भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक गुरुग्राम। नगर निगम चुनाव को लेकर गुरुग्राम भाजपा में चर्चाओं का दौर गरम है। अलग-अलग गुट बनते नजर आ रहे हैं और गुटबंदी सार्वजनिक भी हो रही है। कल भी हमने लिखा था कि ऊषा प्रियदर्शी के कार्यक्रम में जहां प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ और संसदीय समिति की मेंबर सुधा यादव उपस्थित थीं, वहीं कर्मचारी प्रकोष्ठ कार्यक्रम मध्य में ही छोडक़र चला गया। भाजपाईयों में चर्चा है कि यह सब मेयर की टिकट की दौड़ के लिए हो रहा है। https://bharatsarathi.com/थैलेसीमिया-से-ग्रस्त-व्य/ प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन के कार्यक्रम का श्रीगणेश मुख्यमंत्री ने गुरुग्राम में यशपाल बतरा के कार्यक्रम से किया। इसके पश्चात से यशपाल बतरा अपनी मेयर टिकट की दावेदारी के लिए सशक्त बताने का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं और इसी से अन्य प्रतिद्वंद्वी में चर्चा का विषय है कि अक्टूबर 2017 में हुए निगम चुनाव में मुख्यमंत्री यशपाल बतरा की धर्मपत्नी मधु बतरा के विरूद्ध भाजपा की प्रत्याशी श्रीमती तारा टुटेजा का प्रचार कर रहे थे, जिसमें उनके साथ दिवगंत मदन लाल ग्र्रोवर भी थे लेकिन फिर भी मुख्यमंत्री के प्रत्याशी को हार का मुंह देखना पड़ा था। अब स्थितियां बदल गई हैं। अब मधु बतरा भाजपा की पार्षद कहलाई जाती हैं और यही भाजपाईयों में चर्चा बनी हुई है कि जिससे हारे उसी को अपना बना लिया। ऐसी क्या मजबूरी आई? या भाजपा के कार्यकर्ता इतने सक्षम नहीं थे, जो ऐसा कार्यक्रम कर पाते? भाजपा से मेयर पद का चुनाव लडऩे के लिए अनेक भाजपाई इच्छुक हैं और सभी अपने-अपने तरीके से अपनी गोटियां बिठाने में लगे हुए हैं। कोई मुख्यमंत्री के आशीर्वाद से टिकट पाना चाहता है तो कोई प्रदेश अध्यक्ष धनखड़ से। यहीं बस नहीं है। अब जब श्रीमती सुधा यादव संसदीय बोर्ड की सदस्य और चुनाव समिति की मेंबर बनी हैं तो लोगों की उम्मीदें उन पर भी टिकट हैं। इसके अतिरिक्त सूत्रों से सूचनाएं मिल रही हैं कि केंद्रीय मंत्रीमंडल का भी मेयर चुनाव में दखल हो सकता है। Post navigation शीतला माता मंदिर में आयोजित किए जा रहे नवरात्रि मेले में माइक्रो सर्विस कैम्प विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा आरएसएस के प्रचारकों ने सीखा राजयोग