हमारे लिए लिखना जरुरी क्यू हैं? सागर की बड़ी –बड़ी लहरें आपको उन्माद से भर जाती हैं। आप लहरों संग ऊपर –नीचे करने लगते हो। समुद्र में उतरने से ही पहले।ऐसे में भला कहां समझ आता हैं कि जाएं या न जाएं। कानों में अलग-अलग आवाज़ें कैद होती रहती हैं और मचलने लगता है मन, कि चलो। अब तो चलना ही है । सार्थक रूप से बात करने या लिखने के लिए अनुभव और जीवन सीखने से प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। प्रत्यक्ष अनुभव भी स्मृति में उकेरा जाता है और कोई भी वास्तव में पाठकों को अनुभव के बारे में विश्वास दिला सकता है। -प्रियंका सौरभ सभी लेखक और लेखक अक्सर अपने स्वयं के जीवन के अनुभवों के बारे में लिखते हैं। जीवन के अनुभव की कमी के कारण, कोई अर्थपूर्ण ढंग से नहीं लिख सकता या दर्शकों को बांध नहीं सकता। युद्ध में जाने का अनुभव इसके बारे में पढ़ने से अलग है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जो व्यक्ति कभी सेना में नहीं रहा वह युद्ध के बारे में नहीं लिख सकता। हालाँकि, कुछ पाठकों की नज़र में उनमें विश्वसनीयता की कमी हो सकती है। लेखक हो या कोई भी, जीवन में कुछ चीजों का अनुभव किए बिना हम उसके बारे में सार्थक रूप से याद नहीं कर सकते/लिख नहीं सकते और उसे दुनिया को बताना व्यर्थ होगा। उदाहरण के लिए, बिना आगे बढ़े हमें वहाँ जाने और कहानियाँ सुनाने के लिए स्वयं जीवन का अनुभव करने की आवश्यकता है। निहितार्थ से, थोरो उन लोगों की प्रशंसा कर रहे हैं जो लिखने के लिए बैठते हैं और जीने के लिए खड़े होते हैं। मुझे लगता है कि वह लेखन की आलोचना कर रहा है, जो लेखक द्वारा प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुभव से प्राप्त ज्ञान को व्यक्त किए बिना केवल अन्य लेखन पर फ़ीड करता है। एक पंडित, उदाहरण के लिए, जो राजनीति में भाग लिए बिना सभी प्रकार के राजनीतिक निर्णयों और नीतियों के बारे में राय व्यक्त करता है, जीने के लिए खड़े हुए बिना लिखने के लिए बैठ गया है। दी, सार्वजनिक बहस में भाग लेना अपने आप में राजनीतिक भागीदारी का एक रूप है, लेकिन जब राय बेख़बर और इस बात के प्रति असंवेदनशील होती है कि परिस्थितियों में राजनीतिक रूप से क्या संभव है और क्या नहीं, तो ऐसा लेखन सार्वजनिक क्षेत्र की गुणवत्ता को बढ़ाने के बजाय नीचा दिखाता है। हम जब अनुभव के जहाज से उतर आते हैं तो भीतर की कुलबुलाहट, बैचैनी और ख़ुशी होती है। जिसे हम बाँटना चाहते हैं। खुद को जल्दी से जल्दी खाली करना चाहते हैं। क्या हम सबके साथ ऐसा ही होता है? इसी बात पर एक विचार दिमाग में काफी समय से चल रहा था कि सबसे बेहतर रास्ता क्या हैं, जिसके जरिये हम खुद के विचारों को पंख लगा सके। एक बहुत ही खास तरीका सामने होता है। लिख डालो। शेयर करो। लोगो से बताओ भाई। मगर हर बार हम सब कुछ लिखते रहे या लिख पाए इसके लिए भी मोटिवेशन की जरुरत होती हैं। मेरे साथ तो ये जायज हैं। बहुत ज्यादा देर तक सोच कर ,समझ कर , एक निष्कर्ष पर पहुंच कर मैं नहीं लिख पाती। ऐसे में मेरे विचारों का झरना रुक सा जाता है। ऐसा अक्सर होता है। इसलिए ही मैंने इस बात पर थोड़ा सा समय बिताया हैं। सारी बातों को याद किया है। फिर से ,एक बार। क्या हम कुछ समय के लिए एक सवाल पे ठहर पाएंगे ? कि हम क्युं लिखते हैं? इसका जवाब भी थोडा दूरदर्शिता वाला होना चाहिए। इसमें हर छोटी-बड़ी घटनाओं ,ख़ुशी ,उदाहरणों को याद करके जवाब देना अनिवार्य हैं ? खैर जब हम ये सोच ले तो अगला पड़ाव जहां आपको और मुझे रूककर सुस्ताना है वो ये होगा की हमारे लिए लिखना जरुरी क्यू हैं? सागर की बड़ी –बड़ी लहरें आपको उन्माद से भर जाती हैं। आप लहरों संग ऊपर –नीचे करने लगते हो। समुद्र में उतरने से ही पहले।ऐसे में भला कहां समझ आता हैं कि जाएं या न जाएं। कानों में अलग-अलग आवाज़ें कैद होती रहती हैं और मचलने लगता है मन, कि चलो। अब तो चलना ही है । सार्थक रूप से बात करने या लिखने के लिए अनुभव और जीवन सीखने से प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। प्रत्यक्ष अनुभव भी स्मृति में उकेरा जाता है और कोई भी वास्तव में पाठकों को अनुभव के बारे में विश्वास दिला सकता है। हम जब अनुभव के जहाज से उतर आते हैं तो भीतर की कुलबुलाहट, बैचैनी और ख़ुशी होती है। जिसे हम बाँटना चाहते हैं। खुद को जल्दी से जल्दी खाली करना चाहते हैं। क्या हम सबके साथ ऐसा ही होता है? इसी बात पर एक विचार दिमाग में काफी समय से चल रहा था कि सबसे बेहतर रास्ता क्या हैं, जिसके जरिये हम खुद के विचारों को पंख लगा सके। एक बहुत ही खास तरीका सामने होता है। लिख डालो। शेयर करो। लोगो से बताओ भाई। मगर हर बार हम सब कुछ लिखते रहे या लिख पाए इसके लिए भी मोटिवेशन की जरुरत होती हैं। मेरे साथ तो ये जायज हैं। बहुत ज्यादा देर तक सोच कर ,समझ कर , एक निष्कर्ष पर पहुंच कर मैं नहीं लिख पाती। ऐसे में मेरे विचारों का झरना रुक सा जाता है। ऐसा अक्सर होता है। इसलिए ही मैंने इस बात पर थोड़ा सा समय बिताया हैं। सारी बातों को याद किया है। फिर से ,एक बार। Post navigation कृषि पशुपालन एवं मत्स्य पालन मंत्री ने एक्ववाकल्चर एक्सपो-2022 का किया निरीक्षण एचएयू में फसल अवशेषों को तरल उर्वरक में बदलने पर होगा कार्य: प्रो. बी.आर. काम्बोज