गांयों की बुखार से मौत को प्रशासन लम्पी बीमारी से हुई मौत न मानने की जो भूल कर रहा है, उससे भी लम्पी संक्रमण फैल रहा है : विद्रोही

12 सितम्बर 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि गोवंश में फैली लम्पी बीमारी पर जो सरकार व प्रशासन को गंभीरता दिखानी चाहिए, उसका भारी अभाव है। विद्रोही ने कहा कि यदि हरियाणा भाजपा सरकार व पशु पालन विभाग सजग व गंभीर होता तो जब राजस्थान की गायों में लम्पी का वायरस फैल रहा था और वहां भारी सख्ंया में गायों की मौत हो रही थी, तभी राजस्थान से जो गायों के झूंड के झूंड हरियाणा में आते है, उन्हे तत्काल रोका जाता। वही उसी समय गांयों में व्यापक टीकाकरण अभियान चलता तो शायद हरियाणा में लम्पी बीमारी पैर नही पसारती। लम्पी बीमारी में गायो को बुखार आता है और इस बीमारी की अज्ञानता के चलते पशु चिकित्सक साधारण बुखार व लम्पी वायरस के बुखार में अतर नही कर पाते जिसके चलते जो प्रारंभिक सावधानी बरतनी चाहिए थी, वे नही बरती गई। वहीं गांयों की बुखार से मौत को प्रशासन लम्पी बीमारी से हुई मौत न मानने की जो भूल कर रहा है, उससे भी लम्पी संक्रमण फैल रहा है।

इसका उदाहरण देते हुए विद्रोही ने बताया कि राजस्थान सीमा से लगते बावल उपमण्डल के गांव खंडोडा में चार गाये लम्पी वायरस के बुखार की वजह से मरी, लेकिन प्रशासन ने अभी तक इन गांयों की मौत को लम्पी से हुई मौत मानकर खंडोडा गांव व आसपास गांवों में लम्पी संक्रमण रोकने की तय गाईड लाईन का भी पालन नही किया। अगस्त के प्रथम सप्ताह में राजस्थान के जैसरमेर-बाडमेर की हजारों गांयों का एक झूंड चार दिन तक खंडोडा गाव में डेरा जमाये जा रहा था जिसके चलते 10 अगस्त को खंडोडा गांव की गांयों में लम्पी संक्रमण की वजह से बुखार शुरू हुआ जिसके चलते 21 अगस्त को एक किसान एतबार पुत्र चंदर कीे दुधारू गाय की मौत हो गई व 26 अगस्त को एक और किसान हंसराज पुत्र अमर सिंह की दो दुधारू गायो की मौत हो गई। खंडोडा गांव में पशु चिकित्सालय है, पर स्थानीय डाक्टर ने इसे लम्पी वायरस न समझकर केवल साधारण बुखार समझ कर टिका लगा गया। 10 सितम्बर को खंडोडा के किसान मेहरचंद की दुधारू गाय की लम्पी बीमारी से मौत हो गई। 

विद्रोही ने कहा कि खंडोडा गांव की उक्त चारो गाय लम्पी बीमारी से मरने के बाजजूद जिला प्रशासन ने इन मौतों को लम्पी वायरस से हुई मौत नही माना। उक्त चारो गायों के पूरे शरीर में गांठे पड़ गई थी और 4-5 दिन उक्त गाय पैर पीटकर बुरी हालत में मरी। इन दुधारू गायों का दूध भी अंतिम समय सूख गया था। इन चार गायोंं की मौत के बाद खंडोडा गांव की जो गायों को टिका लगा, वह एक एमएल का टिका लगाया जबकि सभी गायों को 3 एमएल का टीका लगना चाहिए था। वहीं टीका लगाते समय हर बार नई सींरिज का प्रयोग होना व दस्ताने पहनकर ही टीका लगना चाहिए ताकि एक गाय से दूसरी गाय में लम्पी का संक्रमण न फैले। पर ऐसी सावधानी नही बरती जा रही जो खतरनाक है। खंडोडा गांव के किसानों ने अपनी गायो का बीमा नही करवा रखा था जिससे उन्हे मुआवजा भी नही मिल पायेगा। विद्रोही ने कहा कि रेवाडी जिले सहित पूरे हरियाणा के हर गांव में गायो को तत्काल 3 एमएल का टीका लगाया जाये और टीका लगाते समय सभी गाईड लाईनों का पालन हो। वहीं हरियाणा से राजस्थान आने वाली गायो के झूंडों को तत्काल रोका जाये व हरियाणा में इस समय गायो के जो झूंड है, उन्हे भी तत्काल खदेडक़र बाहर किया जाये। 

विद्रोही ने कहा कि लम्पी वारयस ने हमे पशु चिकित्सा ढांचे को मजबूत करने का एक अवसर दिया है, क्योंकि हरियाणा में यह बहुत कमजोर है। प्रदेश में पशु चिकित्सकों के कुल स्वीकृत पदों में से 30 प्रतिशत पद व वीएलडी के 40 प्रतिशत पद खाली पड़े है। जब पशु चिकित्यालयों में चिकित्सक व सहायक ही नही होगे तो पशुओं का ईलाज कैसे संभव है। विद्रोही नेे कहा कि इस समय बरसात के कारण मच्छारों व गदंगी की भरमार है जिससे पशुओं व आमजनों में बीमारी फैलने का खतरा बना हुआ है। ऐसी थिति में सरकार विशेष फोगिंग व सफाई अभियान चलाये। जिन गांवों में गायो को बुखार है या लम्पी बीमारी के लक्षण है, उन्हे तत्काल अन्य पशुओं से अलग-थलग किया जाये। वहीं जिन गायो का बीमा अभी नही हुआ है, उनका तत्काल बीमा हो और जिन गायो की बिना बीमा मौत हो गई, उनके मालिकों को सरकार विशेष मुआवजा अपनी ओर से दे। 

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