मोदी शासनकाल में अमीर और गरीब के बीच खाई और अधिक गहरी बनी
सभी सरकारी संस्थानों का निजी करण कर पैदा की बेरोजगारी समस्या
भाजपा के पास केवल हिंदू और मुसलमान का ही बचा हुआ एजेंडा
देशभर के किसानोकी एकता के सामने कृषि कानून वापस लेने पड़े

फतह सिंह उजाला
पटौदी । 
आम आदमी पार्टी के नेताओं की मानी जाए तो पीएम मोदी सहित भारतीय जनता पार्टी केवल और केवल किसानों से ही डरी हुई है । देशभर के किसान 1 साल तक दिल्ली सीमा पर शांति से धरना देकर बैठे रह।े किसानों के बीच केंद्र सरकार सहित भाजपा नेताओं ने फूट डालने के अनेक प्रपंच भी रचे।ं लेकिन आखिरकार किसानों की एकता सहित मजबूत इरादों के सामने केंद्र सरकार को झुकते हुए पीएम मोदी के द्वारा काले कृषि कानून वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। बीते 8 वर्ष के दौरान देश के अधिकांश बैंकों में सबसे अधिक डिफाल्टर देश के सबसे बड़े और धनाढ्य पूंजीपति ही हुए हैं । भाजपा सरकार की मेहरबानी से ऐसे लोगों के करोड़ों रुपए के लोन भी माफ किए जा चुके हैं। लेकिन किसानों को भाजपा शासनकाल के दौरान सबसे महत्वपूर्ण एमएसपी नहीं दिया जा रहा है । किसान का 1 किलो गेहूं और पूंजीपति का एक बोतल पानी, दोनों एक ही दाम 20 रूपए बिक रहे है।ं आज हालात यह बन चुके हैं कि भारतीय जनता पार्टी के सामने आम लोगों के बीच जाने के लिए किसी भी प्रकार का कोई एजेंडा नहीं है । जब भी देश की जनता अपने मूलभूत अधिकारों के लिए आंदोलन करती है, ऐसे में भाजपा आंदोलन और आंदोलनकारियों को जाति धर्म वर्ग संप्रदाय के बीच फूट  डालने का पूरा जोर लगाती आ रही है। यह बात आम आदमी पार्टी के किसान विंग के दिल्ली और हरियाणा प्रदेश के संयोजक गजेंद्र सिंह ने हेली मंडी में आम आदमी पार्टी कार्यालय का उद्घाटन किया जाने के मौके पर कही ।

पटौदी के पूर्व एमएलए और राज्य शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन रह चुके रामवीर सिंह को आम आदमी पार्टी के द्वारा दक्षिणी हरियाणा किसान विंग के प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी गई है । इस मौके पर पूर्व एमएलए रामवीर सिंह के अनेक समर्थकों सहित जननायक जनता पार्टी तथा इंडियन नेशनल लोकदल के अनेक पदाधिकारियों के द्वारा आम आदमी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की गई । इस मौके पर मुख्य रूप से आम आदमी पार्टी किसान विंग हरियाणा के प्रभारी शेर प्रताप सिंह, दक्षिणी हरियाणा के संयोजक वीरू सरपंच, सुखबीर तवर, विजय यादव, मनीष मक्कड़, अनु पटौदी, करण सिंह धनखड़ , राजकुमार यादव , करतार नैनवा , अतर सिंह फौजी , वेद प्रकाश रामपुरा,  विजयपाल यादव , रोहतक आम आदमी पार्टी की किसान विंग के कृष्ण हुड्डा सहित अनेक कार्यकर्ता और पदाधिकारी मौजूद रहे ।

