बिलकिस बानो मामले में हत्या और सामूहिक बलात्कार के 11 दोषियों को रिहा किए जाने की कड़ी निंदा करते हुए सुप्रीम कोर्ट से गुजरात सरकार के फैसले को रद्द किए जाने की मांग करती है।

गुड़गांव, 19 अगस्त, 2022 – आज अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति गुड़गांव ईकाई ने कमला नेहरू पार्क में इकट्ठे होकर गुजरात सरकार का पुतला फूंका जिसकी अध्यक्षता जिला प्रधान रामवती व संचालन भारती देवी ने किया प्रदर्शन को संबोधित करते हुए जिला सह सचिव आदित्ति गौतम ने कहा कि गोधरा की घटना के बाद गुजरात में बडे़ पैमाने पर सांप्रदायिक नरसंहार हुआ। महिलाओं के साथ सामुहिक बलात्कार और हत्याओं की बर्बर घटनाएं हुईं। बिलकिस बानो के साथ भी ऐसी ही दरिदंगी हुई। बिलकिस बानो उस समय पांच महीने की गर्भवती थी, जब उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। उसकी आंखों के सामने हुई, उसकी मां और उसके परिवार की तीन अन्य महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ। यहां तक कि उसकी तीन साल की बेटी को भी 13 अन्य लोगों के साथ 30 से 40 लोगों की भीड़ ने मार डाला। इनमें से 19 लोगों को आरोपी बनाया गया, विशेष अदालत ने सबूतों के अभाव में इन में से सात आरोपियों को बरी कर दिया, जबकि एक आरोपी की मुकदमें के दौरान मृत्यु हो गई थी। अंततः दोषी ठहराए गए 11 लोगों के खिलाफ स्पष्ट रूप से पर्याप्त सबूत थे।
इन अपराधियों में से एक राधेश्याम शाह ने पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि गुजरात सरकार दो महीने के भीतर अपनी 1992 की माफी नीति के तहत उसके मामले पर विचार करे। यह इंगित करना महत्वपूर्ण है कि 1992 की माफ़ी नीति में सीबीआई अदालत द्वारा तय किए गए हत्या के मामलों को बाहर नहीं किया गया था, जबकि बाद की 2014 की नीति ने इसमें बदलाव कर ऐसे मामलों को माफ़ी से बाहर कर दिया था। इसके बावजूद भी गुजरात सरकार द्वारा एक पैनल का गठन किया जिसने बिलकिस बानो मामले में दोषी ठहराए गए सभी लोगों को रिहा कर दिया। किस आधार पर यह छूट दी गई, यह नहीं बताया गया है लेकिन केवल इतना कारण दिया गया है कि इन दोषियों ने जेल में 15 साल पूरे कर लिए थे।

यह फैसला अपमानजनक और चौंकाने वाला है। इस तरह के जघन्य और हिंसक अपराध के साबित हो जाने के बाद, जिन 11 आरोपियों को उच्च न्यायालय द्वारा आजीवन कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी अर्थात उनका पूरा जीवन जेल में गुजरना चाहिए था, उन बर्बर अपराधियों को गुजरात सरकार ने स्वतंत्रता दिवस के दिन माफी दे दी ।
यह एक प्रकार से न्याय का मखौल उडाना ही है कि इतनी लंबी और यातनाप्रद कानूनी लड़ाई के बाद इस तरह के जघन्य अपराध के दोषी ठहराए गए लोगों को रिहा कर दिया जाये। जिस दिन प्रधानमंत्री अपराधों के खिलाफ महिलाओं की रक्षा की आवश्यकता के मुद्दे पर लाल किले से भाषण दे रहे थे, उसी दिन भाजपा की गुजरात सरकार ने क्रूर सामूहिक बलात्कार और हत्या के दोषियों को रिहा करने का फैसला किया। इससे पता चलता है कि देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं, लेकिन भाजपा सरकार को इन अपराधों में से सबसे क्रूर अपराधों के बारे में भी चिंता नहीं है।

Citu नेता कामरेड सतबीर सिंह ने कहा यह फैसला एक बुरी मिसाल कायम करता है कि मुसलमानों के खिलाफ अपराधों को प्रतीकात्मक दंड और बिना किसी जवाबदेही के किया जा सकता है। यह संघ परिवार के उन तत्वों को अप्रत्यक्ष रूप से प्रोत्साहन देता है जो मौत की धमकियां देते हैं और अल्पसंख्यकों – विशेष रूप से मुसलमानों के खिलाफ हिंसा का आह्वान करते हैं। यह खुला संदेश है कि वे बिना सजा के डर के, बाहर रहते हुये ऐसी घटनाओं को अंजाम दे सकते हैं। इससे फैसले से पता चलता है कि इन अपराधों को सरकार की मौन स्वीकृति प्राप्त थी क्योंकि आम तौर पर सामूहिक बलात्कार और हत्या करने वालों की सजा कम नहीं की जाती है। यहां तक कि इस स्वतंत्रता दिवस पर भी घोषित छूट पर तय केंद्रीय नीति में हत्याओं और बलात्कार के दोषियों को बाहर रखा गया था। गुजरात की भाजपा सरकार के इस फैसले से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि 2002 के सांप्रदायिक नरसंहार में मुसलमान महिलाओं के साथ बलात्कार और हत्याएं अप्रासंगिक हैं और उनके मनुवादी हिंदुत्व के एजेंडे के अनुरूप हैं। जनवादी महिला समिति इस तथ्य की भर्त्सना करती है कि जब ये दोषी जेल से बाहर आए तो किसी नायक की तरह मिठाई के साथ उनका स्वागत किया गया। राज्य सरकार ऐसा होने की अनुमति कैसे दे सकती थी ?
इस बीच, बिलकिस बानो की तकलीफें कम नहीं हो रही हैं, जब उसने सोचा था कि आखिरकार उसे न्याय मिल गया है तभी ये अपराधी रिहा हो गये। ज्ञात हुआ है कि एक बार फिर से उसकी और उसके परिवार की जान खतरे में है और उसे अपनी सुरक्षा का डर सता रहा है। इस हालत में उसे तुरंत सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए।
2019 में सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस को 50 लाख का मुआवजा दिया था और निर्देश दिया था कि उसे एक घर और नौकरी दी जाए। उसे अभी तक घर और नौकरी नहीं दी गई है। सर्वोच्च न्यायालय को एक बार फिर बिलकिस बानो मामले में हत्या और सामूहिक बलात्कार के दोषियों की सजा माफ करने के गुजरात सरकार के इस पूरी तरह से अनुचित, दुस्साहसिक और अमानवीय निर्णय को रद्द करने की मांग करते हैं प्रदर्शन में गिरजा कुमारी, विद्या ,लीलावती, ओमवती, पूनम,तारावती, राजकुमारी, सुमन ,विभा झा,निर्मला कटारिया, रानी ,सरस्वती,मीरा, Dyfi के जिला कन्वीनर रोहिन गर्ग,तनवीर अहमद, सीटू के राज्य उपाध्यक्ष सतबीर सिंह, मेजर एस. एल. प्रजापति, एडवोकेट विनोद भारद्वाज, रेहड़ी पटरी यूनियन के राजेन्द्र सरोहा, विरेंद्र सिंह,शुभराम तंवर, आदि ने भाग लिया