सरकार का एमएसपी पर कानूनी गारंटी से मुकरना किसानों के साथ विश्वासघात है – दीपेन्द्र हुड्डा

·         किसान आंदोलन में शहीद हुए 700 किसानों की शहादत का सरकार ने उड़ाया मजाक – दीपेन्द्र हुड्डा

·         किसानों के लिये बनी जिस कमेटी में किसान ही नहीं उसका क्या औचित्य है – दीपेन्द्र हुड्डा

·         सरकार द्वारा गठित एमएसपी कमेटी में किसानों को छोड़कर बाकी सब हैं – दीपेन्द्र हुड्डा

·         संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं को बुलाकर उनकी सहमति से एमएसपी की कानूनी गारंटी पर कमेटी का गठन हो – दीपेन्द्र हुड्डा

चंडीगढ़, 20 जुलाई। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार का एमएसपी पर कानूनी गारंटी से मुकरना किसानों के साथ विश्वासघात है। सरकार ने किसान आंदोलन में शहीद हुए 700 किसानों की शहादत का मजाक उड़ाया है और तीन कृषि कानूनों के खिलाफ तथा एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर एक साल से भी ज्यादा समय तक चले उनके संघर्ष का अपमान किया है। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि किसानों के लिये बनी जिस कमेटी में किसान ही नहीं उसका क्या औचित्य है। सरकार द्वारा गठित की गयी एमएसपी कमेटी में किसानों को छोड़कर बाकी सब हैं। उन्होंने मांग करी कि संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं को बुलाकर उनकी सहमति से एमएसपी की कानूनी गारंटी पर कमेटी का गठन हो और किसान आंदोलन के समय सरकार व किसान संगठनों के बीच हुई सहमति के मुताबिक समयबद्ध ढंग से एमएसपी कमेटी के माध्यम से किसानों के मुद्दों को हल किया जाए। 

दीपेन्द्र हुड्डा ने आगे कहा कि देश का किसान सरकार के इस विश्वासघात से दु:खी और रोष में है। एमएसपी की कानूनी गारंटी पर कमेटी बनाने के बदले सरकार ने किसानों को धोखा देकर उनके साथ भद्दा मज़ाक किया है। इतना ही नहीं, सरकार द्वारा गठित कमेटी में एमएसपी की कानूनी गारंटी का कहीं जिक्र तक नहीं है। जबकि, ये कमेटी खास तौर पर MSP की कानूनी गारंटी सुनिश्चित करने के लिए होनी चाहिए और इसकी सिफारिशों को समयबद्ध ढंग से कानूनी तौर पर लागू करने का अधिकार भी मिलना चाहिए। इस कमेटी में ज्यादातर ऐसे लोगों को शामिल किया गया है, जो रद्द हो चुके तीन कृषि कानूनों का लगातार समर्थन करते रहे। सरकार द्वारा बनाई गई 29 की कमेटी में केवल 3 स्थान किसानों के लिए छोड़े बाकी 26 तो वो हैं जो लगातार तीनों कृषि कानूनों की वकालत करते रहे। सरकार ने देश और देश के किसानों की आँखों में धूल झोंकने के लिए सिर्फ सुझाव देने वाली अधिकारहीन समिति बनाकर पल्ला झाड़ने का काम किया है।

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