27 सितम्बर को मुख्यमंत्री समस्त कैबिनेट के साथ देखेंगे ‘स्वराज – भारत के स्वतंत्रता संग्राम की समग्र गाथा’

चण्डीगढ़, 23 सितम्बर – आजादी के 75वें अमृत महोत्सव को हरियाणा एक अनूठे अंदाज में मनाने जा रहा है, जिसमें न केवल आजादी के आंदोलन की झलक देखने को मिलेगी बल्कि आजादी के दिवानों द्वारा दिए गए बलिदान की अमरगाथा भी देखने व सुनने को मिलेगी। प्रदेश सरकार आजादी के अमृत महोत्सव को विशेष तवज्जो दे रही है, ताकि आज की युवा पीढ़ी को आजादी से पहले अंग्रेजी हुकूमत द्वारा भारतीयों पर ढहाई गई बर्बरता से अवगत करवाया जा सके।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से आजादी के अमृत महोत्सव का शुभारंभ किया गया था, जो 15 अगस्त, 2023 तक चलेगा। अमृत महोत्सव की इसी श्रृंखला के तहत पूरे देश में कार्यक्रम किए जा रहे हैं। हरियाणा में भी आजादी का अमृत महोत्सव से जुड़े साल भर के कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की गई और इस दौरान सैकड़ों कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

हरियाणा में आजादी के आंदोलन के दौरान हरियाणावासियों द्वारा दिए गए बलिदान से जुड़ी अनेक घटनाएं हैं, जिनमें रोहनात गांव का उल्लेख सर्वोपरी है। अंग्रेजी हुकूमत की बर्बरता का गवाह रहा भिवानी जिला के गांव रोहनात की कहानी पर आधारित नाटक ‘दास्तान-ए-रोहनात’ का मंचन स्वयं मुख्यमंत्री ने देखा। इस कार्यक्रम की खास बात यह रही कि इस दिन रोहनात व उसके आसपास के गांवों के लगभग 500 निवासियों को नाटक देखने के लिए विशेष रूप से हिसार में आमंत्रित किया गया। इसके बाद पंचकूला में विभाजन विभीषिका पर बनाई गई फिल्म को भी हरियाणा के मुख्यमंत्री ने देखा। हरियाणा के शहीदों के ‌बलिदान से जुड़े नाटक व विभाजन विभीषिका से जुड़ी फिल्म-शो जैसे अनूठे कार्यक्रमों का आयोजन कर राज्य सरकार ने आजादी का अमृत महोत्सव के लक्ष्य को सार्थक किया है।

इसी कड़ी में दूरदर्शन द्वारा देश की आजादी के 75वें महोत्सव पर तैयार किए गये 75 एपिसोड के सीरियल ‘स्वराज-भारत के स्वतंत्रता संग्राम की समग्र गाथा’ की 27 सितम्बर को पंचकूला के इंद्रधनुष सभागार में विशेष स्क्रीनिंग की जाएगी, जिसमें मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल समस्त मंत्रिमण्डल के सदस्यों के साथ इस विशेष स्क्रीनिंग को देखेंगें।  

‘स्वराज-भारत के स्वतंत्रता संग्राम की समग्र गाथा’ सीरियल का आरंभ उस दौर से होता है जब 1498 में वास्को-डी-गामा ने भारत की धरती पर कदम रखा था। फिर पुर्तगालियों, फ्रांसीसियों, डच और अंग्रेजों ने भारत में उपनिवेश स्थापित करने के प्रयत्न किए। उस दौर से प्रारंभ होकर भारत के आजाद होने तक के संघर्ष और हमारे स्वाधीनता के नायकों की गौरव गाथा को इस सीरियल में संजोया गया है।

ख़ास बात यह है कि इस सीरियल में न केवल मंगल पांडे, रानी लक्ष्मीबाई और भगतसिंह जैसे जाने-माने नायकों के किस्सों को शामिल किया है बल्कि इस सीरियल में अज्ञात, अनसुने और भूले-बिसरे नायकों व वीरांगनाओं जैसे रानी अबक्का, बक्शी जगबंधु, तिरोत सिंह, सिद्धो कान्हो मुर्मु, शिवप्पा नायक कान्होजी आंग्रे, रानी गाइदिन्ल्यू और तिलका मांझी जैसे वीर योद्धाओं के बलिदान से जुड़ी कहानियां भी शामिल की गई हैं, जिनका बलिदान अनसुना-अनकहा रह गया था।

यह सीरियल केवल आजादी की गौरव गाथा के महानायकों के जीवनवृतांत को ही बयां नहीं करता बल्कि उपनिवेशिक ताकतों के अन्यायपूर्ण व्यवहार को दर्शकों तक पहुंचाने का अनूठा व बेहतरीन प्रयास है। सही मायने में यह आजादी के अमृत महोत्सव की सार्थकता सिद्ध करेगा।

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