बाद में पत्रकारों से बात करते हुए आम आदमी पार्टी किसान विंग के गजेंद्र सिंह और शेर प्रताप सिंह ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार किसानों को एमएसपी देना ही नहीं चाहती है । भारतीय जनता पार्टी और उसके नेताओं के द्वारा आम आदमी का अपनी मूलभूत जरूरत अधिकार तथा महंगाई जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए कोई ना कोई नया भावनात्मक मुद्दा उछालने का सिलसिला चला आ रहा है। किसान नेताओं ने सवाल किया क्या तिरंगा हर घर पर फहराने से आम आदमी की समस्या परेशानियों का समाधान भाजपा के द्वारा संभव है ? आम आदमी के दिल में तिरंगा बसता है और देशभक्त बनने के लिए भारतीय जनता पार्टी के सर्टिफिकेट की देश के नागरिकों को जरूरत भी नहीं है । तीनों सेनाओं में सबसे अधिक किसान और गरीब वर्ग के परिवार के बच्चे ही देश देश की आंतरिक सुरक्षा सहित अन्य सुरक्षा बलों में काम करते हुए आम आदमी के द्वारा चुने गए नेताओं की जान की रक्षा भी कर रहे हैं।

इसी भारतीय जनता पार्टी ने सेना का भी कथित रूप से निजी करण जैसा हाल कर दिया है । देश में जितने भी सरकारी संस्थान एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, उद्योग, बैंक इत्यादि है , ऐसी सभी संस्थाएं धीरे धीरे देश में केवल 2 लोगों को बेचने का काम किया जा रहा है। किसान नेताओं ने सवाल किया जब देश में सब कुछ प्राइवेट हो जाएगा , तो फिर आम आदमी को सरकारी नौकरी कब और कैसे उपलब्ध करवाएगी भारतीय जनता पार्टी, इस बात का भी देश को जवाब देना चाहिए । उद्योगपति अपने प्रोडक्ट की कीमत खुद तय करता है , सरकार चुप रहती है । दूसरी तरफ 12 महीने खेत में काम करने वाला किसान अपनी उपज का जब उचित दाम मांगता है तो केंद्र सरकार न्यूनतम मूल्य कृषि उपज का खुद तय करती है । यह कैसी नीति है ? जिसमें किसान अपनी उपज का दाम खुद तय नहीं कर सकता। किसान आंदोलन के दौरान भारतीय जनता पार्टी और केंद्र की भाजपा सरकार के द्वारा किसानों को देशद्रोही खालिस्तानी और न जाने क्या-क्या कहा गया। किसान अपनी मांगों को लेकर गर्मी सर्दी आंधी तूफान बरसात को झेलते हुए मजबूती से डटे रहे। यही किसान एकता का परिणाम रहा कि पीएम मोदी को देश के किसानों से माफी मांगते हुए तीनों किसी कानून वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ गया।

किसान नेताओं ने बताया कि शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार बिजली पानी यह आम आदमी की मूलभूत जरूरत और अधिकार है । यह सब आम आदमी को निशुल्क मिलना चाहिए । जब सरकार जीएसटी के रूप में प्रत्येक देशवासी से टैक्स वसूल कर रही है, ऐसे में इसी टैक्स के पैसे के बदले यह तमाम सुविधाएं भी आम आदमी को दी जानी चाहिए । उन्होंने कहां की भारत 75 से 80 प्रतिशत गांव में बसता है और यही आबादी खेती और किसानी का काम करती है । अब आम आदमी पार्टी गांव-गांव में पहुंचकर किसानों के बीच नीतियों और किए गए अभी तक के कार्यों से अवगत कराते हुए किसान को अपने साथ जोड़ने का काम आरंभ कर चुकी है । देश में व्यवस्था परिवर्तन के लिए सबसे पहले आप किसानों को जागरूक कर उनको उनकी वोट की ताकत बताते हुए जागरूक करना जरूरी है । किसान नेताओं ने आत्मविश्वास के साथ कहा कि 2024 में आम आदमी पार्टी भाजपा को चुनाव में चुनौती देने के लिए जमीनी स्तर पर अपना काम कर रही है । 2029 के लोकसभा चुनाव होने पर भारत में एक नया राजनीतिक परिवर्तन होना तय है । 20 29 में आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की तरह ही कोई न कोई आम आदमी ही देश का प्रधानमंत्री भी बनेगा।

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