भारत सारथी/कौशिक

गुरुग्राम -आदमपुर चुनाव के परिणाम हुए घोषित और उसके पश्चात विभिन्न प्रतिक्रियाएं आ रही है लेकिन विचारणीय विषय यह है की जैसा कि हम पहले भी लिखते रहे हैं कि इस चुनाव के दूरगामी परिणाम होंगे । अभी फिलहाल कुछ मुद्दे मस्तिष्क में आए हैं आपके साथ साझा कर रहा हूं देखिए क्या आप इन से सहमत हैं या नहीं

आदमपुर में जीत के बाद बीजेपी बेशक जश्न में डूबी है। लेकिन अंदरखाने बीजेपी और कुलदीप बिश्नोई को भी पता है कि उसने इस उपचुनाव में उसने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं किया। जबकि कांग्रेस ने बिना बिश्नोई परिवार के आदमपुर में जबरदस्त हाजिर दर्ज करवाई है।

सबसे पहली बात– 2014 के बाद पहली बार बिना बिश्नोई उम्मीदवार के चुनाव में उतरी कांग्रेस ने अपने वोट बैंक में 5 गुना बढ़ोतरी की है। 2014 में कांग्रेस उम्मीदवार सतेंद्र को सिर्फ 10,000 वोट मिले थे, जो इस उपचुनाव में बढ़कर 52,000 हो गए हैं।

नंबर दो– कांग्रेस ने बता दिया कि वह मृतप्राय चुनाव में भी जान फूंक सकती है और उसे गढ़ तोड़ने का हुनर आता है। अगर सिर्फ 20 दिन के कैंपेन में कांग्रेस 42,000 वोट गेन कर सकती है तो अगले दो साल में क्या हो सकता है, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

नंबर 3- इस उपचुनाव ने बता दिया है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा की स्वीकार्यता रोहतक, झज्जर और सोनीपत के बाहर भी जबरदस्त है। आदमपुर में उनका क्रेज वोटर्स के सिर चढ़कर बोला। सिर्फ 15 के कैंपेन में उन्होंने कांग्रेस को बीजेपी के मुकाबले में लाकर खड़ा कर दिया। उपचुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सक्रियता हरियाणा के किसी भी हल्के में बड़ा अंतर पैदा कर सकती है।

नंबर 4– इस उपचुनाव में दीपेंद्र हुड्डा ने कैंपेन स्टाइल ने कांग्रेस की हवा बनाने में जबरदस्त काम किया। हर गांव में उनके लिए बाइक और ट्रैक्टर्स पर उमड़ी युवाओं बताती है कि दीपेंद्र का बागड़ी बेल्ट में शानदार समर्थक बेस है। आदमपुर, हिसार और पूरी बागड़ी बेल्ट में दीपेंद्र की बढ़ती लोकप्रियता को लेकर कुलदीप बिश्नोई कितने चिंतित हैं, इसका एक नमूना जीत के बाद मीडिया को दिए गए कुलदीप के बयान में सामने आया। जहां जीत के बाद हर नेता बधाई औऱ शुभकामनाए देता नज़र आता है, वहीं कुलदीप दीपेंद्र हुड्डा के लिए ओछी भाषा का इस्तेमाल करते नजर आए।

नंबर 5– कांग्रेस की कमान मिलने के बाद चौधरी उदयभान ने जिस अंदाज में कैंपेन किया, उसने बीजेपी-जेजेपी और पूरी सरकार के पसीने छुड़ा दिए। हरियाणा में दलित समुदाय को बहुत सालों बाद ऐसा नेता मिला है जो शानदार वक्ता है और बिना किसी हिचक के सीधे दलित सरोकारों की बात करता है।

नंबर 6. एक तरफ जहां चुनावी हार के बावजूद कांग्रेस सकारात्मक नजर आ रही है तो वहीं कुलदीप बिश्नोई के समर्थकों ने जयप्रकाश जेपी पर हमला करके बता दिया है कि बीजेपी जीत के बाद भी बौखलाई हुई है। इस जीत में बीजेपी के लिए तत्कालिक राहत जरूर है लेकिन इसने भविष्य में बीजेपी के लिए खतरे की घंटी भी बजा दी है।

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