-कमलेश भारतीय

सूर्य कवि दादा लखमी हरियाणा में एक बड़ा नाम ! गीत संगीत और स्वांग/रागिनी सबमें ! नयी पीढ़ी बेशक इस नाम और इनके काम से अपरिचित हो सकती है लेकिन पुरानी पीढ़ी तो इनके गीत संगीत को सुनते सुनाते ही आनंद लेती और उन्हीं के गीत संगीत में डूबी रही ।

इन्हीं दादा लखमी पर वाॅलीबुड में पूरे तरह पांव जमा चुके हिसार के लाडले बेटे /एक्टर यशपाल शर्मा ने पांच छह साल लगाकर बाॅयोपिक फिल्म बनाई -दादा लखमी । फिल्मी दुनिया और एनएसडी से जो कुछ सीखा वह इसके निर्देशन में लगा दिया ।

पहली निर्देशित फिल्म है यशपाल शर्मा की ! अपनी मां विद्या और बड़े भाई घनश्याम को समर्पित ! खुद बस कुछ पल के लिए ही शुरू में प्रभावशाली एंट्री के बाद योगेश वत्स व हितेश दो युवा कलाकारों ने दादा लखमी के रोल की साकार कर दिखाया है । गीत संगीत के लिए अपना सब कुछ अर्पण कर देने वाले दादा लखमी का एक ही सपना था -चलो उस देश जहां संगीत हो ! अंतीम समय भी गीत संगीत के बीच ही आखिरी सांस ली ! ऐसा जादू ? ऐसा संगीत प्रेमी ! इसीलिए यशपाल शर्मा ने इस फिल्म की प्रमोशन के लिए यही नारा बनाया –

दादा लखमी
नाम ही काफी !
एक उत्सव
आठ नवम्बर !

आठ नवम्बर को दादा लखमी सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है , जिस फिल्म को रिलीज से पहले ही राष्ट्रीय पुरस्कार मिला ! इसी 30 अक्तूबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों ! इसके अतिरिक्त भी साठ से ऊपर पुरस्कार प्रदर्शन के बिना ही पा चुकी है । फिर भी यशपाल शर्मा अपने सहयोगी कलाकारों के साथ इस ड्रीम फिल्म के लिए सड़कों पर हैं स्टेज एप की टीम के साथ ! कितना संघर्ष ! क्या चंद्रावल फिल्म की सफलता को छू पायेगी यह फिल्म ? बहुत बड़ा सवाल ! यही क्यों इससे पहले सतरंगी और पगड़ी-द ऑनर को भी राष्ट्रीय पुरस्कार मिले लेकिन ये फिल्में सिनेमाघरों में बिजनेस नहीं कर पाईं । यदि यह फिल्म अच्छा बिजनेस करती है तो हरियाणवी फिल्म उद्योग को पंख लग जायेंगे और यशपाल शर्मा भी इसका दूसरा भाग बनाने की कोशिश करेगे!

हरियाणा के लगभग अढ़ाई सौ कलाकारों को इसमें अपने अभिनय का रंग बिखेरने का अवसर मिला है तो इनमें वरिष्ठ कलाकार सुमित्रा हुड्डा , राजेंद्र गुप्ता , रामपाल बल्हारा , मेघना मलिक के साथ साथ नये कलाकार हितेश व योगेश भी हैं । इस तरह यशपाल ने पूरे हरियाणा के रंगकर्मियों को इसमें अपनी कला दिखाने का अवसर दिया है । तकनीशियन जरूर मुम्बई से हैं जैसे संगीत पर आधारित फिल्म के लिए उत्तम सिंह से बेहतर संगीतकार कौन हो सकता था ? चंद्रावल के समय वे इसके सहायक संगीतकार थे । रामपाल बल्हारा भी चंद्रावल से जुड़े रहे हैं तो सतीश कश्यप ने सांग में अपना नाम बनाया और कमाया है जो इसमें विलेन के रोल में हैं ! राजेंद्र गुप्ता संभवतः आज के कलाकारों में हरियाणा से सबसे वरिष्ठ कलाकार हैं । सुमित्रा हुड्डा भी ऐसी ही बड़ी कलाकार हैं तो डांस डायरेक्टर लीला सैनी भी चंद्रावल में शामिल रहीं । इस तरह यशपाल ने पुराने व अनुभवी हरियाणवी कलाकारों को लेकर एक तालमेल बनाया नये व अनुभवी कलाकारों के बीच !

अब यशपाल इस फिल्म के प्रमोशन के लिए शहर दर शहर अपने सहयोगी कलाकारों के साथ निकला है । कल हिसार में भी आया वही लड़का जो यहां केनाल काॅलोनी में रामलीला करते करते मुम्बई जाने के सपने देखने लगा । इसके लिये क्या क्या नहीं किया ! रिक्शा चलाने से लेकर चांदी के गहने बनाना तक ! वही आज हिसार की सडकों पर अपनी फिल्म का पोस्टर लेकर अपनी उपलब्धि के साथ साथ अपनी माटी का कर्ज चुकाने आया है ! क्या हम इस फिल्म की सफल बनायेंगे यह बहुत बड़ा सवाल है ! क्या चंद्रावल के बाद दादा लखमी जैसी संपर्क डुपर हिट साबित होगी ?
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।

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