चंडीगढ़, 18 अक्टूबर – आमजन के सामाजिक – आर्थिक स्तर में सुधार करने और उनकी दैनिक समस्याओं के निवारण के लिए हरियाणा स्टेट काउंसिल फॉर साइंस, एजुकेशन एंड टेक्नोलॉजी के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा अनुसंधान और विकास योजना चलाई जा रही है। इस योजना के अंतर्गत शैक्षणिक, अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों, प्रोफेसरों को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परियोजना के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास परियोजना को अंजाम देने के लिए वर्ष 2022-23 के दौरान अठारह अनुसंधान परियोजनाओं के लिए कुल 5 करोड़ 47 लाख 41 हजार और 32 रुपए की मंजूरी दी गई है।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ अशोक खेमका ने यह जानकारी देते हुए बताया कि हरियाणा के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा प्रदेश में अनुसंधान कार्यों को बढ़ावा देने के लिए एक उदार नीति अपनाई गई है। इसके तहत 50 लाख रुपए तक की राशि वैज्ञानिक के लिए अनुसंधान के लिए स्वीकृत की जाती है।

उन्होंने बताया कि यह सभी अठारह अनुसंधान परियोजनाएं आमजन की जरूरतों से जुड़ी हुई है। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान कुरुक्षेत्र की सहायक प्रोफ़ेसर डॉ अमिलन जोस डी उनके द्वारा“ स्मार्टफोन एसिस्टिड पोर्टेबल केमिकल सेंसर“ का प्रोजेक्ट जल निकायों में जहरीले धातुओं और कीटनाशकों का मौके पर ही पता लगाएगा।

इसी प्रकार राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल के गोपाल वरिष्ठ वैज्ञानिक रामदासजी की अनुसंधान परियोजना जीनोमिक विविधता सुलझाने पर आधारित है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जसवीर सिंह का जैव रसायन महर्षि मारकंडेश्वर विश्वविद्यालय, मुलाना की प्रोफेसर सीमा बंसल का प्रोजेक्ट अनुसंधान परियोजना मोनोपॉज के बाद होने वाले विकारों में सुधार से संबंधित है।

गवर्मेंट कॉलेज नारायणगढ़ सहायक प्रोफेसर राजीव कुमार गोयल का अनुसंधान भारतीय मूक एवम बधिर लोगों के लिए एक बेहतर संकेतिक भाषा के विकास से संबंधित है। लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सक बिस्वा रंजन महाराणा, का स्वीकृत अनुसंधान गोजातीय थेलेरियोसिस करने से संबंधित है।

लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय हिसार की सहायक प्राध्यापक डॉ कनिष्ट बत्रा की शोध परियोजना भैंस के प्रारंभिक गर्भावस्था निदान और प्रजनन क्षमता में सुधार के लिए उनके लार में पाए जाने वाले नोवल पेप्टाइड बायोमार्कर की पहचान से संबंधित है।

पं. बी.डी.शर्मा पीजीआईएमएस, रोहतक के प्रोफेसर, डॉ. बी.एम. वशिष्ठ, की स्वीकृत अनुसंधान परियोजना सामान्य वृद्धावस्था स्वास्थ्य समस्याओं की पहचान के संबंध में संतुष्टि के स्तर से संबंधित है।

इसी प्रकार लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, हिसार के एसोसिएट प्रोफेसर, आनंद कुमार पांडे की स्वीकृत अनुसंधान परियोजना आकार-विशिष्ट फॉलिकल्स के चयन और ओसाइट क्षमता के गैर आक्रमक बायो मार्कर  की पहचान एवं भैंसों में भ्रूण के विकास से संबंधित है।

महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक की सहायक प्रोफेसर डॉ पूजा सुनेजा की स्वीकृत अनुसंधान परियोजना सिसर एरीटिनम में बायोप्राइमिंग और नेनोप्राइमिंग की भूमिका सूखे के दबाव में जीनोमिक और प्रोटियोमिक्स दृष्टिकोण  के मूल्यांकन से संबंधित है। इसी प्रकार एमडीयू रोहतक की सहायक प्रोफेसर रश्मि भारद्वाज मेडिकल बायोलोजी को फेफड़ों में कैंसर की ईम्यूनोथेरेपी, चौ. चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हिसार की सहायक प्रो. सीमा सांगवान को एग्रो इण्डस्ट्रीयल वेस्ट से लिक्विड फर्टिलाईजर अनुसंधान, केन्द्रीय विश्वविद्यालय के सहायक प्रो. डा. अनिता फुड क्षेत्र में विटामिन डी, एपीजे सत्य युनिवर्सिटी गुरूग्राम के सहायक प्रो. योगिता बत्रा को एनर्जी आटोनोमस इलेक्ट्रोनिक स्किन के अनुसंधान पर कार्य करने के लिए राशि प्रदान की गई है।

मानव रचना युनिवर्सिटी विश्वविद्यालय फरीदाबाद के सहायक प्रोफेसर डा. आदित्य शर्मा को लोन इम्पलीमेंटेशन इंडूस्ड मोडिफाई चार्ज ट्रांसपोर्ट, वाईएमसीए फरीदाबाद के सहायक प्रोफेसर डा. सोनिया को बायोमेस ड्राईव ऐक्टिव कार्बन फोर इलेक्ट्रोनिक्स मैटिरियल के विकास, सीएसआईआर नई दिल्ली के वैज्ञानिक डा. अवनी खटकड़ को मेट्रोलोजीकल बहु-माप का लक्षण के अनुसंधान पर कार्य करने के लिए चयन किया गया है।

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