क्या गुरुग्राम के जनप्रतिनिधि कर रहे जनता के हितार्थ काम? भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक गुरुग्राम। गुरुग्राम हरियाणा का सर्वाधिक राजस्व देने वाला जिला है और यहां ही भाजपा का शायद हरियाणा में सबसे बड़ा कार्यालय गुरूकमल है। तात्पर्य यह कि यहां सत्तारूढ़ भाजपा के राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के नेताओं का आना-जाना लगा रहता है। यहां तक कि प्रदेश के मुख्यमंत्री भी ऐसा लगता है कि जैसे गुरुग्राम के ही हों लेकिन फिर भी गुरुग्राम मूलभूत सुविधाओं को तरस रहा है। कुछ प्रश्न मन में आ रहे हैं, रखता हूं आपके सम्मुख: आज मुख्यमंत्री नया गांव में सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने वहां कहा कि नए काम तो अभी शुरू करने की घोषणा नहीं कर सकता, क्योंकि आचार संहिता लगी हुई है। मन में प्रश्न आया कि नए काम की घोषणा से भी क्या होगा? जो गुरूग्राम में पुराने काम बरसों से घोषित हैं, उनकी स्थिति पर तो बात की जा सकती थी। कहा गया है कि सबसे बड़ा तो निरोगी काया तो उसी बात पर प्रश्न है कि अस्पताल का निर्माण आरंभ करने की घोषणा किए हुए कितना समय बीत गया? बारंबार उसके बारे में ब्यान आ जाते हैं कि कार्य चल रहा है, शीघ्र हो जाएगा लेकिन शायद मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री या कहें सारी सरकार यह नहीं समझ रहीं कि जनता को इसके न होने से कितना कष्ट है। सरी बात बस अड्डा जर्जर अवस्था में है, निर्माण की बात चल रही है लेकिन स्थिति जस की तस। कहने को तो गुरुग्राम खुले शौच से और आवारा पशुओं से मुक्त है लेकिन वास्तविक स्थिति क्या है, आपके सम्मुख है। कल कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कष्ट निवारण समिति की बैठक ली। जैसा कि होता है कि विज्ञप्ति आ गई कि इतनी समस्याएं सामने रखीं गई, इतनी सुलझा दी गई परंतु प्रश्न यह है कि जो समस्याएं कष्ट निवारण समिति में रखी जाती हैं, क्या वे गुरुग्राम की वास्तविक समस्याएं होती हैं? या अधिकारी जो सरकार की ओर से निर्देश हैं, उसी के अनुसार शिकायत बना वहां प्रस्तुत करते हैं? और उनका समाधान कर वाहवाही लूट ली जाती है। सर्वाधिक खटकने की बात कल की कष्ट निवारण कमेटी की मीटिंग में यह रही कि गुरुग्राम के 4 विधायकों में से केवल सोहना के विधायक वहां उपस्थित थे। विधायक जो अपने क्षेत्र की जनता के मत पाकर विधायक बना है, उसकी नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी यह है कि उसके कार्यों में पहली वरीयता जनता के कष्टों को जानकर उन्हें दूर करने की होनी चाहिए लेकिन जो सरकार की ओर से हर माह मीटिंग की जाती है, उसके लिए गुरुग्राम के विधायक सुधीर सिंगला, पटौदी के विधायक सत्यप्रकाश जरावता और बादशाहपुर के विधायक राकेश दौलताबाद वहां उपस्थित नहीं थे। तात्पर्य यह कि उनके क्षेत्र में कोई समस्या ही नहीं है? आप भी सोचिए। कल गुरुग्राम के सांसद और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह गुरुग्राम में ही थे। उन्होंने सड़कों, अस्पताल के दौरे किए और दिशा कमेटी की बैठक ली। उस बैठक में उन्हीं के अनुयायी कहलाने वाले पार्षद अश्वनी शर्मा ने सवाल उठाए कि गुरुग्राम के अधिकारियों की कार्यशैली उचित नहीं है, गुरुग्रामवासी दुर्दशा को झेल रहे हैं। न केवल पुराने गुरुग्राम में बल्कि नए गुरुग्राम में भी पानी भरा होता है। यह एक प्रतीक है इस बात का कि निगम और जीएमडीए कैसे कार्य कर रहे हैं और निगम में तो मेयर टीम राव इंद्रजीत सिंह की है तो क्या मेयर टीम और राव इंद्रजीत सिंह की जवाबदेही नहीं बनती? सवाल वही है कि जनप्रतिनिधि अपने आकाओं को प्रसन्न करने के लिए काम करते हैं या जनता की तकलीफों को दूर करने के लिए? Post navigation यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने के लिए छात्राओं को किया प्रेरित बोधराज सीकरी की अगुवाई में विभाजन विभीषिका पर आधारित नाटक से दी गई शहीदों को श्रद्धांजलि