भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक गुरुग्राम। कांग्रेस की हल्ला बोल रैली फिर संगठित होकर विपक्षी दल की भूमिका में अग्रणी रहने की कवायद लगती है। बहुत समय से कांग्रेस बिखरी-बिखरी नजर आ रही है। भाजपा कांग्रेस के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष राहुल गांधी को पप्पू साबित करने में काफी कामयाब रही। परिणामस्वरूप जी-23 का उदय हुआ। अनेक दिग्गज कांग्रेस छोड़ गए। अब तैयारी कांग्रेस के कर्मठ कार्यकर्ताओं को एकत्रित कर संघर्ष पथ पर आगे बढऩे की। अब हरियाणा की बात करें तो हरियाणा में कांग्रेस 2014 के बाद से ही बिखरी-बिखरी नजर आई है। पहले कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे अशोक तंवर को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का सहयोग या समर्थन नहीं मिला, बल्कि विरोध ही मिला। उसके पश्चात अध्यक्ष पद कुमारी शैलजा को सौंपा गया। परिस्थितियों में कोई अंतर आता दिखाई नहीं दिया। बात वही रही। अध्यक्ष की राहें अलग और भूपेंद्र सिंह हुड्डा की राहें अलग। परिणामस्वरूप समय से पहले कुमारी शैलजा ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। यह दूसरी बात है कि कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें कांग्रेस वर्किंग कमेटी का मैंबर बना दिया और इधर भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हरियाणा की कमान सौंप दी। अब भूपेंद्र सिंह हुड्डा के अनुमोदन पर चौ. उदयभान को कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। हाईकमान ने 4 कार्यकारी अध्यक्ष भी बना दिए, जिनमें हुड्डा का समर्थक केवल एक बाकी तीन का समर्थन भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मिलता नजर आ नहीं रहा, जिसके परिणामस्वरूप भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी अब तक कांग्रेस का हरियाणा में संगठन खड़ा नहीं कर पाए हैं। वर्तमान में हल्ला बोल रैली कांग्रेस हाईकमान का कार्यक्रम है। अत: भूपेंद्र सिंह हुड्डा के विरोधी भी इस कार्यक्रम की उपेक्षा नहीं कर सकते, क्योंकि वे भी हाईकमान में अपने नंबर कम नहीं करना चाहते। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के विपक्षी सब अपने स्तर पर अपनी-अपनी तैयारियां कर रहे हैं। संभव है कि हल्ला बोल रैली में भूपेद्र सिंह हुड्डा के पक्ष और विपक्षियों में कौन अधिक जनता ले गया, इसका मुकाबला हो सकता है। कहने का तात्पर्य यह है कि महंगाई के विरूद्ध आवाज उठाने वाली हल्ला बोल रैली में हरियाणा में महंगाई तो कहीं पीछे रह गई लगती है लेकिन अपना-अपना नाम चमकाने की होड़ अधिक दिखाई देती है। इस रैली से पूर्व भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गुलाम नबी आजाद से मिलना विवादित हो रहा है। उसकी शिकायत हाईकमान से की जा रही हैं। कुमारी शैलजा और प्रभारी विवेक बंसल के विरूद्ध हुड्डा समर्थक आवाज उठा रहे हैं। फिर वही बात कि महंगाई के लिए हल्ला बोल रैली के समय हरियाणा कांग्रेस में फिर गुटबाजी अत्याधिक नजर आ रही है। वास्तविकता तो यह है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने जो पिछले आठ वर्षों में अपने समर्थकों को निष्क्रिय रहने के निर्देश दिए थे, उनका परिणाम खुद भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सामने आ रहा है कि जो समर्थक आठ साल निष्क्रिय रहे, उन्हें जनता भी भुला चुकी है या जनता का उनसे विश्वास उठ गया है। अब देखना होगा कि इस रैली में हुड्डा समर्थक कांग्रेसी जनसमर्थन जुटा पाते हैं या नहीं। Post navigation सिंगापुर में हरियाणा के उत्कर्ष को आईस स्केटिंग में पदक देश के भविष्य के निर्माता हैं शिक्षक…….. सामाजिक परिवर्तन की मूल इकाई हैं शिक्षक