भाजपा-जजपा खट्टर सरकार ने पंचायत चुनावों में पंच, सरपंच के चुनाव में पिछडे वर्ग ए ब्लॉक को आरक्षण देना व पिछडा वर्ग बी ब्लॉक को आरक्षण से वंचित करने का निर्णय क्या संविधान की कसौटी पर खरा उतर पायेगा, यह लाख टके का सवाल है। विद्रोही
भाजपा-जजपा सरकार ने पंचायत चुनावों में आधा-अधूरा आरक्षण देकर वोट बैंक की राजनीति की जो चाल चली है, वह पंचायत चुनावों पर ही भारी न पड़ जाये : विद्रोही

4 सितम्बर 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने एक बयान में कहा कि भाजपा-जजपा खट्टर सरकार ने पंचायत चुनावों में पंच, सरपंच के चुनाव में पिछडे वर्ग ए ब्लॉक को आरक्षण देना व पिछडा वर्ग बी ब्लॉक को आरक्षण से वंचित करने का निर्णय क्या संविधान की कसौटी पर खरा उतर पायेगा, यह लाख टके का सवाल मुंह बाये खडा है। विद्रोही ने कहा कि क्या सरकार के इस अविवेकपूर्ण कदम के बाद न्यायालय से पंचायत चुनावों को पिछडे वर्ग ए ब्लॉक को आरक्षण देने के प्रावधान के साथ चुनाव करवाने की अनुमति मिलेगी या नही, यह भी भविष्य के गर्भ में है।

भाजपा-जजपा सरकार ने पंचायत चुनावों में आधा-अधूरा आरक्षण देकर वोट बैंक की राजनीति की जो चाल चली है, वह पंचायत चुनावों पर ही भारी न पड़ जाये। सरकार के ऐसे ही अविवेकपूर्ण कदमों से हरियाणा में पहले ही पंचायत चुनावों में दो साल की देरी हो चुकी है। वहीं यह भी महत्वपूर्ण सवाल है कि पिछडे वर्ग ब्लॉक ए को पंच व सरपंच के चुनाव में आरक्षण का प्रावधान किया है, लेकिन ब्लॉक समिति व जिला परिषद सदस्यों व अध्यक्षों का चुनाव में पिछडा वर्ग ए को आरक्षण से वंचित क्यों रखा गया? 

विद्रोही ने कहा कि कानून के अनुसार आरक्षण का पात्र पिछडा वर्ग है न कि पिछडा वर्ग ए व बी ब्लॉक। समस्त पिछडे वर्ग को आरक्षण दिये बिना एक वर्ग को आरक्षण देकर व एक पिछडे वर्ग को आरक्षण न देकर हरियाणा भाजपा-जजपा सरकार ने स्वयं पिछडे वर्ग ब्लॉक ए को दिये आरक्षण को अपने ही आचरण से न्यायालय के हस्ताक्षेप करने का खुला रास्ता दे दिया है। भाजपा सरकार के इस कदम से यह शंका उठना स्वभाविक है कि क्या सरकार पिछडे वर्ग ए को आरक्षण देने के प्रति गंभीर है या नही या केवल आरक्षण देने के नाम पर आच्ैछी राजनीति ही कर रही है।

वहीं पिछडे वर्ग ए ब्लॉक को प्रदेश में एक यूनिट मानकर पंचायत चुनावों में आरक्षण देने की बजाय वार्ड वाईज व गांव वाईज 2 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या को आधार मानकर आरक्षण दिया गया हैे जो कानून की अवेहलना है। आरक्षण एकमुश्त एक आधार पर तो दिया जा सकता है, पर उस आरक्षण को टुकडों में बांटकर अलग-अलग गांव, क्षेत्र को आधार बनाकर कानूनन कैसे दिया जा सकता है, यह संवैद्यानिक सवाल भी मुंह बाये खड़ा है। विद्रोही ने कहा कि उनकी समझ के अनुसार सरकार को पंचायत चुनावों में पिछडे वर्ग ए को दिया आरक्षण न्यायिक स्क्रूटनी में टिक नही पायेगा और भाजपा ऐसा आरक्षण देने की बजाय आरक्षण देने का दिखावा करके केवल वोट बैंक की राजनीति कर रही है।

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