अगर गडकरी नहीं रुके तो आगे और होगी कार्रवाई’
गडकरी ने अपने एक बयान को लेकर मीडिया पर आरोप लगाते हुए कहा है कि उनके ख़िलाफ़ मनगढ़ंत अभियान चलाया जा रहा है

अशोक कुमार कौशिक 

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने कद्दावर नेता और नरेंद्र मोदी कैबिनेट में परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पार्टी के संसदीय बोर्ड से हटाने का आश्चर्यजनक फैसला कर लोगों को चौंका दिया था।

हालांकि, कहा जा रहा है कि इस निर्णय में आरएसएस नेतृत्व की भी सहमति थी। बीजेपी और संघ दोनों ही गडकरी के हालिया बयानों और टिप्पणी करने की प्रवृत्ति से नाराज था।

भाजपा के कई वरिष्ठ सूत्रों के अनुसार संघ नेतृत्व ने भाजपा के पूर्व प्रमुख गडकरी को उनकी ऐसी टिप्पणी करने की प्रवृत्ति के खिलाफ आगाह किया था, जो उन्हें सुर्खियों में लाती हो और विरोधियों द्वारा इसका इस्तेमाल केंद्र सरकार और पार्टी को शर्मसार करने के लिए की जाती है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नितिन गडकरी ने संघ की बात को नजरअंदाज कर दिया। सूत्रों के मुताबिक, इसके बाद आरएसएस नेतृत्व ने भाजपा नेतृत्व को सुझाव दिया कि पार्टी उन्हें संसदीय बोर्ड से हटाने सहित उचित कार्रवाई करे।

‘अगर गडकरी नहीं रुके तो आगे और होगी कार्रवाई’

संघ के सख्त रुख ने भाजपा नेतृत्व की मदद की जो पहले से ही गडकरी के बयानों से नाराज चल रहा है। इसके बाद उन्हें पार्टी के शीर्ष निर्णय लेने वाले निकाय से हटाने का मन बना लिया। सूत्रों ने कहा कि भाजपा और संघ नेतृत्व दोनों इस बात से सहमत है कि व्यक्ति चाहे किसी भी कद का क्यों ना हो उसे संगठनात्मक आचरण के नियमों के विरुद्ध जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।

संसदीय बोर्ड से बाहर किए जाने को कई लोग एक कड़े कदम के रूप में देखते हैं। सूत्रों का यह भी कहना है कि आरएसएस और भाजपा दोनों के नेतृत्व के इस संदेश को अगर नितिन गडकरी ने गंभीरता से नहीं लिया तो आने वाले समय में उन्हें और भी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।

एक वरिष्ठ सूत्र ने नाम नहीं छापने के अनुरोध पर टीओआई से कहा, “यह केवल सार्वजनिक रूप से उनके बयान ही नहीं हैं, जिन्होंने सुर्खियां बटोरीं। वह अक्सर निजी तौर पर भी लाइन से बाहर हो जाते थे, जिससे सरकार और पार्टी को असुविधा होती थी।” वहीं, बीजेपी के एक वरिष्ठ सूत्र ने कहा, “बीजेपी की तुलना में आरएसएस अक्सर उनके बयानों से अधिक नाराज होता था। नितिन जी को ऐसा नहीं करने की सलाह दी गई। इसके बावजूद वह उसी तरह की टिप्पणी करते थे।”

हाल ही में नितिन गडकरी ने यह कहकर सुर्खियां बटोरीं कि वह राजनीति छोड़ना चाहते हैं क्योंकि यह शक्ति-केंद्रित हो गई है और सार्वजनिक सेवा का साधन नहीं रह गई है। उनके इस बयान पर विपक्षी दल टिप्पणी करने लगे। 2019 में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव हारने के तुरंत बाद और लोकसभा चुनाव से पहले नितिन गडकरी ने कहा था कि जो राजनेता लोगों को सपने बेचते हैं लेकिन उन्हें वास्तविकता बनाने में विफल रहते हैं, उन्हें जनता द्वारा पीटा जाता है।

मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान को संसदीय बोर्ड से हटाने के बारे में सूत्रों ने कहा कि निर्णय लिया गया है कि किसी भी मुख्यमंत्री को निकाय का हिस्सा नहीं बनाया जाएगा। एक सूत्र ने कहा, “अब हमारे पास इतने सारे मुख्यमंत्री हैं और हम उनमें अंतर नहीं कर सकते हैं।”

नितिन गडकरी ने अपने एक बयान को लेकर मीडिया पर आरोप लगाए हैं और कहा है कि उनके ख़िलाफ़ मनगढ़ंत अभियान चलाया जा रहा है।

उन्होंने ट्वीट किया है, “आज एक बार फिर मुख्यधारा की मीडिया, सोशल मीडिया के कुछ प्लेटफ़ॉर्म्स पर और विशेष रूप से कुछ लोगों द्वारा मेरे बयानों को अपने तरीक़े से गढ़कर, राजनीतिक लाभ पाने के लिए मेरे ख़िलाफ़ अभियान चलाया जा रहा है।”

उन्होंने आगे लिखा है कि सार्वजनिक कार्यक्रमों में उनके दिए बयानों को बिना संदर्भ के, मनगढ़ंत तरीक़े से पेश किया जा रहा है।

उन्होंने आगे लिखा है, “हालाँकि मैं इस तरह के मनगढ़ंत और दुर्भावनापूर्ण व्यवहार से कभी भी परेशान नहीं होता हूँ, लेकिन इस तरह की हरकतें करने वाले हर एक को यह चेतावनी कि अगर इस तरह की हरकतें आगे भी जारी रहती हैं तो मैं उन्हें अपनी सरकार, पार्टी और हमारे लाखों मेहनती कार्यकर्ताओं के हित को देखते हुए क़ानून के समझ खड़ा करने में देर नहीं करूँगा। ”

नितिन गडकरी ने अपने इस ट्वीट में बीजेपी, जेपी नड्डा और पीएमओ को भी टैग किया है।

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