सुुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को तीसरी बार फिर निर्देश दिया कि पंजाब के मुख्यमंत्री व हरियाणा के मुख्यमंत्री को साथ बैठाकर वार्ता की जाये और इसकी प्रगति रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को दे। विद्रोही 7 सितम्बर 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने एक बयान में कहा कि एसवाईएल नहर निर्माण संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट का विगत छह वर्षो में तीसरी बार पंजाब, हरियाणा सरकार व केन्द्र सरकार से बातचीत से इस समस्या का हल निकालने का निर्देश देने के बाद भी स्थिति ज्यों की त्यों है। विद्रोही ने कहा कि मंगलवार को सुुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को तीसरी बार फिर निर्देश दिया कि पंजाब के मुख्यमंत्री व हरियाणा के मुख्यमंत्री को साथ बैठाकर वार्ता की जाये और इसकी प्रगति रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को दे। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट अगली सुनवाई 19 जनवरी 2023 को करेगा। सवाल उठता है कि जब पंजाब सरकार हरियाणा को उसके हिस्से का नदियों का पानी देने व पंजाब में अधूरी पडी एसवाईएल नहर निर्माण करवाने को पंजाब सरकार तैयार ही नही है तो ऐसे निर्देश समय की बर्बादी के सिवाय कुछ नही। पंजाब में अधूरी पडी एसवाईएल नहर निर्माण के संदर्भ में जनवरीे 2002 में सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों की पीठ ने हरियाणा के पक्ष में फैसला देकर पंजाब सरकार के एक वर्ष में नहर निर्माण करने में असफल रहने पर केन्द्र सरकार को सेना की निगरानी में सीमा सड़क संगठन द्वारा अधूरी पडी नहर का निर्माण का जो आदेश दिया था, वह आदेश 20 साल बाद भी जमीन पर नही उतरा। विद्रोही ने कहा कि इस संदर्भ में पंजाब विधानसभा द्वारा वर्ष 2004 में पारित पंजाब वाटर ट्रीटी टर्मिनेशन एक्ट को भी सुप्रीम कोर्ट 10 नवम्बर 2016 को रद्द कर करके एसवाईएल नहर निर्माण का आखिरी अवरोध भी दूर कर चुका है। ऐसी स्थिति में सहमति से हल निकालने का राग बेमानी है। जब पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट के बार-बार वार्ता से हल निकालने के आदेशों की अवेहलना कर चुकी हो तो तीसरी बार ऐसे निर्देश से कोई समाधान होगा, यह केवल मृगतृष्णा है। अब समय आ गया है कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले को लम्बा खींचने की बजाय कडा स्टैंड लेकर 2002 के आदेश की परिपालना करवाने के लिए केन्द्र सरकार को बाध्य करना होगा। विद्रोही ने कहा कि इस समस्या का एकमात्र यही हल है कि सुप्रीम कोर्ट एक तय सीमा में केन्द्र सरकार से सेना की निगरानी में पंजाब में अधूरीे पडी एसवाईएल का निर्माण केन्द्रीय सीमा सड़क संगठन से करवाये और यदि केन्द्र सरकार अपने कर्तव्य का पालन न करे तो प्रधानमंत्री के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट कड़े कदम उठाये। सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2002 के फैसला अनुसार हरियाणा को न्याय देने के लिए इसके अलावा अब अन्य कोई रास्ता नही बचा है। Post navigation कुपोषण मुक्त हरियाणा की परिकल्पना के तहत गांव से शहर तक जनांदोलन ने पकड़ी रफ्तार खोये हुओं का सहारा बनी हरियाणा पुलिस, सिर्फ 8 महीने में ढूंढे 378 बच्चे ………