चण्डीगढ़, 2 नवंबर – साहित्य और संस्कृति का अटूट सम्बन्ध है। किसी भी देश की संस्कृति को साहित्य के माध्यम से ही बढ़ावा दिया जा सकता है। इसलिए साहित्यकार संस्कृति को बढ़ावा देने में अपनी लेखनी का प्रयोग करें।

हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने आज पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी श्री पी.लाल द्वारा लिखित ‘सरस्वती नदी और दी आर्यन्स‘ नामक पुस्तक का विमोचन करने उपरान्त अपने विचार सांझा किए। इस अवसर पर लेखक की धर्म पत्नी श्रीमती गीता लाल व सुपुत्री पुर्णिमा लाल भी उपस्थित थी।

उन्होंने कहा कि वैदिक संस्कृति ईसा पूर्व से हजारों वर्ष से भी पुरानी है। वैदिक संस्कृति के हरियाणा में अवशेष मौजूद हैं। इसका जीता जागता उदाहरण सरस्वती नदी का आदि बद्री में उद्गम स्थान होना है। वैदिक संस्कृति के विकास के लिए प्रदेश सरकार द्वारा भी सराहनीय प्रयास किए जा रहे है।

लेखक श्री पी.लाल ने अपनी पुस्तक में प्राचीन भारतीय इतिहास को शामिल किया है जिसमें वैदिक संस्कृति की पुरातन और सुदूर अतीत में सरस्वती नदी का अस्तित्व शामिल है। ऋग्वेद में प्रमाणित है कि सरस्वती नदी एक शक्तिशाली, भौतिक, बहने वाली नदी थी। लेखक ने पुस्तक में निष्कर्ष दिया है कि वैदिक संस्कृति 6,000-7,000 ईसा पूर्व पुरानी है। इसके अलावा, पुस्तक में घग्गर-हाकरा चैनलों का भी सरस्वती नदी से संबंध का जिक्र किया है। लेखक ने आदि बद्री पर एक बांध बनाकर चैनलों को रिचार्ज करने पर हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की सरकारों के प्रयासों की भी प्रशंसा की है।

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