पटौदी तहसीलदार के हाथों बंटवाये अशोक स्तंभ वाले प्रमाण पत्रअशोक स्तंभ वाले प्रमाण पत्र पर एसएमओं डॉ योगेंद्र के हस्ताक्षरकिसकी परमिशन से और कितने ऐसे प्रमाण पत्र प्रिंट करवाएं गएकथित रूप से स्वतंत्रता दिवस समारोह प्रोटोकॉल की भी अवहेलनापटौदी एसएमओ और पटौदी तहसीलदार ने नहीं दिया कोई जवाब फतह सिंह उजाला पटौदी । नौकरी हरियाणा सरकार स्वास्थ्य विभाग की और प्रमाण पत्र पर अशोक स्तंभ प्रकाशित करवा पटौदी के एसएमओ द्वारा अपने हस्ताक्षर कर इन प्रमाणपत्रों को पटौदी की तहसीलदार के हाथों वितरित करवाया गया । जब यह मामला सामने आया जिज्ञासा सहित चर्चा का मुद्दा बन गया और बने भी क्यों नहीं। लाख टके का सवाल यह है कि हरियाणा सरकार का कर्मचारी क्या अपने विभाग के नाम से अशोक स्तंभ वाले प्रमाण पत्र प्रकाशित करवा कर , ऐसे प्रमाण पत्र अपने हस्ताक्षर करके समाज सेवा के नाम पर लोगों के बीच बांट सकता है ? हरियाणा सरकार हो या अन्य प्रदेश सरकार, संबंधित सरकार के मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री और चुने हुए सभी एमएलए अपने ही प्रदेश सरकार का जो भी लोगों होता है अपने-अपने लेटर हेड या सरकारी पत्राचार पर उसका इस्तेमाल करते हैं। लेकिन पटौदी सामान्य नागरिक अस्पताल के एसएमओ डॉक्टर योगेंद्र सिंह ने कथित रूप से अपने ही स्वास्थ्य विभाग के मंत्री अनिल विज जिन्हें कि गब्बर सिंह भी कहा जाता है, उनको चुनौती देते हुए पूरी हरियाणा सरकार के लिए ही एक प्रकार से खुली चुनौती प्रस्तुत कर डाली है । इसका मुख्य कारण है स्वास्थ्य विभाग हरियाणा पाटौदी गुरुग्राम प्रशंसा पत्र पर अशोक स्तंभ प्रकाशित करवा कर नीचे एस एम ओ डॉक्टर योगेंद्र सिंह के द्वारा हरे पेन से अपने हस्ताक्षर करके इनका पटौदी की तहसीलदार श्रीमती रीता ग्रोवर के हाथों समाजसेवियों के बीच उस मंच पर वितरण करवाया गया, जिस मंच पर 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस अमृत महोत्सव उपलक्ष पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अटेली के एमएलए सीताराम यादव मौजूद रहे। अब ऐसे में लाख टके का सवाल यह है कि पटौदी के एसएमओ डॉक्टर योगेंद्र सिंह के द्वारा हरियाणा सरकार के या किस सक्षम अधिकारी के निर्देश पर या फिर परमिशन लेकर स्वास्थ्य विभाग हरियाणा के प्रमाण पत्र पर अशोक स्तंभ को प्रकाशित करवाया गया ? और ऐसे कितने प्रमाण पत्र या प्रशंसा पत्र प्रकाशित करवाने की परमिशन ली गई है । इस मामले में पटौदी के एसएमओ डॉ योगेंद्र सिंह सहित पटौदी की तहसीलदार श्रीमती रीता ग्रोवर से फोन और व्यक्तिगत रूप से संपर्क करने का प्रयास किया गया । लेकिन तहसीलदार रीता ग्रोवर ने मिलना ही जरूरी नहीं समझा, दूसरी तरफ पटौदी नागरिक अस्पताल के एसएमओ डॉक्टर योगेंद्र सिंह को उनके मोबाइल नंबर पर व्हाट्सएप भेजकर जानकारी मांगी गई फिर भी उन्होंने इस मामले में अपना किसी प्रकार का कोई भी पक्ष नहीं रखा है । इस पूरे प्रकरण में सीनियर एडवोकेट लोकेश वशिष्ठ कहना है कि अशोक स्तंभ और इसके इस्तेमाल किए जाने के जो मैनुअल है, उसका पालन किया जाना आवश्यक है। यदि पालन नहीं किया जाता है तो यह कार्य अपराध की श्रेणी में माना जा सकता है। इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट की सीनियर एडवोकेट श्रीमती पर्ल चौधरी का भी कहना है कि अशोक स्तंभ भारतीय तिरंगे की तरह सबसे अधिक सम्मानित प्रतीक चिन्ह है। इसका इस्तेमाल सांसद , केंद्रीय मंत्री , राज्यपाल, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, सहित अन्य अधिकृत प्रतिनिधियों के द्वारा ही अपने पत्राचार के दौरान संबंधित दस्तावेजों पर किया जाना देखा जा रहा है । लेकिन यह अपने आप में बेहद चौंकाने वाला और अनोखा मामला है , जब एक राज्य सरकार के कर्मचारी के द्वारा प्रशंसा पत्र पर अशोक स्तंभ प्रकाशित करवा अपने हस्ताक्षर किए गए । अशोक स्तंभ मैनुअल के मुताबिक इस कार्य को किसी भी प्रकार से न्याय संगत नहीं माना जा सकता । 