विद्यार्थी, सहकर्मी अध्यापक, अभिभावक व स्कूल प्रबंधन कमेटी को साथ लेकर चलने से बेहतर होगी शिक्षा व्यवस्था
शिक्षा दीक्षा शैक्षणिक पर्यवेक्षण कार्यक्रम के दूसरे चरण में गुरुग्राम जिले के 100 स्कूलों में की माॅनिटरिंग
पर्यवेक्षकों की माॅनिटरिंग रिपोर्ट पर बैठक में विस्तार से की गई चर्चा

गुरुग्राम, 18 नवंबर। शिक्षा विभाग के शिक्षा दीक्षा शैक्षणिक पर्यवेक्षण के दूसरे चरण में विभागीय अधिकारियों ने गुरुग्राम जिले के 100 स्कूलों की माॅनिटरिंग की। माॅनिटरिंग में सामने आए विषयों को उच्चाधिकारियों के समक्ष एक समीक्षा बैठक में रखा गया। इसमें शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डाॅ महावीर सिंह ने पर्यवेक्षकों की माॅनिटरिंग रिपोर्ट पर विस्तार से चर्चा की।

पर्यवेक्षकों के साथ बैठक के दौरान उन सभी 100 स्कूलों के प्रिंसीपल भी मौजूद थे। इस मौके पर डाॅ महावीर सिंह ने उपस्थित शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि शैक्षणिक कार्यों से जुड़े लोगों को अपने दायित्वों के प्रति संजीदा रहना होगा तभी शिक्षा व विद्यार्थियों के उत्थान पर व्यापक ध्यान दिया जा सकता है। उन्होंने स्कूल मुखियाओं का आहवान किया कि वे अपने अंदर लीडरशिप के गुण विकसित करते हुए अपने टीचर्स टीम की क्षमताओं पर विश्वास करें। अध्यापन कार्य करते हुए उन्होंने विद्यार्थियों की रूचि को भी ध्यान रखने की बात कही। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी क्या पढ़ना पसंद कर रहा है, यह मुख्य रूप से टीचर्स के फोकस का विषय होना चाहिए।

डाॅ महावीर सिंह ने कहा कि शिक्षा के चार मुख्य घटक होते हैं। इसमें पहले क्रम पर विद्यार्थी, दूसरे पर सहकर्मी अध्यापक, तीसरे पर अभिभावक व चौथे स्थान पर स्कूल प्रबंधन कमेटी (सीएमसी) आते हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी की दिमागी स्तर को भांपकर उसी के अनुसार पढ़ाई करवाने की जरूरत होती है। अध्यापक कक्षा के प्रत्येक बच्चे के साथ सीधा संवाद रखे और उसे पाठ्यक्रम में सभी को साथ लेकर चले। अध्यापकों को चाहिए कि प्रत्येक विद्यार्थी को शैक्षणिक गतिविधियों से जोड़ने के लिए विषय को रोचक बनाए। इससे विद्यार्थियों की रूचि बढ़ेगी और स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या भी। अभिभावकों को स्कूल के साथ जोड़ना होगा ताकि वे अपने बच्चों की पढ़ाई में रूचि लें। इसी तरह स्कूल प्रबंधन कमेटी (सीएमसी) की बैठक नियमित आयोजित करें और स्कूल में होने वाली गतिविधियों में इसके सदस्यों को भी शामिल करें।

डाॅ महावीर सिंह ने सुपर 100 योजना के उत्साहवर्धक परिणामों को साझा करते हुए कहा कि इस योजना के तहत 41 विद्यार्थियों का आईआईटी संस्थानों में चयन हुआ है। इससे यह भी प्रमाणित हुआ है कि सरकारी स्कूलों के पढ़ने वाले विद्यार्थी उच्च स्तरीय संस्थानों में अपनी काबिलियत के परचम फहराते हैं। उन्होंने अध्यापकों का आहवान करते हुए कहा कि शिक्षा को सिर्फ आजीविका का माध्यम न समझें, यह राष्ट्र निर्माण की सबसे मजबूत कड़ी है।

बैठक में मौजूद जिला उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने कहा कि माॅनिटरिंग रिपोर्ट में अनेक महत्वपूर्ण पहलुओं को अच्छे ढ़ंग से हाईलाइट किया गया है। इन पर बारीकी से काम किए जाने की जरूरत है ताकि सरकारी स्कूलों में शिक्षा को और बेहतर बनाकर विद्यार्थियों को इस ओर आकर्षित किया जा सके। उन्होंने आश्वासन दिया कि गुरुग्राम प्रशासन इस रिपोर्ट में शामिल किए गए तथ्यों पर पूरी ईमानदारी के साथ काम करेगा।

इससे पहले संबंधित अधिकारियों ने स्कूल मॉनिटरिंग के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इसमें बताया गया कि माॅनिटरिंग के दौरान स्कूलों में 2296 शिक्षक और 77593 छात्रों से संबंधित शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक योजनाओं को बारीकी से जांचा गया है। इसमें सभी सीनियर सेकेंडरी, सभी मॉडल संस्कृति सीनियर सेकेंडरी स्कूल के अलावा कुछ प्राइमरी स्कूलों को भी शामिल किया गया। स्कूलों में इस्तेमाल किये जा रहे टैबलेट, सिम, कम्प्यूटर लैब, साइंस लैब, मिड डे मिल, सोलर सिस्टम और स्कूलों में बजट से जुड़े सिविल वर्क और दूसरी योजनाओं के बारे में बारीकी से जांच भी की गई।

इस अवसर पर शिक्षा विभाग के अतिरिक्त निदेशक व एससीईआरटी के निदेशक विवेक कालिया, गुरुग्राम के एसडीएम रविंद्र यादव,ऑब्जर्वर महावीर प्रसाद, राकेश संधू, विजय यादव, जिला शिक्षा अधिकारी कैप्टन इंदू बोकन, जिला परियोजना संयोजक शील कुमारी समेत शिक्षा विभाग के अनेक अधिकारी मौजूद रहे।

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