-कमलेश भारतीय हिमाचल के कांगड़ा क्षेत्र की निवासी व एक दिव्यांग युवती काव्य वर्षा ने बिना विधिवत पढ़ाई किये साहित्य में नील गगन छू लिया । -कोई शिक्षा ?-विधिवत कोई शिक्षा नहीं क्योंकि बचपन से दिव्यांग थी । -फिर पढ़ी कैसे ?-छोटे भाई से उसकी किताबों में से सुनती थी और इससे उसकी तैयारीहो जाती थी और मेरी पढ़ाई ! -एक दिव्यांग बेटी को परिवार ने कैसे स्वीकार किया ?-बहुत सहयोग मिला मां बाप , भाई बहनों से ! मुझे लक्ष्मी की तरह स्वीकार किया गया ! मेरी एक बड़ी बहन है और एक छोटा भाई है । -साहित्य का शौक कैसे ?-बचपन से ही लगा । छोटे भाई की किताबों से ! मुझे हर चीज जल्दी याद हो जाती थी ! -लिखना कब शुरू किया ?-पंद्रह सोलह साल की थी जब आर्मी में होने के कारण मुझे अपने साथ जम्मू ले गये । रंगीन पेन दिलवाये । कापियां दिलवाई । गीत लिखने लगी । फिर धीरे धीरे उंगलियों ने भी काम करना छोड़ दिया । इस तरह लिखने में बाधा आ गयी । -फिर लिखना कैसे जारी रहा ?-मेरे छोटे भाई की शादी हुई और मेरी प्यारी भाभी मोनिका ने बताया कि मोबाइल पर भी लिखा जा सकता है । सन् 2018 से फिर मेरा लेखन भाभी के सहयोग से शुरू हो सका ! सोशल मीडिया का उपयोग करना सिखाया । -काव्य वर्षा आपका असली नाम है ?-जी नहीं । मेरा नाम वर्षा चौधरी है लेकिन एक साहित्यकार ने मुझे काव्य वर्षा नाम दिया । -पहली बार कहां प्रकाशित हुई ?-मुम्बई की पत्रिका ‘साहित्यनामा’ में ! कविताएं और बाद में कहानियां भी ! -इसके अतिरिक्त कहां कहां ?-दिव्य हिमाचल और हिमप्रस्थ में । -कोई संग्रह ?-नील गगन को छूने दो ! -किसने सहयोग किया ?-हिमाचल के लेखक वीरेंद्र वीर शर्मा ने ! उन्होंने ही प्रकाशक निखिल प्रकाशन , आगरा से सम्पर्क करवाया । -पुरस्कार ?-मेरी कहानियों पर बनी यू ट्यूब फिल्मों पर पुरस्कार मिले हैं ! -कौन लेखक पसंद है ?-दिनकर । -आगे क्या लक्ष्य ?-बस । लिखते जाना है ! बस नये से नया लेखक पढ़ना है !हमारी शुभकामनाएं काव्य वर्षा को । आप इस नम्बर पर प्रतिक्रिया दे सकते हैं : 9805752696 Post navigation विश्व स्तर का बनेगा अग्र विभूति स्मारक : डॉ कमल गुप्ता एचएयू के छात्र अक्षय महत्ता को राष्ट्रीय सेवा योजना के तहत मिला राष्ट्रीय पुरस्कार