डॉ सत्यवान सौरभ देश के ग्रामीण पृष्ठ भूमि के युवा कवि है और उनके लेखन में एक गज़ब की निरंरता है और समसामयिक विषयों पर बेबाकलेखन के साथ-साथ वो उसी विषय पर काव्य में भी लिखते है.

हिसार/भिवानी/दिल्ली – हरियाणा के भिवानी जिले के गाँव बड़वा के युवा कवि एवं स्वतंत्र लेखक डॉ सत्यवान सौरभ के दोहे शीर्षक ‘अपने प्यारे गाँव से’ उत्तर प्रदेश के शोधार्थी द्वारा अपनी डॉक्ट्रेट डिग्री के शोध पत्र में शामिल किये गए है. सत्यवान सौरभ के दस दोहे जो कि उनके दोहा संग्रह ‘तितली है खामोश’ में संकलित है; इस शोध पत्र में शामिल किये गए है. शोध पत्र का विषय है ‘कविता में गाँव’ . इस विषय पर उत्तर प्रदेश के शोधार्थी ने देश -विदेश के हिंदी कवियों की गाँव शीर्षक पर लिखी कविताओं पर रिसर्च किया. इस दौरान शोधार्थी ने पाया कि डॉ सत्यवान सौरभ पिछले कई सालों से गाँव-देहात के मुद्दों पर बड़ी बेबाकी से लिख रहे है और देश भर के अख़बारों, पत्र-पत्रिकाओं के साथ-साथ सोशल मीडिया पर बड़े चाव से पढ़े जा रहे है. उनके दोहे ‘अपने प्यारे गाँव से’ काफी प्रसिद्ध है और लोगों की जुबान पर है.

डॉ सत्यवान सौरभ देश के ग्रामीण पृष्ठ भूमि के युवा कवि है और उनके लेखन में एक गज़ब की निरंरता है और समसामयिक विषयों पर बेबाक लेखन के साथ-साथ वो उसी विषय पर काव्य में भी लिखते है. इनकी यही ख़ूबी पाठकों को भाती है. हाल ही में सत्यवान सौरभ की तीन पुस्तकें तितली है खामोश (दोहा संग्रह), कुदरत की पीर (निबंध संग्रह) और एक अंग्रेजी में ‘इश्यूज एंड पेनस’ नाम से आई है जो काफी पॉपुलर रही है. बत्तीस वर्षीय डॉ सत्यवान सौरभ की अभी तक चार पुस्तकें आ चुकी है. जिनमे से तितली है खामोश दोहा संग्रह हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा चयनित है. कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अवार्ड्स से सम्मानित डॉ सत्यवान सौरभ की इस नूतन उपलब्धि पर सभी क्षेत्रों की हस्तियों ने बधाई और शुभकामनाएं दी है.

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