भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक गुरुग्राम। दक्षिणी हरियाणा की राजनीति में आ गया उबाल राव इंद्रजीत के जयचंद वाले ब्यान से। न केवल बीजेपी के दिग्गज बोले अपितु कांग्रेस के नेता भी बोलने लगे। पक्ष में बोलने वाले कम नजर आए, विपक्ष में बोलने वाले अधिक। बात का असर हुआ या यह मात्र संयोग है कि केंद्र की संसदीय कमेटी में भी सुधा यादव का नाम आ गया। तो चर्चा यह भी है कि इंद्रजीत के ब्यान का ही असर है। जिस प्रकार से प्रतिक्रियाओं का सिलसिला आरंभ हुआ। सर्व प्रथम रेवाड़ी से अरविंद यादव बोले, रणधीर कापडीवास भी पीछे नहीं रहे, कैप्टन अजय ने भी अपनी भड़ास निकाली, रेवाड़ी से केवल सुनील मूसेपुर का ब्यान पक्ष में आया। इतना ही नहीं राजपूत सभा भी जयचंद के पक्ष में आकर खड़ी हो गई। उनका कहना है कि जयचंद का नाम लेकर राव इंद्रजीत ने राजपूतों का अपमान किया। अब इसे क्या कहें कि जो एक शताब्दी धोखे का प्रतीक के रूप में प्रयोग होता है, उसी के पक्ष में आज राजपूत खड़े हुए हैं, पहले कहा थे। राजनीति में जब किसी नेता की एक बात का इतना व्यापक असर देखने को मिलता है, इसका अर्थ आमतौर से यह लगाया जाता है कि वह व्यक्ति अत्याधिक समर्थ है और मौका मिलते ही उसके विरूद्ध मन में इष्र्या-भाव रखने वाले सक्रिय हो जाते हैं। तात्पर्य कहने का यह है कि यह दक्षिणी हरियाणा में इंद्रजीत के जनसमर्थन की ओर इशारा कर रहा है। इंद्रजीत के समर्थक सदा से ही शांत रहकर काम करने वाले रहे हैं। अखबारों से उनका मोह कम ही रहा है लेकिन जमीनी स्तर पर वह कार्य अवश्य करते हैं। और ऐसा ही अब दिखाई दे रहा है कि इंद्रजीत के समर्थक एकजुट होकर चर्चा करने लगे हैं कि राव साहब को अब खुलकर क्षेत्र के लिए खड़े होना चाहिए और अपने संगठन इंसाफ मंच की सक्रियता बढ़ानी चाहिए। चर्चाकारों कहना है कि राव इंद्रजीत कोई भी बात बिना सोचे-विचारे नहीं करते। उनके कम शब्दों में बड़े अर्थ छुपे होते हैं और अब बोले गए उनके ये शब्द भी मन की टीस के साथ-साथ सोची-समझी राजनीति का इशारा भी हो सकते हैं। राव इंद्रजीत को भाजपा की सदस्यता ग्रहण किए हुए लगभग 9 वर्ष हो गए हैं लेकिन जमीनी स्तर पर ऐसा कभी दिखाई नहीं दिया कि पुराने भाजपाइयों ने इन्हें अपना माना हो और ऐसा ही कुछ इनके समर्थकों के साथ है। वह राव इंद्रजीत के साथ तो हैं लेकिन सरकार के साथ नहीं। यह मैं नहीं कह रहा, स्पष्ट दृष्टिगोचर हो रहा है। जब कभी केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत का प्रोग्राम होता है तो उसमें भाजपा संगठन की भूमिका तो नगण्य रहती ही है लेकिन प्रशासन की ओर से भी लगता ऐसा है कि औपचारिकताएं निभाई जा रही हैं। दक्षिणी हरियाणा में राव इंद्रजीत सिंह और राव नरबीर का बड़े दिग्गज नेताओं में नाम होता था। राव नरबीर को तो भाजपा ने मंत्री होते हुए टिकट न दे, किनारे लगाने का काम किया। और अब ऐसा नजर आ रहा है कि राव इंद्रजीत के साथ भी वही करने जा रही है। दक्षिणी हरियाणा उत्सुकता से देख रहा है कि अब दक्षिणी हरियाणा ही नहीं अपितु हरियाणा की राजनीति में क्या बड़ा खेला होने जा रहा है। Post navigation राष्ट्रीय खेलों के 36वें संस्करण में हरियाणा की मजबूत उपस्थित के लिए खेल मंत्री ने खेल संघों के पदाधिकारियों के साथ गुरुग्राम में की बैठक हर घर तिरंगा अभियान के बाद तिरंगे झंडे को ससम्मान उतारने व रख रखाव को लेकर बरतें सावधानी-एडीसी