खोवाल ने उठाए पिछड़ा वर्ग आयोग की जनसुनवाई पर सवाल बिना जातीय जनगणना आरक्षण की बात बेमानी-खोवाल सरकार जातीय आंकड़े एकत्रित करके आयोग को भेजें-खोवाल हिसार, 18 अगस्त। ऑल इंडिया बैकवर्ड क्लास फैडरेशन के राष्ट्रीय कानूनी सलाहकार वरिष्ठ अधिवक्ता लाल बहादुर खोवाल ने बताया कि हरियाणा पिछड़ा वर्ग आयोग ने पंचायती राज संस्थाओं में आरक्षण का प्रावधान करने के लिए पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण के अनुपात के संबंध में मुद्दे की जांच करने के लिए जनसुनवाई हेतु अधिसूचना जारी की है। जिसके मुताबिक 19, 20 व 21 अगस्त को पूरे हरियाणा में जन सुनवाई की जानी है तथा 20 अगस्त को आयोग इस बारे सुनवाई के लिए दोपहर बाद तीन बजे लघु सचिवालय हिसार में भी पहुंच रहा है, जिसमें पिछड़ा वर्गों के प्रतिनिधि रिप्रेजेंटेशन देंगे। खोवाल में बताया कि आयोग जिस मकसद से आ रहा है वह मकसद तब तक अधूरा माना जायेगा जब तक जातीय आंकड़ा उसके सामने नहीं होगा। इसलिए आयोग सरकार को तुरंत पत्र लिखकर मांग करें कि सरकार जातीय आंकड़े एकत्रित करके आयोग को भेजें ताकि जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देने के लिए सरकार को रिकमेंड किया जा सके अन्यथा यह समझा जाएगा की बीजेपी सरकार पहले की तरह एक बार फिर आरक्षण की बात करके पिछड़ा वर्ग से धोखा करने जा रही है। बीपी मण्डल कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक ओबीसी की जनसंख्या 52 % बताई गई थी जो अब बढ़कर 55 % से भी ज्यादा हो गई है तथा अब हरियाणा में भी एक अनुमान के मुताबिक पिछड़ा वर्गों की जनसंख्या 35 प्रतिशत से भी ज्यादा है। इसलिए आयोग को सरकार से जातीय आंकड़ा मंगवा कर 35% पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने की अनुशंसा करनी चाहिए ताकि इस शोषित वंचित वर्क को सही अनुपातिक प्रतिनिधित्व दिया जा सके। अगर सरकार फैमिली आईडी या अन्य किसी अनुमानित आधार पर आरक्षण देने का काम करेगी तो उसका हस्र भी अदालत में वही होगा जो पहले होता रहा है क्योंकि अभी तक फैमिली आईडी भी सभी लोगों की नहीं बन पाई है तथा फैमिली आईडी में भी सही जातीय आंकड़ा उपलब्ध नहीं है जिसको कारगर माना जा सके। खोवाल ने सरकार व आयोग से मांग की है कि संविधान के अनुच्छेद 15,16 के प्रावधानों के अनुसार सरकार पिछड़ा वर्ग का क्वांटिफिएबल डैटा एकत्रित करवाए तथा जातीय जनगणना करवा कर पिछड़ा वर्ग को संविधान प्रदत्त अधिकार देने का काम करें तथा पंच से लेकर पार्लियामेंट तक अनुपातिक आरक्षण देने का काम करें।खोवाल ने आगे कहा कि पिछड़ा वर्ग बीजेपी सरकार द्वारा आरक्षण बाबत क्रीमीलेयर निर्धारण की गलत तरीके से संविधान विरुद्ध जारी की गई नई अधिसूचना की मार पहले से ही भुगत रहा है। Post navigation अन्याय के खिलाफ लड़ने की प्रवृत्ति ने रिसर्चर से आईएएस बनाया : अशोक खेमका दूहन अस्पताल व प्रसुति केन्द्र की संचालिका को छह साल बाद मिली कानूनी पचड़ों से मुक्ति