अनिल विज अब कह रहे है कि अमित शाह मेरे नेता और मैं नेताओं से सीख कर ही बड़ा हुआ हूं। विद्रोही
2014 से पूर्व अमित शाह की पहचान एक नेता की नही अपितु सुप्रीम कोर्ट द्वारा तडीपार व्यक्ति के रूप में थी। विद्रोही
2014 से पहले स्वयं अनिल विज चार बार हरियाणा में अम्बाला कैंट सीट से विधायक निर्वाचित हो चुके थे। सवाल उठता है कि उन्होंने अमित शाह से 2014 से पहले कहां और कब क्या सीखकर बड़े हुए? विद्रोही

30 अक्टूबर 2022- स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही नेे एक बयान में कहा कि सूरजकुंड में हुए दो दिवसीय आंतरिक सुरक्षा चिंतन शिविर में अलॉट समय से ज्यादा बोलने पर हरियाणा के बड़बौले, जुमलेबाज गृहमंत्री अनिल विज को केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने चार बार टोका और फिर भी न रूकने पर डपटकर भाषण को बंद करवाया। विद्रोही ने कहा कि अनिल विज को अमित शाह द्वारा डपटने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने पर अपनी झेप मिटाने बडबौलेेे अनिल विज अब कह रहे है कि अमित शाह मेरे नेता और मैं नेताओं से सीख कर ही बड़ा हुआ हूं। आतंरित सुरक्षा चिंतन शिविर में बडबौलेपन के कारण देशभर के राज्यों के गृहमंत्री व पुलिस अधिकारियों के सामने हुए सार्वजनिक जलालत पर पर्दा डालने अनिल विज जितने बहाने कर ले, पर उनके खुद के आचरण के कारण सवयं उनकी व प्रदेश के गृहमंत्री पद की जा जलालत हुई है, वह इज्जत तो वापिस आने से रही। अपने बडबौलेपन से अनिल विज ने खुद को तो बेईज्जत करवाया ही, साथ मेें हरियाणा को भी शर्मसार किया है। 

विद्रोही ने कहा कि अब सोशल मीडिया पर अमित शाह के डपटने का वीडियो वायरल होने पर अनिल विज अपनी झेप मिटाने अमित शाह को अपना नेता बताकर अमित शाह जैसे बड़े नेताओं से राजनीति में सीखकर बड़ा होने का बेसुरा राग अलाप रहे है। पर यह बेसुरा राग अलापते वक्त अनिल विज इस कटु सत्य को भूल गए कि 2014 से पहले अमित शाह को गुजरात से बाहर देश केवल सुप्रीम कोर्ट द्वारा तडीपार किये व्यक्ति के रूप में ही जानता था। 2014 से पूर्व अमित शाह की पहचान एक नेता की नही अपितु सुप्रीम कोर्ट द्वारा तडीपार व्यक्ति के रूप में थी। वहीं 2014 से पहले स्वयं अनिल विज चार बार हरियाणा में अम्बाला कैंट सीट से विधायक निर्वाचित हो चुके थे। सवाल उठता है कि उन्होंने अमित शाह से 2014 से पहले कहां और कब क्या सीखकर बड़े हुए? 

विद्रोही ने कहा कि कटु सत्य यह है कि अनिल विज के बडबौलेपन व जुमलेबाजी, मीडिया छपास रोग के चलते उनके उल-जलूले बयानों, टवीटर टिप्पणियों के कारण प्रदेश में कोई भी उन्हे गंभीरता से नही लेता। गृहमंत्री के रूप में फाईलों पर की गई टिप्पणियों व आदेशों को वरिष्ठ पुलिस अधिकारी कूडेदान में फेंक देते है, यह स्वयं अनिल विज कहकर बता चुके है कि गृहमंत्री के रूप में उनकी क्या हैसियत है। कहने को तो अनिल विज के पास हरियाणा में गृह व स्वास्थ्य मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभाग है, पर इन विभागों के अधिकारी उनकी बातों पर कोई तवज्जों नही देते। सीएमओ के अधिकारी उनके विभागों को अप्रत्यक्ष रूप से चलाते है। विद्रोही ने कहा कि अनिल विज का बडबौलापन व जुमलेबाजी उनको ही शर्मसार नही करता अपितु उनके ऐसे आचरण से प्रदेश भी बार-बार शर्मसार होता है।  

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