गोहाना में महर्षि वाल्मीकि आश्रम में आदि कवि की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर किया नमन

आश्रम में संगत के साथ बैठकर सुना भजन-कीर्तन

मुख्यमंत्री ने समरसता भवन का भी किया लोकार्पण

संत महापुरुष सम्मान एवं विचार प्रसार योजना से महापुरुषों के विचारों को जन – जन तक पहुंचाया जा रहा

चंडीगढ़, 7 अक्तूबर – वर्ष 2014 में सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने प्रदेश में सामाजिक समरसता का संदेश देने की जो शुरुआत की थी, वह आज भी निरंतर जारी है। इसकी एक ओर झलक आज गोहाना में महार्षि वाल्मिकी जयंती के अवसर पर आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में देखने को मिली, जब पूरा वाल्मिकी समाज मुख्यमंत्री के स्वागत में उमड़ पड़ा।

        मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने यहां पहुंचकर सर्वप्रथम महर्षि वाल्मीकि आश्रम में आदि कवि महर्षि वाल्मीकि की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने धर्मगुरुओं को माला पहनाकर उनका सम्मान किया।

        इसके बाद, मुख्यमंत्री ने आम श्रद्धालु की तरह संगत के साथ बैठकर आदि कवि के भजन-कीर्तन को सुना। इसको देखकर मंदिर में उपस्थित हर व्यक्ति मुख्यमंत्री की सादगी का कायल हुए बिना नहीं रह सका। श्री मनोहर लाल ने सभी श्रद्धालुओं का अभिवादन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने आश्रम में बने समरसता भवन का भी लोकार्पण किया।

        तत्पश्चात मुख्यमंत्री ने चौधरी देवी लाल स्टेडियम में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में पहुंचकर दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने उपस्थित जनों सहित प्रदेशवासियों को सामाजिक समरसता व भाईचारे का संदेश दिया।

        श्री मनोहर लाल ने कहा कि संत महापुरुषों की शिक्षाएं सार्वभौमिक व सार्वकालिक हैं। संत – महापुरुष किसी एक जाति या समाज के नहीं होते, बल्कि उनके विचार व शिक्षाएं पूरे समाज के लिए प्रेरणादायक होते हैं। आज के युग में भी संत – महापुरुषों की शिक्षाएं उतनी ही प्रासंगिक है जितनी उस दौर में हुआ करती थी।

        उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हरियाणा एक – हरियाणवी एक के मूल मंत्र पर चलते हुए पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय दर्शन के अनुरूप पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति के उत्थान को लेकर योजनाएं बना रही है।

हरियाणा में सरकारी तौर पर मनाई जा रही हैं महापुरुषों की जयंतियां

        उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने वर्ष 2015 में पहली बार सरकारी तौर पर महर्षि वाल्मीकि जयंती को मनाने की शुरुआत की थी और उसी दिन उन्होंने घोषणा की थी कि भविष्य में संत शिरोमणि रविदास, संत कबीर दास, बाबा साहेब डॉ भीम राव अंबेडकर जैसे सभी महापुरुषों की जयंतियां सरकारी स्तर पर मनाई जाएगी। साथ ही, उन्होंने मूंदडी में महर्षि वाल्मीकि के नाम पर संस्कृत विश्वविद्यालय बनाने की भी घोषणा की थी।

        आज हरियाणा ऐसा पहला राज्य है, जहां पर सभी महापुरुषों की जयंतियां सरकारी तौर पर मनाई जा रही हैं। इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री ने सिख गुरुओं के भी प्रकाश उत्सव को सरकारी तौर पर मनाने की परंपरा आरंभ की। मुख्यमंत्री के प्रयासों से हरियाणा में मनाया गया हिन्द की चादर श्री गुरु तेग बहादुर जी का 400वां प्रकाश उत्सव अति विस्मरणीय रहा, जहां सभी धर्मों के गुरुओं ने मत्था टेका और गुरु का आशीष लिया। सिख संप्रदाय ने मुख्यमंत्री के प्रति विशेष कृतज्ञता जाहिर की। अभी हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय में अलग से हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के गठन के पक्ष में फैसला आने के बाद सिख समाज ने मुख्यमंत्री का विशेष तौर पर आभार प्रकट किया है। इस फैसले के बाद मुख्यमंत्री ने पंचकूला स्थित नाडा साहिब गुरुद्वारा में मत्था टेक श्री गुरू ग्रंथ साहिब को नमन किया।

संत महापुरुष सम्मान एवं विचार प्रसार योजना से महापुरुषों के विचारों को जन जन तक पहुंचाया जा रहा

        महापुरुषों के विचारों को जन जन तक पहुंचाने और भावी पीढ़ि को महापुरुषों की जीवनी व उनकी शिक्षाओं से अवगत करवाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री ने संत महापुरुष सम्मान एवं विचार प्रसार नामक एक नई योजना की शुरुआत की है। मुख्यमंत्री का मानना है कि ऐसे महापुरुषों की जयंतियों पर यदि हम जमीनीस्तर पर कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं तो निश्चित रूप से आज की युवा पीढ़ी के मन में महापुरुषों के प्रति भाव जागृत होगा और अपने जीवन में उनकी शिक्षाओं को अपनाने की प्रेरणा लेंगे।

        सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग भी मुख्यमंत्री के सामाजिक समरसता कार्यक्रमों को मूर्तरूप दे रहा है। संत महापुरुष सम्मान एवं विचार प्रसार योजना के तहत विभाग राज्य स्तर, जिला स्तर और खण्ड स्तर पर कार्यक्रमों का आयोजन कर मुख्यमंत्री के सामाजिक समरसता के संदेश को लोगों तक पहुंचा रहा है। हरियाणा का आमजन मुख्यमंत्री के इन प्रयासों की सराहना तो कर ही रहा है, वहीं सामाजिक संस्थाएं, धर्मगुरू व बुद्धिजीवी लोग भी इन प्रयासों में मुख्यमंत्री के साथ जुड़ने लगे हैं।

क्रमांक – 2022

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