एडवोकेट पर्ल चौधरी ने किया छोटी दीपावली पर बड़ा धमाका
जिला परिषद प्रमुख के लिए वार्ड नंबर 9 से चुनावी समर में उतरी
जिला परिषद प्रमुख पद अनुसूचित वर्ग की महिला के लिए आरक्षित
पर्ल ने महिला शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वाभिमान का दिया आश्वासन
बाहरी उम्मीदवार कहने वालों की बेटियों के विषय में अपनी सोच

फतह सिंह उजाला

पटौदी । गुरुग्राम जिला परिषद प्रमुख अथवा चेयरमैन पद अनुसूचित वर्ग की महिला के लिए आरक्षित है । इसी कड़ी में अनुसूचित वर्ग की महिला के लिए पटौदी विधानसभा क्षेत्र में मौजूद वार्ड नंबर 9 भी आरक्षित है । ऐसे में सीधा और स्पष्ट है कि जो भी उम्मीदवार अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित महिला आरक्षित वार्ड नंबर 9 से चुनाव जीतेगा , वही उम्मीदवार गुरुग्राम जिला परिषद का प्रमुख अथवा चेयरमैन भी बनेगा । यही कारण है कि जिला परिषद का वार्ड नंबर 9 मौजूदा चुनाव में सबसे अधिक हॉट सीट सहित राजनीतिक आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

इसी कड़ी में पटौदी के पूर्व एमएलए भूपेंद्र चौधरी की एडवोकेट पुत्री पर्ल चौधरी के द्वारा वार्ड नंबर 9 से अपनी दावेदारी प्रस्तुत करते हुए संडे को चुनावी कार्यालय का उद्घाटन अपने पिता पूर्व एमएलए भूपेंद्र चौधरी तथा गौड़ ब्राह्मण सभा के अध्यक्ष गुलशन शर्मा के हाथों करवाया गया। इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट पर्ल चौधरी ने कहा की राजनीति उनको विरासत में मिली है और अपने पिता की राजनीतिक विरासत को विस्तार देने के लिए ही चुनाव लड़ने का फैसला किया है। जनसेवा किसी भी प्रकार से की जा सकती है , लेकिन राजनीति एक ऐसा माध्यमिक व प्लेटफार्म है जहां से जनता की जरूरत और जन भावना को ध्यान में रखते हुए जन सेवा करने का मौका प्राप्त होता है । इस मौके पर एडवोकेट प्रदीप यादव, डॉ हरिओम, श्रद्धानंद, दीपचंद, अजीत यादव, रोशन, राज सिंह मिलकपुर, नेतराम , नारायण लोहचाब, पूर्व पार्षद नरेश पांचाल, पूर्व पार्षद अनिल, कमल सिंह, पूर्व पार्षद प्रवीण राव, पूर्व मुख्य अध्यापक लाल सिंह, सुरेंद्र सिंह सहित आसपास के दर्जनों गांवों के ग्रामीण और महिलाएं अपना अपना समर्थन देने के लिए विशेष रूप से पहुंचे।

इसी मौके पर पूर्व एमएलए भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि राजनीति और राजनेता दोनों में नैतिकता होना का जरूरी है । नैतिकता एक प्रकार से किसी के लिए भी व्यक्तिगत विषय ही होता है । उन्होंने उदाहरण दिया कि ब्रिटेन की प्रधानमंत्री ने 3 दिन पहले इसलिए त्यागपत्र दे दिया कि उन्होंने जो वायदे किए थे , उन्हें पूरा करने में स्वयं को असहज महसूस करने लगी थी । 6 सप्ताह किसी भी राजनेता विशेष रुप से पीएम जैसे पद पर कार्यरत राजनेता के लिए बहुत कम समय होता है। लेकिन ब्रिटेन की पीएम ने इस मामले में राजनीतिक नैतिकता को प्राथमिकता प्रदान करते हुए अपने पद से त्यागपत्र दे दिया । इसके विपरीत भारतीय परिवेश की राजनीति और राजनेता है, वायदे पर वायदे करते हैं और फिर जनता के बीच आने पर उनको याद दिलाया जाता है । यह सिलसिला चुनाव जीतने से लेकर आगामी चुनाव आने तक जारी ही रहता है। उन्होंने साफ साफ शब्दों में कहा कम से कम विदेशी नेताओं और सत्ता के सर्वाेच्च पद पर बैठे  भारतीय राजनेताओं को राजनीति की नैतिकता का पाठ सीखना चाहिए। राजनीति सत्ता सुख भोगने के लिए नहीं , जन सेवा के लिए ही होती है। शायद यही कारण रहा कि ब्रिटेन की पीएम ने केवल मात्र 6 सप्ताह में ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया ।

