बाजरा खरीद पॉलिसी घोषित नहीं करने को लेकर किसानों में रोष
भाकिसं ने सीएम, डिप्टी सीएम और कृषि मंत्री को के नाम सौंपा ज्ञापन
बिना देरी किए बाजरा खरीद पॉलिसी घोषित करने की मांग की गई
किसानों ने दिया तीन दिन का अल्टीमेटम 15 के बाद बड़ा आंदोलन

फतह सिंह उजाला

पटौदी । मौजूदा सरकार पूरी तरह से पूंजी पतियों पर मेहरबान है और सरकार की नीतियां पूंजी पतियों के हितकारी ही दिखाई दे रही है। सत्तासीन सरकार को किसानों और किसानों की उपज की चिंता नहीं है। शायद यही कारण है कि अभी तक हरियाणा सरकार के द्वारा बाजरा खरीद नीति की घोषणा नहीं की गई है। बाजरा की फसल पककर तैयार हो चुकी है, किसान कटाई करने के बाद बाजरा को खुले बाजार में सरकार के घोषित खरीद दाम से कम दाम पर बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं। यह बात सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस के ही घटक माने जाने वाले भारतीय किसान संघ के पदाधिकारियों के द्वारा कहीं गई है। सोमवार को भारतीय किसान संघ हरियाणा के बैनर तले अनेक किसानों ने पटौदी लघु सचिवालय परिसर में अपनी मांगों के समर्थन सहित सरकार के द्वारा जल्द से जल्द बाजरा खरीद नीति की घोषणा किए जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी भी की । इस दौरान किसान एकता जिंदाबाद-किसानों की उपज का पूरा मिले भुगतान , जैसे नारे भी लगाए गए ।

सोमवार को भारतीय किसान संघ हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश छिकारा और भारतीय किसान संघ के ही वरिष्ठ पदाधिकारी मास्टर ओम सिंह चौहान के नेतृत्व में अनेक किसानों के द्वारा पटौदी के एसडीएम प्रदीप कुमार को हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर , हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला और हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल के नाम अपनी मांगों के समर्थन में ज्ञापन सौपे गए। ज्ञापन लेने के बाद एसडीएम प्रदीप कुमार ने आश्वासन दिलाया कि बिना देरी किए किसानों की यह मांग संबंधित मंत्रियों तक भिजवा दी जाएगी। इसी दौरान किसानों ने जो कुछ भी परेशानी आ रही है , उसके विषय में भी एसडीएम पटौदी को विस्तार से जानकारी देकर भविष्य में परेशानी ना हो इसका भी आग्रह किया । इस मौके पर भारतीय किसान संघ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ओम सिंह चौहान, जिला अध्यक्ष ओम प्रकाश, जय सिंह , अनिल सिंह, दिनेश कुमार, सोमदत्त सिंह, रामनिवास, संजय सिंह, जय भगवान, मनोज कुमार, वीरेंद्र सिंह, संजय सहित अनेक किसान मौजूद रहे।

भारतीय किसान संघ के द्वारा सौंपे ज्ञापन में बताया गया है कि 1 सितंबर से दक्षिणी हरियाणा की अधिकांश अनाज मंडियों में बाजरे की आवक आरंभ हो चुकी है। इसी कड़ी में पटौदी मंडी नगर परिषद की जाटोली अनाज मंडी में 1 सितंबर को बाजरे का भाव 2000 प्रति क्विंटल रहा , यही भाव 10 सितंबर को 1750  क्विंटल व्यापारियों के द्वारा बोल, बाजरा खरीदा जा चुका है । जबकि सरकार के द्वारा बाजरा खरीद का न्यूनतम अथवा समर्थन मूल्य 2350 घोषित किया गया है। जोकि बाजरा की फसल उपज में लागत को देखते हुए बहुत ही कम है । सौंपे गए ज्ञापन में किसान और भारतीय किसान संघ हरियाणा के द्वारा मांग की गई है कि सरकार जल्द से जल्द अपनी  बाजरा खरीद नीति, खरीद करने के समय की घोषणा करें। जितना अधिक सरकार के द्वारा विलंब किया जा रहा है, उतना ही अधिक नुकसान किसानों को अपनी बाजरा की उपज कम दाम पर बेचने के कारण आर्थिक रूप से झेलना पड़ रहा है ।

ज्ञापन सौंपने के बाद भारतीय किसान संघ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मास्टर ओम सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष सतीश छिकारा ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि सरकार की ढुलमुल नीति के कारण इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि किसानों के नाम पर बाजरा बेचने के लिए अधिकांशत नकली किसानों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है । किसान नेताओं ने बेबाक शब्दों में कहा कि सरकार अपनी बाजरा खरीद नीति को साफ साफ शब्दों में बताएं । क्या जो सरकारी समर्थन मूल्य है और इसके अलावा जिन किसानों के द्वारा मंडी में लाया गया बाजरा व्यापारियों ने कम दाम पर खरीद लिया है उसका भावांतर योजना के तहत किसानों को भुगतान किया जाएगा या नहीं किया जाएगा ? किसानों को औसतन 600 प्रति क्विंटल बाजरा का सीधा आर्थिक नुकसान हो रहा है ।

इसके अलावा बाजरा बेहद संवेदनशील फसल है , अधिक समय तक किसान भाई और किसान परिवार बाजरा को अपने पास इसका स्टॉक कर रख भी नहीं सकते हैं। किसान नेताओं ने साफ साफ शब्दों में कहा कि जो फर्जी रजिस्ट्रेशन कथित रूप से नकली किसानों के नाम करवाया जा चुका है, अंतिम समय में ऐसे ही लोगों का बाजरा सरकार की खरीद के रिकॉर्ड में पहुंच जाएगा और जो वास्तव में किसान को उसकी उपज का दाम मिलना चाहिए वह पैसा व्यापारी या फिर पूंजीपति के पास पहुंचेगा। किसान नेताओं ने सरकार से चेतावनी देते हुए कहा कि 3 दिन के अंदर अपनी बाजरा खरीद नीति की घोषणा करें अन्यथा 15 सितंबर के बाद किसान वर्ग कठोर कदम उठाते हुए बड़ा आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे। यदि ऐसे हालात बनते हैं तो इसके लिए पूरी तरह से राज्य सरकार शासन प्रशासन सहित खरीद एजेंसियां ही जिम्मेदार होंगे। 

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