मनोचिकित्सक जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के समक्ष नहीं प्रस्तुत कर सके अपनी रिपोर्ट अगली सुनवाई 26 को गुडग़ांव, 18 अगस्त (अशोक) : प्रिंस हत्याकांड में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड वीरवार को सुनवाई निश्चित थी। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने पिछली तारीख पर मनोचिकित्सक से राय मांगी थी कि क्या आरोपी भोलू की इस समय जांच करना उचित होगा। इस राय पर मनोचिकित्सक को अपनी रिपोर्ट बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत करनी थी, लेकिन किन्हीं कारणों से मनोचिकित्सक अपनी रिपोर्टबोर्ड के समक्ष पेश नहीं कर सके। जिस पर बोर्ड ने रिपोर्ट पेश करने के लिए आगामी 26 अगस्त की तारीख निश्चित की है और मनोचिकित्सक से आग्रह कियाहै कि वे इस तारीख पर अपनी रिपोर्ट बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत करें, ताकि इस मामले में आगे की सुनवाई हो सके। सर्वोच्च न्यायालय ने पीडि़त पक्ष की चिका का गत 13 जुलाई को निपटारा करते हुए जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को आदेश दिए थे कि बोर्ड अपने पूर्व के आदेश पर पुनर्विचार कर यह फैसला ले कि आरोपी भोलू का मामला बालिग आरोपी के रुप में चलाया जाए या फिर नाबालिग आरोपी के रुप में। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पालन करते हुए मनोचिकित्सक से राय मांगी थी कि वे अपनी राय दें कि क्या अब भोलू का कोई टेस्ट कराना प्रासंगिक रहेगा या नहीं। टेस्ट से यह पता लग सके कि जब इस घटना को अंजाम दिया गया था, उस समय भोलू को इतनी समझ थी कि वह जो कर रहा है, उसका क्या परिणाम हो सकता है। गौरतलब है कि वर्ष 2017 की 8 सितम्बर को जिले के एक निजी स्कूल के शौचालय में कक्षा दूसरी के छात्र की गला रेतकर निर्मम हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने आनन-फानन में स्कूल बस परिचालक अशोक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। जब परिजनों ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की प्रदेश सरकार से गुहार लगाई तो सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी थी। जब सीबीआई ने अपने तरीके से मामले की जांच की तो स्कूल में ही शिक्षा ग्रहण कर रहे 11वीं के छात्र भोलू को प्रिंस की हत्या करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था। जो अभी भी हिरासत में है। परिचालक अशोक को सीबीआई ने इस मामले से निकाल दिया था। Post navigation निगम वार्ड बंदी के लिए अन्य पार्टियों को नजरअंदाज करना ठीक नहीं : पंकज डावर सिंगल यूज प्लास्टिक एवं पॉलीथीन स्टॉकिस्टों पर निगम की कार्रवाई