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आयोजित अमृत महोत्सव के उपलक्ष पर कार्यक्रम के दौरान भी जहां भी स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन किया गया, वहां मंच पर समारोह के अतिथि के द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में श्रेष्ठ कार्य करने वाले लोगों को जो प्रशंसा पत्र अथवा प्रमाण पत्र प्रदान किए गए ऐसे सभी प्रमाण पत्र अथवा प्रशंसा पत्र पर हरियाणा सरकार का ही लोगों प्रकाशित किया हुआ है । तो क्या ऐसे में यह मान लिया जाए पटौदी सामान्य नागरिक अस्पताल के एसएमओ डॉ वीरेंद्र सिंह अपने ही विभाग के मंत्री अनिल विज , हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, हरियाणा के राज्यपाल बंगारू दत्तात्रेय के मुकाबले कहीं अधिक पावरफुल और उच्च पदासीन हो चुके हैं ? या फिर हरियाणा सरकार में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी होते हुए केंद्र सरकार के द्वारा डॉ योगेंद्र सिंह को कोई विशेष छूट या अनुमति प्रदान कर दी गई जो उन्होंने अपनी मनमानी करते हुए अपने ही स्वास्थ्य विभाग स्वास्थ्य विभाग के मंत्री अनिल विज हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हरियाणा के मुख्य सचिव सहित अन्य अधिकारियों से अपने आप को सुप्रीम पावर मान लिया है, कि जैसा जो भी मन में आएगा बिना किसी उच्च अधिकारी सरकार या केंद्र सरकार के नियम कानून सहित अशोक स्तंभ मैनुअल की अनदेखी करते हुए मनमानी करना अपना अधिकार मान चुके हैं । इस प्रकार के जो प्रमाण पत्र वितरित किए गए , उनमें मुख्य रूप से एंटी करप्शन फाउंडेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय स्तर से लेकर जिला और स्थानीय स्तर के पदाधिकारी सहित दूसरी और भी सामाजिक संस्थाओं के सदस्य शामिल हैं। इन सभी को पटौदी की तहसीलदार श्रीमती रीता ग्रोवर के हाथों अशोक स्तंभ वाले प्रकाशित प्रशंसा पत्र जिन पर के पटौदी एसएमओ डॉक्टर योगेंद्र सिंह के हस्ताक्षर हैं, ऐसे प्रमाण पत्र या प्रशंसा पत्र वितरित करवाए गए हैं । ऐसे में जानकारों का मानना है कि दोनों ही अधिकारियों के द्वारा अशोक स्तंभ मैनुअल और इसके जो सम्मान सहित इस्तेमाल के नियम बने हैं , उनकी जानबूझकर के अनदेखी करते हुए अपराधिक श्रेणी का कृत्य किया गया है ।प्रोटोकॉल की भी की गई अवहेलना 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पटौदी में आयोजित कार्यक्रम में अटेली के एमएलए सीताराम यादव मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। जानकारों के मुताबिक स्वतंत्रता दिवस या फिर गणतंत्र दिवस, ऐसे राष्ट्रीय पर्व हैं इनके लिए जिस स्थान अथवा मंच का इस्तेमाल किया जाता है , ऐसे आयोजन का भी एक प्रोटोकॉल बताया गया है । स्वतंत्र दिवस के मौके पर जिस मंच पर समारोह के मुख्य अतिथि के द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों प्रतिभागी छात्र-छात्राओं या फिर पुलिसकर्मियों सहित अपने अपने क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य करने वाले लोगों को सम्मानित किया जाता है, ऐसे मंच का समारोह संपन्न होने के बाद भी किसी अन्य कार्य के लिए किसी और के द्वारा इस्तेमाल किया जाने का प्रावधान नहीं है । लेकिन 15 अगस्त को पटौदी में जैसे ही मुख्य कार्यक्रम का समापन हुआ , उसके तुरंत बाद पटौदी के एसएमओ डॉ योगेंद्र सिंह और पटौदी की तहसीलदार श्रीमती रिता ग्रोवर के द्वारा संयुक्त रूप से उसी मंच सहित उपलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए स्वास्थ्य विभाग हरियाणा पटौदी गुरुग्राम प्रशंसा पत्र जिस पर अशोक स्तंभ प्रकाशित होने के साथ ही पटौदी के एस एम ओ योगेंद्र सिंह के हस्ताक्षर हैं , इनका एंटी करप्शन फाउंडेशन ऑफ इंडिया सहित अन्य एनजीओ के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को वितरण किया गया। जानकारों के मुताबिक यह कार्य भी पूरी तरह से प्रोटोकॉल की अवहेलना ही माना जा सकता है। Post navigation हरियाणा में 60 लाख घरों पर तिरंगा फहराया: सीताराम आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष पर सांस्कृतिक कार्यक्रम