31 अगस्त विमुक्ति दिवस – घुमंतु जातियों को मिली वास्तविक स्वतंत्रता:-पूनम आर्यनगर देश की घुमन्तु जातियां आज भी मुख्य धारा से वंचित:-पूनम आर्यनगर हिसार 31 अगस्त,2022 – सामाजिक कार्यकर्ता पूनम आर्यनगर ने बताया कि हमारा देश और हम सभी नागरिक 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुए किंतु देश की घुमंतू जातियों के चार करोड़ लोगों का दर्जा तब भी कानूनी रूप से गुलाम ही बना रहा. घुमंतू जातियों के इन गुलामों हेतु भारत सरकार ने 31 अगस्त 1952 को एक क़ानून बनाकर इन्हें स्वतंत्र घोषित किया फलस्वरूप इन जातियों के लोगों हेतु 31 अगस्त को विमुक्ति दिवस स्वतंत्रता दिवस कहा गया. इन 191 घुमंतू जातियों के लोगों ने 1857 की क्रांति में बढ़-चढ़कर भाग लिया, और अंग्रेजों को भरपूर छकाया व परेशान किया फलस्वरूप ये अंग्रेजों की आँखों की किरिकिरी बन गए थे. इसमें कोई संदेह नहीं कि ये जातियां आधुनिक सभ्यता व विकास से कटी हुई अलग थलग रहती थी किंतु 1857 की क्रांति में पुरे देश व समाज का इन्होने जिस प्रकार साथ दिया उसके बाद इन जातियों ने अलग स्थान बना लिया अपनी युद्ध कला, बलिष्ठता, बुद्धि, लड़ाकेपन व आपराधिक बुद्धि का भरपूर उपयोग इस समाज ने अंग्रेजों के पैर उखाड़ने में किया था 1857 के बाद से ही अंग्रेज इन जातियों पर तीक्ष्ण नजर रखने लगे व इनके लिए देश भर में 50 अलग बस्तियां बना दी गई थी जिनसे बाहर निकलते समय व अन्दर आते समय इन्हें शासकीय तंत्र को विधिवत सुचना देनी होती थी इसी क्रम में 1871 में इन लड़ाकू 193 जातियों को अंग्रेजों ने आपराधिक जातियां घोषित कर दिया जसबीर कुमार ने कहा कि ‘आज़ादी के बाद तत्कालीन आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया, वहीं अछूतों और दलितों को अनुसूचित जाति के रूप में वर्गीकृत किया गया, और उसी आधार पर उन्हें विभिन्न सुविधाएँ प्रदान करके मुख्यधारा में शामिल करने के प्रयास भी किये गए हैं| लेकिन आपराधिक जनजाति अधिनियम’ से प्रभावित जनजातियों की कोई खबर नहीं ली गई| अपवादस्वरूप अगर कुछ राज्यों को छोड़कर अन्य किसी भी राज्य सरकार ने इन्हें किसी भी सूची में शामिल नहीं किया, जो बहुत ही चिंताजनक है| इस संबंध में केंद्र सरकार को इनकी गणना के लिये समुचित प्रयास करते हुए इन्हें भी अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल करने के प्रयास किये जाने चाहियें| Post navigation पूरे राज्य को एक यूनिट मानकर दिया जाए पिछड़ा वर्ग को आरक्षण- एडवोकेट खोवाल कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव पर विवाद