-कमलेश भारतीय

सूर्य अस्ताचल की ओर बढ़ रहा है । महाभारत के युद्ध की दोनों सेनायें अपने अपने शिविरों में लौट रही हैं । रथों के घोड़े हिनहिना रहे है । कौन आज युद्ध में वीरगति पा गये और कौन कल तक बचे हुए हैं । संजय यह आंखों देखा हाल धृतराष्ट्र को सुना रहे हैं । महाराज व्यथित होकर दिन भर का हाल सुन रहे हैं । गांधारी भी पास ही बैठी हैं ।

वह एक युग था । तब संजय जन्मांध धृतराष्ट्र को युद्ध का हाल बताने के लिए मिली दिव्य शक्ति से सब वर्णन करते थे । कहा जा सकता है कि उस युग के पत्रकार थे संजय ।

अब युग बदल गया । इन दिनों चुनाव की महाभारत है । महाभारत अठारह दिन चली थी लेकिन यह चुनाव प्रचार की महाभारत पूरे इक्कीस दिन चलती है । यहां किसी एक संजय को दिव्य शक्ति नहीं दी जाती । यहां तो सैंकड़ों संजय हैं जो ‘वीडियो’ नाम की दिव्य शक्ति लेकर आये हैं और कुछ भी वायरल कर देने की शक्ति रखते हैं ! मनचाहा वीडियो बना कर सारा आंखों देखा हाल सुनाने में जुटे हैं । संजय तो एक राष्ट्रीय पत्रकार था और राष्ट्र की सेवा में जुटा था । निष्पक्ष ! निरपेक्ष ! ये आज के युग के संजय तो निष्पक्ष और निरपेक्ष नहीं । इन्हें तो रोटी रोटी कमानी है, अपनी गृहस्थी चलानी है । मनभावन शौक पूरे करने हैं । खाना पीना है और वह दिखाना है जो सामने वाला चाहता है लेकिन इसकी एक निश्चित कीमत है ! जो चुकाये वह पा मनचाहा पा ले ! नहीं चुकाये तो हश्र भुगते !p

ये कैसे संजय हैं ?

ये कलियुग के महाभारत के संजय हैं ! जो अंधे लोगों को युद्ध का हाल नहीं सुनाते बल्कि ऐसा हाल सुनाते हैं कि आंखों वालों को ही अंधा बना रहे हैं ! आप इन्हें पहचानते हैं ?
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।

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