इसी मौके पर महिला अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित वार्ड और जिला परिषद अथवा चेयरमैन पद के सवाल पर पर्ल चौधरी ने कहा ईमानदार राजनीति करना उनको पिता से राजनीतिक विरासत में ही मिला है । उन्होंने कहा बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ यह केवल मात्र एक नारा बनकर रह गया है । वास्तव में जरूरत इस बात की है कि बेटियों और महिलाओं को उनके मौलिक तथा कानूनी अधिकारों के विषय में अधिक से अधिक जागरुक करने की जरूरत है । शासन प्रशासन और सरकार के द्वारा महिलाओं के हित में इतनी अधिक योजनाएं लागू की गई है , जिन के विषय में बहुत कम जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं । इतना ही नहीं सबसे अधिक जरूरी है महिला का स्वाभिमान, प्रत्येक बहन, बेटी, मां, दादी, नानी जैसी महिला को स्वाभिमान से जीने का भी अधिकार है । आज महिलाओं के लिए शिक्षा के साथ-साथ आत्मरक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल करने की जरूरत है । सही मायने में जिस प्रकार से अन्य सभी विषयों की परीक्षा होती है , उसी प्रकार से महिला वर्ग या फिर युवतियों के लिए भी कम से कम जब तक वह पढ़ाई कर रही हैं , आत्मरक्षा की भी परीक्षा अवश्य होनी चाहिए ।

विपक्ष के द्वारा उनको बाहरी उम्मीदवार कहे जाने के सवाल के जवाब में पर्ल चौधरी ने कहा कि यह कहने वालों की अपनी सोच और उनका नजरिया है कि बहन-बेटियों को किस प्रकार से देखते हुए उनका मान सम्मान किया जाना चाहिए ? बेटी तो बेटी ही होती है , विवाह से पहले अपने पिता के घर और विवाह के बाद अपने धर्म पिता के घर मैं भी बेटी ही होती है। जिस भी घर परिवार में विवाह के बाद बेटी के लिए नजरिया सोच और दृष्टिकोन बदल जाता है , उस घर का माहौल किस प्रकार का होता है वह संबंधित परिवार भली प्रकार जानते भी होंगे । उन्होंने दावे के साथ कहा कि उनके पिता पूर्व एमएलए भूपेंद्र चौधरी के कार्यकाल के दौरान किसी भी प्रकार का कोई भी आरोप नहीं लग सका है । उन्होंने केवल जनहित की और इमानदारी से राजनीति की , यही कारण है कि आज इतनी बड़ी संख्या में आसपास के गांवों के लोग समर्थन के लिए पहुंचे हैं । उन्होंने कहा यह चुनाव जनता का अपना चुनाव है, फैसला जनता को करना है । लेकिन इतना अवश्य क्षेत्र की जनता को सोचना चाहिए कि ऐसे प्रतिनिधि का चुनाव किया जाए , जोकि ईमानदार राजनीतिक विरासत और दृढ़ संकल्प के साथ जन भावना का मान सम्मान करते हुए जनहित में काम करने में सक्षम हो । उन्होंने दोहराया कि सबसे अधिक जरूरत ग्रामीण अंचल में महिला शिक्षा और महिला स्वास्थ्य पर कार्य करने की है और यही उनकी प्राथमिकताओं में भी शामिल रहेगा।

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