वीना भारद्वाज को वीना अग्रवाल बनने में दो साल का कठिन समय लगा।

अजीत सिंह

हिसार, 10 नवम्बर। स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत उनके पिता उनका विवाह अग्रवाल परिवार में नहीं करना चाहते थे।  संगरूर शहर में उनके घर किरायेदार के तौर पर एक अग्रवाल परिवार आया था । दोनो परिवारों में घनिष्ठ संबंध बन गए थे। परिवारों के मुखिया तो गहरे दोस्त थे। घंटों बैठकर बातें किया करते थे।    

वीना अग्रवाल परिवार के बेटे को कब दिल दे बैठी, उसे पता ही नहीं चला। वीना ने बड़ी बहन आशा को अपने प्यार के बारे में बताया तो बात परिवार में पहुंची और पिताजी भड़क उठे।  बार बार कहते थे यह शादी नहीं हो सकती। वीना बस यही कहती थी कि अगर यही शर्त है तो उसे किसी से भी शादी नहीं करनी। पिताजी की आज्ञा के बिना अपने प्रेमी अग्रवाल परिवार के युवा से भी नहीं, हालांकि वह अब भारतीय वायु सेना में अधिकारी बन चुका था।   

मसला दो साल अड़ा रहा। आखिर कार पिता को बेटी की ज़िद के आगे झुकना पड़ा और 1971 में अग्रवाल परिवार में ही उसकी शादी हो गई।    

पति के साथ वे हिसार आ गईं और वक्त के साथ यहीं अग्रवाल परिवार में रस बस गईं। परिवार के साथ उन्होंने देश विदेश की यात्राएं भी की।   

शादी के 51 साल बाद आज उन्होंने अपना 76वां जन्म दिन  वरिष्ठ नागरिकों की संस्था वानप्रस्थ में मनाया और अपने जीवन के संस्मरण सांझा किए।    

वीना अग्रवाल के दो बेटे और एक बेटी है जो अपने जीवन में खूब तरक्की कर रहे हैं।   

उनका कहना है कि जीवन में अच्छे बुरे क्षण तो आते रहते हैं। कुछ लोगों की बातें भी कई बार चुभ जाती हैं। इसका सबसे अच्छा उपाय यह है कि ऐसे व्यक्ति को माफ करो और भूल जाओ। तुरंत प्रतिक्रिया से बात बढ़ सकती है। एक चुप सौ दुखों को मिटा सकती है।    

वीना अग्रवाल साइंस और मनोविज्ञान की अध्यापक रही हैं और फॉरगीव एंड फॉरगेट का उनका जीवन सूत्र उनके ज्ञान और अनुभव से उपजा है।   

वीना अग्रवाल को संगीत का बड़ा शौक है। आज उन्होंने मीनाकुमारी का लिखा व गाया गीत वानप्रस्थ की बैठक में सुनाया,

   ‘ चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा,
दिल मिला है कहाँ-कहाँ तन्हा

ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं,
जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा

राह देखा करेगा सदियों तक
छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा।’
    

वानप्रस्थ में आज ही दूरदर्शन के पूर्व समाचार निदेशक अजीत सिंह का 77 वां जन्म दिन भी मनाया गया। वे लगभग 20 वर्ष तक जम्मू कश्मीर में आकाशवाणी के संवाददाता रहे हैं। उन्होंने कारगिल युद्ध और हजरतबल दरगाह पर आतंकवादियों के कब्जे की घटनाओं सहित आतंकवाद के लंबे समय की कवरेज की थी। भारतीय सूचना सेवा के अधिकारी के रूप में उनकी पहली पोस्टिंग आकाशवाणी शिमला में थी जहां उन्होंने भारत पाकिस्तान के बीच 1972 में हुई शिमला समझौता वार्ता को कवर किया। उन्होंने भी अपने जीवन के रोचक अनुभव सुनाए और बहादुर शाह ज़फ़र की मशहूर ग़ज़ल पेश की,   

बात करनी मुझे मुश्किल
कभी ऐसी तो न थी
जैसी अब है तेरी महफ़िल
कभी ऐसी तो न थी
  

दो घंटे से ऊपर चली वानप्रस्थ की बैठक में लगभग 50 सदस्यों ने भाग लिया। नीलम परुथी, योगेश सुनेजा, सुरजीत जैन और राजरानी मल्हान  ने भी मधुर गीत प्रस्तुत किए।   

वानप्रस्थ के वरिष्ठतम सदस्य 92 वर्षीय एच पी सरदाना, व 86 वर्षीय एम पी गुप्ता के इलावा पुष्पा सतीजा व संस्था के प्रधान डॉ सुदामा अग्रवाल सहित अनेक सदस्यों ने वीना अग्रवाल व अजीतसिंह को जन्मदिन की बधाई देते हुए उनके अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु की कामना की।

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