भारत सारथी
हिसार- आदमपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए लगभग सभी पार्टियों द्वारा कार्यालय खोलने के बाद अब मुकाबला रोचक हो गया है। भाजपा जहां आदमपुर में पहली बार कमल खिलाने के लिए मेहनत कर रही है वहीं कांग्रेस भी अपनी सीट को बचाने के प्रयास में है।

पहली बार आदमपुर उपचुनाव में उतरी आम आदमी पार्टी जहां प्रदेश में अपना मैदान तैयार करने की जुगत में है वहीं इनेलो आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अपना मनोबल बढ़ाने का प्रयास करेगी।

चुनावी मैदान में कई दिग्गज भी ताल ठोक रहे हैं, लेकिन उनके सामने चुनौतियों की कमी नहीं है। विरोधी पार्टी के प्रत्याशी जहां दिग्गजों के वोट पर सेंध लगा रहे हैं, वहीं मिलते जुलते नाम वाले प्रत्याशी भी समीकरण बिगाड़ेंगे। एक जैसे हम नाम प्रत्याशियों के चुनाव मैदान में उतरने से मामला दिलचस्प हो सकता है। निर्वाचन क्षेत्र में एक ही नाम के दो प्रत्याशी मैदान में होने पर लोग मिलते-जुलते नाम वाले दूसरे प्रत्याशी के पक्ष में ईवीएम का बटन दबा देते हैं। यह रणनीति पुरानी है, लेकिन हर चुनाव में काम आती है और हमेशा चुनाव मैदान में एक जैसे नाम वाले कई प्रत्याशी दिखाई देते हैं।

आदमपुर में जयप्रकाश, सतेंद्र व मनीराम के सामने हम नाम प्रत्याशी

कांग्रेस प्रत्याशी जयप्रकाश, आम आदमी पार्टी के सतेंद्र सिंह व लिबरल सोशलिस्ट पार्टी से मनीराम के हमनाम उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र दाखिल किया है। इनमें मंडी आदमपुर निवासी जयप्रकाश, गांव आदमपुर निवासी सतेंद्र व गांव किशनगढ़ निवासी मनीराम ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन पत्र भरे है। नामांकन पत्रों की जांच पड़ताल के बाद 23 प्रत्याशी के नाम रह गए है। अब नामांकन पत्रों की वापसी के बाद 17 अक्टूबर को स्थिति साफ होगी की कितने उम्मीदवार मैदान में है।

रोडरोलर ने जीत का मार्जिन किया था कम

पूर्व मुख्यमंत्री एवं तत्कालीन सांसद भजनलाल के निधन के बाद 13 अक्टूबर 2011 को हुए हिसार लोकसभा के उपचुनाव में हजकां-भाजपा गठबंधन प्रत्याशी कुलदीप बिश्नोई जीत तो गए थे लेकिन मन ही मन मलाल था कि रोडरोलर नहीं होता तो उनकी जीत का अंतर बढ़ सकता था और यह अंतर 35 हजार तक पहुंच सकता था। दरअसल क्या हुआ यह था कि कुलदीप के चुनाव चिन्ह ट्रैक्टर जैसा दिखने वाले रोडरोलर चुनाव चिन्ह ने उनकी लीड को बेहद कम कर गया।

उपचुनाव में कुलदीप की निर्णायक जीत का अंतर 6323 मतों का रहा, जिसका मंथन किया गया तो पाया कि एक प्रत्याशी के चुनाव निशान रोडरोलर था जिसके चलते शायद मतदाताओं ने बजाय ट्रैक्टर के निशान पर बटन दबाने के उस रोडरोलर पर बटन दबा दिया होगा। वहीं चुनाव मैदान में कुलदीप नाम के चार अन्य प्रत्याशी भी थे जिनके कारण कुलदीप बिश्रोई की जीत का मार्जिन भी कम हुआ होगा।

उपचुनाव में कुल 40 प्रत्याशी मैदान में थे और उनमें से भारतीय संतमत पार्टी के प्रत्याशी ओमप्रकाश कल्याण का चुनाव निशान रोडरोलर था, जो कि ईवीएम मशीन पर बने ट्रैक्टर के चुनाव निशान से काफी हद तक मेल खाता था। मतगणना पूरी होने के बाद जब देखा गया कि ओमप्रकाश कल्याण को आजाद प्रत्याशियों में सर्वाधिक 27 हजार 802 वोट मिले हैं, जब इसके कारण की तह तक जाया गया तो यही सामने आया कि अनुमानित करीब 25 हजार मतदाताओं ने ट्रैक्टर के निशान के धोखे में रोडरोलर का बटन दबा दिया होगा

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