-चेयरमैन और सभी सदस्यों को गिरफ्तार कर उन पर आपराधिक मुकदमे दर्ज हों चंडीगढ़ । हाल के कुछ वर्षों में हरियाणा लोक सेवा आयोग की भर्तियों पर लगातार लग रहे भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के आरोपों पर कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सरकार और एचपीएससी से जवाब मांगते हुए बड़ा हमला बोला है। सुरजेवाला ने कहा है कि प्रदेश में जब-जब भाजपा और इनेलो सत्ता में आए हैं हरियाणा प्रदेश को नौकरियों की मंडी बनाकर गए हैं। पिछली इनेलो-भाजपा गठबंधन सरकार और एचपीएससी के कुकर्मों के मामले आज भी न्यायालय में चल रहे हैं। इनके समय की एचसीएस 2001 और 2004 की भर्तियों में ना केवल इंटरव्यू में हेराफेरी बल्कि मुख्य परीक्षा में काटकर अंक बदलने, दूसरी स्याही से बाद में उत्तर लिखे जाने जैसे गम्भीर आरोप खुद खट्टर साहब की विजिलेंस की जांच में सामने आ चुके हैं। एचसीएस और ड्रग इंस्पेक्टर सहित तमाम भर्तियों में हेराफेरी के कारण विजिलेंस जांच के बाद 9 अगस्त, 2008 को हरियाणा के तत्कालीन राज्यपाल को हरियाणा लोकसेवा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ बांगड़ और अन्य सदस्यों को निलंबित करने के आदेश देने पड़े थे। सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने भी 12 नवम्बर, 2010 को अपने आदेश में तत्कालीन राज्यपाल के इस आदेश को सही ठहराया था। उन्होंने कहा कि आज फिर से प्रदेश में भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार सत्ता पर काबिज है। आज फिर से भर्ती आयोगों को ‘अटैची आयोगों’ में तब्दील कर दिया गया है। खट्टर साहब के हरियाणा लोक सेवा आयोग द्वारा हाल के वर्षों में जितनी भी भर्तियां की गई उनमें से एक भी भर्ती ऐसी नहीं है जो दागी ना हो। खट्टर साहब ने सत्ता में आते ही एचसीएस 2016 की जिस भर्ती पर पारदर्शिता के सबसे अधिक ढोल पीटे, उसकी मुख्य परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं में भी 2001 और 2004 की भर्तियों की ही तरह काटकर अंक बदले जाने की बात सामने आई हैं। उसके बाद असिस्टेंट प्रोफेसर और एडीए की भर्तियां बिना क्राइटेरिया घोषित किए ही निबटा डाली गई । असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती में कुछ विषय तो ऐसे भी थे जिनमें 20-20 प्रश्न गलत दिए गए थे। यही नही, मुकद्दमे से बचने के लिए आधी रात को भी नौकरियों की जोइनिंग करवाई गई। असिस्टेंट प्रोफेसर की एक भर्ती में दो-दो क्राइटेरिया निकलकर आ रहे हैं। पिछली एचसीएस की भर्ती की प्रारंभिक परीक्षा का मुकद्दमा सभी को याद ही होगा जब हरियाणा प्रशासनिक पंचाट का शिगूफा छोड़कर वकील साथियों को उच्च न्यायालय में हड़ताल पर बैठने के लिए मजबूर कर दिया गया था। इस बार की एचसीएस भर्ती तो ‘थैली तंत्र’ का नायाब नमूना है।खट्टर साहब की एचपीएससी का डिप्टी सेक्रेटरी सरेआम करोड़ों रुपये की रिश्वत से भरी अटैची के साथ पकड़ा जाता है।खट्टर साहब की विजिलेंस उस एक एचसीएस अधिकारी और उसके 2 गुर्गों पर सारा मामला डालकर घोटाले की जांच खत्म कर देती है। अटैची कांड में उलझी उसी एचसीएस की प्रारंभिक परीक्षा विपक्ष के दबाव में पुनः आयोजित की गई। एक बार नोटिफिकेशन जारी करके कैंडिडेट्स से कहा गया कि पांचवे विकल्प के रूप में ‘#’ का विकल्प दिया जाएगा। जो प्रश्न उन्होंने नही हल किए उनके लिए ‘#’ का विकल्प भरना अनिवार्य होगा और इसके लिए 5 मिनट का अतिरिक्त समय दिया जाएगा। इसके आधे घण्टे बाद नोटिफिकेशन बदलकर अतिरिक्त समय देने वाली बात हटा दी गई। आयोग के निर्देशों को गम्भीरता से लेने वाले अभ्यर्थियों ने इस अधिसूचना को गम्भीरता से लिया और बिना हल किए प्रश्नों के लिए अपना समय खराब करके # का विकल्प भरकर आए लेकिन, बहुत सारे अभ्यर्थियों ने ये विकल्प नही भरा। स्वाभाविक सी बात है कि अगर इस ‘#’ वाले पांचवें विकल्प को अनिवार्य बना दिया जाता तो जिन मुन्नाभाइयों का पिछली परीक्षा का लेन देन बकाया था और जिनको विजिलेंस जांच में बचा लिया गया था उनका पैसा वापिस करना पड़ता इसलिए एचपीएससी ने खुद की ही अधिसूचना का पालन नही किया। ये एचपीएससी लोकसेवा आयोग नही अटैची आयोग बन चुका है जो प्रदेश की युवा प्रतिभाओं को बर्बाद करने में लगा हुआ है।उन्होंने आरोप लगाया कि इस आयोग के चेयरमैन, सभी सदस्यों और सेक्रेटरी को पहले की ही तरह तुरन्त निलंबित किया जाए और उनके खिलाफ आपराधिक मुकद्दमे दर्ज करके उन्हें गिरफ्तार करके उच्च न्यायालय के किसी वर्तमान न्यायाधीश से इनके घपले-घोटालों तथा भाजपा-जजपा की सरकार में बैठे लोगों के साथ इनकी सांठगांठ की जांच की जाए। यदि खट्टर साहब ऐसा नही करते हैं तो कांग्रेस पार्टी इनके घोटालों का पर्दाफाश करने के लिए सड़क से लेकर सदन तक संघर्ष करेगी। Post navigation सुप्रीम कोर्ट का फैसला सिखों की वैचारिक फतेह : मुख्यमंत्री अहीर रेजिमेंट की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर जारी धरने को समर्थन देने पहुंचे दीपेंद्र हुड्डा