सरकार के तर्क में कोई दम नही है कि डाक्टर सरकारी सेवा में नही आ रहे थे, इसलिए ऐसा बांड लाये है : विद्रोही
भाजपा सरकार ने एमबीबीएस छात्रों के लिए बांड पोलिसी गरीबों को सस्ती मेडिकल शिक्षा लेने से रोकने व अमीरों को सस्ती शिक्षा देकर सरकारी धन कमाने की योजना है : विद्रोही

09 नवम्बर 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर से आग्रह किया कि वे अपनी हठधर्मिता को छोडकर एमबीबीएस छात्रों को सात वर्ष तक हरियाणा में सरकारी नौकरी करने या न करने की एवज में 40 लाख रूपये देने का बांड भरने के फैसले को वापिस ले। विद्रोही ने कहा कि भाजपा सरकार के इस फैसले से गरीब वर्गो के प्रतिभाशाली छात्रों का प्रदेश के सरकारी मेडिकल कालेजो में शिक्षा लेने का रूझान घटेगा और योग्य छात्र दूसरे राज्यों के सरकारी मेडिकल कालेजों की ओर रूख करेंगे जिससे प्रदेश से मेडिकल प्रतिभा का पलायन होगा। वहीं सात वर्ष सरकारी नौकरी करने या 40 लाख रूपये सरकार को क्षतिपूर्ति के रूप में देने के बांड से प्रतिभाशाली मेडिकल छात्रों को एमबीबीएस करने में रोडा बनेगा जो किसी भी तरह तर्कसंगत व उचित नही है। वहीं सरकार की बांड पोलिसी में भी स्पष्टता नही है। 

विद्रोही ने कहा कि भाजपा सरकार का यह कहना कि डाक्टर हरियाणा की सरकारी सेवाओं में नही आ रहे, यह तथ्यों के विपरित है। अभी हाल ही में सरकार ने 852 डाक्टरों की भर्ती का विज्ञापन दिया था जिसमें 6 हजार डाक्टरों ने ना केवल अप्लाई किया अपितु सरकार ने जितने डाक्टरों को भर्ती करना चाहा, उन सभी ने नौकरी ज्वाईन की। यह बताता है कि सरकार के इस तर्क में कोई दम नही है कि डाक्टर सरकारी सेवा में नही आ रहे थे, इसलिए ऐसा बांड लाये है। विद्रोही ने आरोप लगाया कि इस बांड पोलिसी का डर दिखाकर भाजपा सरकार योग्य छात्रों को मैरिट आधार पर सरकारी कालेजों में प्रवेश से रोकना चाहती है और धन्नासेठों के कम योग्यता वाले बच्चों को सरकारी मेडिकलों में प्रवेश देकर मेडिकल शिक्षा को कैप्चर करना चाहती है। भाजपा सरकार अच्छी तरह से जानती है कि धन्नासेठों के कम योग्यता वाले छात्र सहजता से इस बांड पोलिसी को स्वीकार करके सरकारी कालेजों में प्रवेश ले लेंगे और डाक्टरी की पढ़ाई पूरी करके डिग्री लेने के बाद हरियाणा सरकार को 40 लाख रूपये देकर इस बांड पोलिसी से छुटकारा पाकर सरकारी बंधन से भी मुक्ति पा लेंगे। 

विद्रोही ने कहा कि अमीर लोग जानते है कि यदि उनके कम योग्यता वाले बच्चे निजी मेडिकल कालेजों में पढ़ते है तो भी उनका कुल फीस खर्चा एक से सवा करोड़ रूपये तक आना ही है। ऐसी स्थिति में जब सरकारी मेडिकल कालेजों में बांड पोलिसी के तहत योग्य छात्र नही आएंगे तो उनके बच्चों को आसानी से मेडिकल कालेजों में प्रवेश मिलेगा और वे अपने बच्चों को सवा करोड़ रूपये की बजाय 40 लाख रूपये देकर डाक्टर बना लेंगे। विद्रोही ने कहा कि भाजपा सरकार ने एमबीबीएस छात्रों के लिए बांड पोलिसी गरीबों को सस्ती मेडिकल शिक्षा लेने से रोकने व अमीरों को सस्ती शिक्षा देकर सरकारी धन कमाने की योजना है। इस बांड पोलिसी को सरकार तत्काल वापिस ले और गरीबों के बच्चों को मेडिकल शिक्षा लेने में रोड़े व अटकाये। 

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