भाजपा के द्वारा निकाली जा रही है जगह जगह तिरंगा यात्रा
कांग्रेस के द्वारा भी निकाली जा रही है आजादी गौरव पदयात्रा  
हर घर तिरंगा अभियान में बिना तिरंगे दिखी गरीबों की झोपड़ियां
कोरोना काल के समय खूब बांटा था फ्री में मास्क और राशन
झुग्गी झोपड़ी आबादी की आजादी के अमृत महोत्सव में अनदेखी

फतह सिंह उजाला

गुरुग्राम /पटौदी । कोरोना महामारी का दौर और अब आजादी का अमृत महोत्सव। इन दोनों के बीच समय का अधिक अंतर भी नहीं है । लेकिन राजनीतिक दलों और इनके नेताओं किस सोच में आसमान से लेकर पाताल तक का अंतर दिखाई दे रहा है। शायद सच लिखना और हकीकत को सामने लाना सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को बुरा भी लग सकता है । 13 से लेकर 15 अगस्त तक सरकारी स्तर पर आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष पर आजादी का अमृत महोत्सव ,हर घर तिरंगा अभियान के रूप में मनाया जा रहा है ।

लगभग बीते 1 सप्ताह से विशेष रुप से सत्ता पक्ष भारतीय जनता पार्टी और इसके तमाम छोटे से लेकर राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी भारत की आन बान शान तिरंगा झंडा को लेकर सभी जगह प्रचार करते हुए विभिन्न माध्यमों के द्वारा रैलियों का भी आयोजन कर रहे हैं , ऐसा करना भी चाहिए । लेकिन हैरानी इस बात को लेकर है कि तिरंगा अभियान के दौरान अभी तक एक भी ऐसा मामला छायाचित्र फोटो सत्ता पक्ष के नेता का सामने नहीं आ सका है , जिसमें सत्ता पक्ष के नेता , मंत्री, पदाधिकारी किसी स्लम बस्ती या फिर झुग्गी झोपड़ी में पहुंच कर गरीबों को झंडे बांट रहे हो या फिर उनके झोपड़े पर तिरंगा झंडा अपने हाथों से लगा रहे हो। इसी कड़ी में भारतीय जनता पार्टी की हर घर तिरंगा मुहिम के मुकाबले में कांग्रेस पार्टी के द्वारा आजादी गौरव पदयात्रा का आरंभ किया गया है।

पटौदी से ही कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ने की दावेदार महिला नेत्री सुनीता वर्मा के द्वारा एक दिन पहले ही पटौदी क्षेत्र के गांव गदाईपुर से आजादी गौरव पदयात्रा का आगाज किया गया । खास बात यह है कि इस पद यात्रा के दौरान भी इस कांग्रेसी महिला नेत्री के हाथों में और समर्थकों के हाथों में भारतीय गर्व सहित आन बान शान का प्रतीक तिरंगा झंडा ही मौजूद रहा।

ऐसा क्या हुआ कि आजादी के 75 वर्ष के मौके पर ऐसे नेताओं को भी सलम सहित झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले लोग या फिर ऐसा इलाका दिखाई ही नहीं दे रहा है ? लगभग 2 वर्ष पीछे के समय पर गौर किया जाए तो कोरोना कॉल के दौरान भारतीय जनता पार्टी या फिर कांग्रेस पार्टी सहित अन्य संगठनों और इन के पदाधिकारियों सहित नेताओं के द्वारा गरीब बेघर सलाम और झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले लोगों को दिल खोलकर मास्क सहित खाने के लिए राशन बांटा गया, फिर वह चाहे पटरी पर बैठने वाला दुकानदार हो या फिर रहड़ी पर सामान बेचने वाला गरीब आदमी या सफाईकर्मी, पुलिस कर्मी फिर कोई भी झुग्गी झोपड़ी ही क्यों ना हो। पटौदी के एमएलए एडवाकेट जरावता हो या भाजपा के कार्यकर्ता सभी पदयात्रा, रैली करते तिरंगा बांटते दिखाई दे रहे है। लेकिन स्लम और झुग्गी झोपड़ी आबादी के बीच में नजर नहीं आये।

स्वतंत्रता दिवस से 1 दिन पहले विभिन्न स्लम और झुग्गी बस्ती में देखा गया कि न तो वहां कोई तिरंगा देने के लिए गया और ना ही तिरंगा यात्रा को इन गरीबों की बस्ती तक ले जाना जरूरी समझा गया, आखिर यह गरीब भी भारत देश के ही नागरिक हैं । झुग्गी बस्तियों में रहने वाले धनराज , बीना देवी , संतरा, राजू, विशंभर, कालू , मोनिका , अमर , भोली सहित अन्य से बात की गई तो इनके द्वारा जवाब दिया गया कि सड़क के किनारे दौड़ते हुए वाहनों और गाड़ियों में तिरंगे झंडे तो खूब दिखाई दे रहे हैं । लेकिन हमारे पास न तो सरकार की तरफ से और ना ही किसी नेता या पार्टी के तरफ से तिरंगा झंडा दिया गया है ।

हां कुछ बच्चों के द्वारा जिद करने पर उनके द्वारा 50-50 रुपए में तिरंगा झंडा खरीद कर झुग्गियों पर जरूर लगाया गया है । ऐसे में सवाल उठना भी स्वाभाविक है कि स्लम और झुग्गी बस्तियों में रहने वाले अंतिम पायदान के नागरिक या व्यक्ति ही कहे जाते हैं । जब कोरोना महामारी के दौरान ऐसे लोगों को फ्री में मास्क और राशन राजनीतिक दलों सहित नेताओं के द्वारा बांटा गया तो फिर हर घर तिरंगा अभियान हो या आजादी गौरव पदयात्रा ही क्यों ना हो , क्या ऐसे गरीब लोगों को एक तिरंगा देने के लिए भी दिल तंग हो गया ? दावे तो सभी पार्टियों और नेताओं के द्वारा किए जाते हैं कि उनकी नीतियां और नियत गरीबों के हित की है , लेकिन हकीकत कुछ और ही दिखाई दे रही है।