हरियाणा में अन्य सभी दल, नेताओं के शरीर बेशक विपक्ष में है, पर पहले राज्यसभा चुनाव व अब राष्ट्रपति चुनाव ने साबित कर दिया है कि पर्दे के पीछे वे भाजपा-संघ के ही सहयोगी व समर्थक है।
भारतीय प्रजातांत्रिक इतिहास में पहली आदिवासी व दूसरी महिला राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुई है जो भारतीय लोकतंत्र की बहुआयामी मजबूती का प्रतीक है। विद्रोही

22 जुलाई 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने श्रीमती द्रोपदी मुर्मू जी को भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित होने पर हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि वे भारतीय प्रजातांत्रिक इतिहास में पहली आदिवासी व दूसरी महिला राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुई है जो भारतीय लोकतंत्र की बहुआयामी मजबूती का प्रतीक है। विद्रोही ने कहा कि हरियाणा में कांग्रेस के सभी 30 विधायकों ने एकजुट होकर विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवारे यशवंत सिन्हा के पक्ष में मजबूती से मतदान किया जो राष्ट्रपति के परिणामों में परलिक्षित है कि कांग्रेस के सभी वोट विपक्षी उम्मीदवार को मिले। और हरियाणा में अन्य सभी दल, नेताओं के शरीर बेशक विपक्ष में है, पर पहले राज्यसभा चुनाव व अब राष्ट्रपति चुनाव ने साबित कर दिया है कि पर्दे के पीछे वे भाजपा-संघ के ही सहयोगी व समर्थक है। हरियाणा की जनता को भी अब इस सच्चाई को बखूबी से समझ लेना चाहिए कि हरियाणा में केवल कांग्रेस ही विपक्ष है और अन्य सभी नेता, दल प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा के सहयोगी है। 

विद्रोही ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा-एनडीए उम्मीदवार को जहां 64 प्रतिशत मत मिले, वहीं कांग्रेस-विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को 36 प्रतिशत मत मिले। विपक्ष के बिखराव, उसके अंतर्विरोध व मोदी सरकार की जांच एजेंसियों के बेजा दबाव के बाद भी विपरित परिस्थितियोंं में विपक्षी उम्मीदवार को राष्ट्रपति चुनाव में 36 प्रतिशत मत मिलना विपक्ष के लिए एक सकारात्मक संदेश भी है। कांग्रेस-विपक्ष को 2024 में अपनी रणनीति बनाते समय उप-राष्ट्रपति चुनाव के अंतर्विरोध, सत्ता दुरूपयोग से डरने व झुकने वाले विपक्षी नेताओं को चिन्हित करके रणनीति बनानी होगी। विद्रोही ने कहा कि यदि कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष की व्यापक एकता के जंजाल में फंसने व अविश्वसनीय राजनीतिक व्यवहार करने वाली ममता बनर्ती व अरविंद केजरीवाल के बिना अपनी चुनावी व गठबंधन रणनीति बनाये, तभी उसे अच्छी सफलता मिलेगी। अविश्वसनीय व जांच एजेसियों से डरने वाले दलों व नेताओं से मिलकर लोकसभा चुनाव रणनीति बनाने कीे राजनीति अपेक्षित सफलता की बजाय हानिकारक ही सिद्ध होगी।