चंडीगढ़, 16  नवंबर- , के निदेशक डॉ. चन्द्र त्रिखा ने 15 नवम्बर पंचकूला स्थित अकादमी भवन में प्रसिद्ध साहित्यकार व छायाकार डॉ. ओमप्रकाश कादयान की पुस्तक समीक्षा के क्षितिज तथा कवियत्री डॉ. सुमन कादयान की पुस्तक ‘उसकी चाहतों का समुन्दर’ का विमोचन किया।  

डॉ. चन्द्र त्रिखा ने कहा कि अधिक लिखना महत्वपूर्ण नहीं होता, बल्कि सार्थक, असरदार व कालजयी लिखना ही महत्वपूर्ण होता है। अपने लेखन के माध्यम से समाज का सही मार्गदर्शन करना लेखकीय धर्म है। डॉ. त्रिखा ने डॉ. ओमप्रकाश कादयान व डॉ. सुमन कादयान को पुस्तक प्रकाशन के लिए बधाई व शुभकामनाएं दी। इस मौके पर प्रसिद्ध चित्रकार राजेश जांगड़ा, गीता जांगड़ा, जाने माने कलाकार भीम सिंह तथा अकादमी से डॉ. विजेन्द्र कुमार, मनीषा नांदल, मुकेश लता भी मौजूद थे। इस मौके पर निदेशक डॉ. चन्द्र त्रिखा ने कहा कि किसी भी पुस्तक की समीक्षा करना एक बड़ी जिम्मेदारी है। पुस्तक को पूरी पढना, उसके बारे में अपनी राय देना, निष्पक्ष भाव से उसकी समीक्षा करना सरल कार्य नहीं है। डॉ. ओमप्रकाश कादयान ने लोक साहित्य, यात्रा साहिल्य, छायांकन के साथ-साथ समीक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया है। इसी तरह डॉ. सुमन कादयान लोक साहित्य के साथ कविता क्षेत्र में निरंतर सक्रिय है।  

सम्पादक विजेन्द्र कुमार ने कहा कि आज समाज में पनपे स्वार्थ तथा असंतुलन के दौर में साहित्यकारों का दायित्व और भी अधिक बढ़ जाता है। लेखक अपने प्रभावशाली लेखन से समाज में बेहतर परिवर्तन ला सकते हैं। इस अवसर पर डॉ. ओमप्रकाश कादयान व डॉ. सुमन कादयान ने अपने लेखकीय अनुभव सांझा किए। 

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