-कमलेश भारतीय यह भी खूब रही !जब तोप मुकाबिल होतब अखबार निकालो अरे नहीं नहीं । वह वक्त बीत गया । अब चुनाव मुकाबिल हो तो पुराने वीडियो निकालो और खूब वायरल करो ! यही नीति है और यही महाभारत का असली धर्म । पुराने बयान याद दिलाओ । जैसे कुलदीप बिश्नोई के पुराने बयान वायरल हो रहे हैं जिनमें वे कह रहे हैं कि भाजपा धोखेबाज पार्टी है । इसके चक्कर में मत आना लेकिन समय का फेर देखिए कि दूसरों को भाजपा के चक्कर मे न आने की सलाह देने वाले कुलदीप खुद ही भाजपा में चले गये और अब अपने इस वीडियो पर माफी मांग रहे हैं । ऐसे ही भव्य भी भाजपा के खिलाफ दिये बयानों पर माफी मांग रहे हैं ! यह है बार फिर दल बदलने का कटु परिणाम ! इसी तरह मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का बयान भी आप पार्टी के प्रत्याशी सतेंद्र सिंह और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष उदयभान भी बार बार याद दिला रहे हैं जो उन्होंने कभी आदमपुर की जनसभा में दिया होगा कि क्या करूं , आपका विधायक कुलदीप बिश्नोई ही निकम्मा है ! अब कांग्रेस और आप पार्टी पूछ रही है कि अब वही नेता इतना लायक कैसे हो गया ? इसी तरह एक वायरल ऐसा है भव्य बिश्नोई के बारे में कि वह इंस्ट्राग्राम पर कैसी गतिविधियां करते हैं और पूछा गया है कि आप ऐसे व्यक्ति को चुनोगे ? इस वायरल में इंस्ट्राग्राम के कुछ फोटोज हैं जो लाइक किये गये हैं । यानी आपके सारी तरह के सोशल अकाउंट मुसीबत ला रहे हैं । थोड़ा सजगता के साथ कदम रखो । इसी प्रकार कांग्रेस प्रत्याशी जयप्रकाश का एक बयान उनको संकट में डाल रहा है । जब कभी कहा होगा कि गादड़ी और बागड़ी के लट्ठ मारो । इसे आप प्रत्याशी सतेंद्र मुद्दा बनाने की कोशिश में लगे हैं पिछले तीन दिन से अंर पोस्टर भी छाप दिये कि मैं हूं बागड़ी । लट्ठ कहां है ? दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा जब मुख्यमंत्री थे तब वे ऐसे विधानसभा क्षेत्र की जनसभा में कहते थे कि मैं ही आपका विधायक हूं ! मुझे बताइए आपके क्या काम हैं ! यह है फर्क ! कोई आलोचना नहीं किसी की ! किसी विधायक को निकम्मा क्यों कहो और फिर जब उसी से गले लगने की बारी आये तो शर्मिंदा तो न होंगे ! तभी तो शायर ने कहा है किदुश्मनी जमकर करो लेकिन इतनी गुंजाइश रखोफिर कभी मिलें तो शर्मिंदा न हों !-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । Post navigation चौधरी दलबीर सिंह ने ताउम्र की सिद्धांतों की राजनीति ना चौ. भजनलाल, ना आदमपुर और ना बिश्नोई समाज, किसी के सगे नहीं कुलदीप- उदयभान