भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। कांग्रेस के राज्यसभा के उम्मीदवार अजय माकन ने आज डबल धमाका कर दिया। एक तो उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने कार्तिकेय शर्मा और कृष्णलाल पंवार को पार्टी बनाया है। सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि उनका कहना है कि कुलदीप बिश्नोई का जो मत डाला गया है, उसमें बॉक्स से बाहर चिन्ह लगाया गया है लेकिन उसे चुनाव अधिकारी ने मान्य माना है।

दूसरा आज उन्होंने इशारा कर दिया कि कांग्रेस का जो एक वोट कैंसिल हुआ है वह किरण चौधरी का हो सकता है और उन्होंने प्रदेश प्रभारी विवेक बंसल पर भी आरोप लगाए कि कहीं उनकी भी गलती है कि जब वह चुनाव में वोट चैक करने के लिए बैठे थे तो उन्होंने जांच क्यों नहीं की।

इन बातों से एक माह से भी अधिक बीतने के बाद हरियाणा राज्यसभा चुनाव की चर्चा फिर गर्म हो गई है। कार्तिकेय शर्मा जीत का जश्न मना चुके हैं। मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, इनेलो के अभय चौटाला इस जीत का श्रेय भी ले चुके हैं। ऐसी स्थितियों में हाईकोर्ट में याचिका का जाना फिर से राज्यसभा चुनाव की चर्चा को हवा दे देगा।

दूसरा कांग्रेस जो भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कमान मिलने के पश्चात कहा जा रहा था कि सशक्त और एकजुट हो जाएगी, वह बात होती दिखाई दे नहीं रही। कांग्रेस के नेता अब भी अलग-अलग दिखाई दे रहे हैं। प्रश्न यह भी एक माह से बहुत अधिक उछलता रहा है कि कांग्रेस की जो वोट कैंसिल हुई वह किसकी थी? और इतना समय बीतने पर भी उसका खुलासा क्यों नहीं किया गया? इसमें प्रश्न भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर भी उठते हैं, क्योंकि वह विधायक दल के नेता हैं।

अजय माकन राज्यसभा चुनाव तो बेशक हार गए हैं लेकिन स्मरण रहे कि वह राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव भी हैं। बहुत अनुभवी नेता हैं और एक माह की छुट्टी के बाद जब उन्होंने यह कदम उठाया है तो माना जा सकता है कि उन्होंने गहन मंथन और जांच के बाद ही उठाया होगा।

उन्होंने हरियाणा प्रदेश प्रभारी विवेक बंसल की भूमिका पर भी प्रश्न चिन्ह लगाया है। माना जा सकता है कि कि उनकी इस बात पर कांग्रेस हाईकमान हरियाणा कांग्रेस के बारे में फिर से मंथन करे कि उनका फैसला हरियाणा के बारे में कहीं अनुचित तो नहीं।

आपको बता दें कि आज राष्ट्रपति चुनाव हैं। हरियाणा विधानसभा के 88 विधायकों ने मत डाला है। एक विधायक कुलदीप बिश्नोई ने अपना मत दिल्ली में डाला है, जबकि विधायक किरण चौधरी आज देश में नहीं थीं। अत: उनका वोट नहीं पड़ा। 

किरण चौधरी ने अजय माकन के ब्यान पर कहा है कि वह पहले भी कई चुनाव हार चुके हैं तो इस प्रकार बोलना स्वाभाविक ही है। इस पर मैं क्या प्रतिक्रिया दूं।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कमान मिलने के पश्चात कहा था कि दो माह में कांग्रेस संगठन खड़ा हो जाएगा। कुछ कांग्रेसियों द्वारा यह भी माना जा रहा था कि निकाय चुनावों से पहले भी संगठन खड़ा हो सकता है किंतु अभी तक उसका कुछ अता-पता नहीं चल रहा। 

गुरुग्राम की बात करें तो सोहना से भूपेंद्र सिंह हुड्डा के विश्वासपात्र जितेंद्र भारद्वाज को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है किंतु वह अपने क्षेत्र सोहना में भी निकाय चुनाव में कांग्रेसी उम्मीदवार जिताने की बात तो छोड़ो रूचि लेते हुए भी नहीं देखे गए।

अब देखना यह होगा कि निगम चुनाव और पंचायत चुनाव में भी उनकी कोई भूमिका रहेगी या नहीं।

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