यह कोई साधारण स्थान नहीं, इस स्थान पर माता सती की जीभ गिरी

विधर्मियौं ने इस ज्वाला को बुझाने का अनेकों बार कुत्सित प्रयास किया

भू-वैज्ञानिक कई किमी की खुदाई के बाद भी यह पता नहीं लगा सके

फतह सिह उजाला

गुरूग्राम।  यहाँ माता ज्वाला के रूप में विराजमान हैं, और भगवान शिव यहाँ उन्मत्त भैरव के रूप में उपस्थित हैं। इस मन्दिर का चमत्कार यह है, कि यहाँ कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि पृथ्वी के गर्भ से निकल रहीं सात ज्वालाओं की पूजा की जाती है। आजतक इसका कोई रहस्य नहीं जान पाया है कि आखिर यह ज्वाला यहाँ कहाँ से और कैसे निकल रही है। कई भू-वैज्ञानिक कई किमी की खुदाई करने के बाद भी यह पता नहीं लगा सके कि यह प्राकृतिक ज्वाला कहाँ से प्रकट हो रही है। इतना ही नहीं विधर्मियौं ने इस ज्वाला को बुझाने का अनेकों बार कुत्सित प्रयास किया, किन्तु आज तक कोई भी ताकत इस ज्वाला को बुझा नहीं पाई।

यह बात श्री काशी सुमेरु पीठाधीश्वर अनन्त श्री विभूषित पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती जी महाराज ने राष्ट्र और सनातनद्रोहियों के समूल उन्मूलन एवं सनातन धर्म और राष्ट्र की समृद्धि की कामना से हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जनपद में विराजित मा़ँ चामुण्डा देवी और माता ज्वाला देवी का दर्शन-पूजन करने के उपरात श्रद्धालुओ की जिज्ञासा शांत करते हुए कही। यह जानकारी शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती के निजी सचिव स्वामी बृजभूषणानन्द सरस्वती जी महाराज ने मीडिया के साथ साझा करते हुउ दी।

शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती ने कहा कि ज्वाला देवी मन्दिर में बिना तेल और बाती के सात ज्वालाएं जल रही हैं, जो माता के भिन्न-भिन्न स्वरूपों की प्रतीक हैं। मन्दिर में जो एक सबसे बड़ी ज्वाला जल रही है, वह ज्वाला माता हैं, और माता की माँ अन्नपूर्णा, माँ विन्ध्यवासिनी, माँ चण्डी देवी, माँ महालक्ष्मी, माँ हिंगलाज माता, माँ सरस्वती, माँ अम्बिका देवी एवं् माँ अंजी देवी के रूप में पूजा होती है। यहाँ आने वाले सभी भक्तों की माता हर मनोरथ सिद्ध करती हैं । यह कोई साधारण स्थान नहीं, अपितु इस स्थान पर माता सती की जीभ गिरी थी। पूज्य शंकराचार्य नरेन्द्रानन्द सरस्वती के सानिध्य में यज्ञ सम्राट् स्वामी हरिओम् महाराज, अखिल भारतीय सन्त समिति के उपाध्यक्ष महामण्डलेश्वर स्वामी देवेन्द्रानन्द गिरि जी महाराज, स्वामी बृजभूषणानन्द सरस्वती जी महाराज, श्री सुशील चौधरी, श्री निर्मल पत्याल सहित सैकड़ों सन्तों और श्रद्धालुओं ने भी माँ का दर्शन-पूजन कर पुण्य अर्जित किया।

इसी मौके पर शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती ने सनसतन वैभव के विश्व विस्तार की बात कही। उन्होंने प्रत्येक जीव के कल्याण की कामना करते हुए ज्वाला माता के दरबार में प्रत्येक जीव के कल्याण सहित अखड भारत में मानवता की रक्षा के लिए ज्वाला माता से कामना की। शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती ने कहा ज्वाला माता की शरण में आने और दर्शन मात्र से किसी भी व्यक्ति के संकट का समाधान संभव है, क्यांे कि माता किसी का भी अहित नही चाहती और न ही करती है। माता बहुत की दयालु है, लेकिन माता का अनादार या किसी भी प्रकार का दुभार्व, ऐसा कृत्य करने वाले के लिए अक्षम्य  और   बेहद कष्टकारी भी हो सकता है।