मुक्त कंठ से सराहना की गयी I उन्होंने कहा इसमें प्रकृति के त्रास और सौन्दर्य दोनों पक्षों की रचनायें हैं I आरोह,अवरोह और क्रम का ध्यान रखते हुए सन्दर्भ के साथ जोड़कर गीत के प्रति न्याय करने में सहज व स्वाभाविक रचनाकार डॉ. गौतम सफल हुए हैं I नाद सौंदर्य और बिम्ब प्रभावशाली बन पड़े हैं I गीतों में प्रेम की शुचिता सराहनीय है I रचनाकार गीतों में डूबा हुआ तो दिखायी देता है, परन्तु रचना पर हावी नहीं होता I रचनाओं में डॉ. गौतम का समग्र अनुभव उभर कर आया है I

विज्ञान व्रत ने दोहा संग्रह ‘कुछ दोहे इस दौर के’ के विषय में अपनी बात रखी I उन्होंने कहा कि ‘झरबेरी’ , ‘कोथड़ी’ , ‘पाड़ा’ जैसी शब्दावली का प्रयोग कर रचनाकार ने नयी पीढ़ी पर उपकार किया है I संग्रह से एक दोहा उद्धृत करते हुए उनकी आँखें नम हो गयीं I “पाकर माँ की कोथड़ी, भूल गयी सब क्लेश I मन पीहर में जा बसा , तन था इस देश I” उन्होंने कहा डॉ गौतम ने बीते समय को अपनी कविताओं में जिया है I वर्षों महानगरीय जीवन जीने के बावजूद गाँव से उनके जुड़ाव और उससे उपजी, रची-बसी संवेदनाओं के लिए वो बधाई के पात्र हैं I

अलका सिन्हा ने ‘ठहरे हुए समय में’ कविता संग्रह के विषय में अपनी बात रखते हुए कहा सिद्धहस्त समीक्षक, भाषाविद डॉ. गौतम ने बीत चुके समय को बटोरने-टटोलने का प्रयास इन प्रेम कविताओं में बखूबी किया है, जिसमे आज का सन्दर्भ भी है और व्यवहारिकता भी I संग्रह को दो खंडो में बाँटा गया है- ‘कुछ खुला-खुला’ और ‘कुछ बँधा- बँधा’ I दोनों खंडों के भाषागत, शैलीगत व विषयगत बदलाव को महसूस किया जा सकता है I एक तरफ नैसर्गिक प्रेम है तो दूसरी तरफ लौकिक प्रेम I कविताओं में शब्दों का गुंफन , शैली और संवाद देखते बनता है I उनकी एक पंक्ति देखिये , ” वो भी दिन थे जब छूने से मैले होते थे ख्वाब “

त्रिलोक कौशिक ने कहा ऐसा प्रतीत होता है कि ‘ठहरे हुए समय में’ संग्रह की कवितायें रचनाकार ने पर काया में प्रवेश कर लिखी हैं I भाषा प्रमाणिक है, जो सहज रूप से विकसित हुई है I

डॉ राजेंद्र गौतम ने अपनी बात रखते हुये कहा कि मैंने ईमानदारी से कविता लिखने की कोशिश की है I अपने अनुभव को वाणी देने की कोशिश की है I सामाजिक दायित्व से बचने का प्रयास मैंने नहीं किया है I उनकी कविता “तुम हमारी जान ले लो , बहुत सस्ती मिलेगी ” को श्रोताओं ने खूब सराहा I

अमरनाथ ‘अमर’ ने अध्यक्षीय उदबोधन देते हुए जहाँ वक्ताओं के गहराई और बारीकी से किये गए अध्ययन, रचनाओं के मूल्यांकन व सार्थक अभिव्यक्ति की सराहना की, वहीं पुस्तक की सारगर्भित भूमिका के लिए डा गौतम की शिष्या डा कुसुम सिंह को भी बधाई दी I उन्होंने डॉ गौतम के रचना संसार की विविधता, बिम्ब, सौंदर्य बोध, अभिव्यक्ति, संवेदात्मक सन्दर्भ और गांव की मिट्टी से जुड़ाव की उन्मुक्त कंठ से सराहना की I उन्होंने नयी पीढ़ी को सार्थक मंच प्रदान करने , साहित्य के विशाल जन-समुदाय को जोड़ने के लिए सुरुचि साहित्य कला परिवार के पदाधिकारियों व सदस्यों को साधुवाद दिया I उदबोधन के साथ उनकी प्रेरक कविता ” बेशक रात का सन्नाटा … ” का भी श्रोताओं ने कर्तल ध्वनि से अभिनन्दन किया I

पुस्तक चर्चा के बाद अनिल श्रीवास्तव, राजपाल यादव , मंजू भारती , मेघना शर्मा , सुषमा सिंह , कुसुम सिंह , राजेश प्रभाकर ,रेवती रमण राय , बिमलेन्दु सागर , शंकर भारती , महेन्द्र लूथरा , हरीन्द्र यादव , वीणा अग्रवाल , मदन साहनी सहित लगभग 15 कवियों ने काव्य पाठ किया I

इस अवसर पर डा आर .पी. सिंह , कर्नल कँवर प्रताप सिंह , निर्मल यादव, आर.एस. पसरीचा, रजनेश त्यागी, रविन्द्र यादव, नरोत्तम शर्मा, प्रंमेश शर्मा, भावना सहित नगर के कई गणमान्य महानुभाव व साहित्य प्रेमी उपस्थित थे I

error: Content is protected !!