और वो भी राजनितिक मुसीबत। चीता या गाऊँ माता.

अपने चीफ मिनिस्टर मनोहर लाल जी में नए नए गुण आ रहे है। कभी वो एक विषय के शिक्षक द्वारा दूसरा विषय पढ़ाने की बात करते है। अब सिरसा में तो उन्होंने कमाल कर दिया। हुआ यह की वहा उनके जन सवांद कार्यकर्म में एक व्यक्ति ने उनके सामने जबरदस्त राजनीतिक संकट खड़ा कर दिया। अपने प्रधानमंत्री मोदी जी तो चीते लेकर जश्न मना रहे है लेकिन उस व्यक्ति ने मनोहर लाल को कह दिया की जनाब चीते पे सेंकडो करोड़ खर्च दिया कुछ करोड़ गौ माता पर भी खर्च देते।

अब खट्टर साहिब इसका क्या जवाब देते ? न निगल सकते न उल्ट सकते। वो व्यक्ति यही नहीं रुका। बोला चीता तो आदमी खायेगा लेकिन गौ माता तो दूध देगी। इस बार तो उसने खट्टर पर हाईड्रोज़ेन बम फैंक दिया। वो बोला की वोट चीते के नाम से नहीं गौ माता के नाम से मिलनी है। अब मनोहर लाल इसका क्या जवाब देते ?

चीता तो उनके बॉस का प्रिय और गौ माता की उपेक्षा भी नहीं कर सकते। अब खट्टर साहिब ठहाके मार के हँसते रहे।

वैसे उस व्यक्ति ने ठीक कहा था की वोट गौ माता के नाम से मांगते हो। प्रदेश में गोशालाओं के दशा बहुत खराब है।
लेकिन सरकार अब गौ माता की बजाये गीता पर जयादा जोर दे रही है। वैसे सही कहा है की खुदा जब हुस्न देता है तो नजाकत आ ही जाती है। राजयोग भी हुस्न से कम नहीं।

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