हिसार : 13 जुलाई – ग्लोबल वार्मिंग तथा वायु प्रदूषण की समस्याओं से निज़ात पाने के लिए वृक्षारोपण अति आवश्यक है। वृक्षारोपण से न केवल इन समस्याओं का समाधान होगा अपितु इससे पशुओं के लिए चारा, इमारतों व र्इंधन के लिए लकड़ी के साथ-साथ भूमि की गुणवत्ता सुधारने में भी मदद मिलेगी।

यह बात चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने बतौर मुख्यातिथि विश्वविद्यालय के कृषि महाविद्यालय में वनमहोत्सव का शुभारंभ करते हुए कही। उन्होंने कहा वृक्षारोपण करते समय हमें भवनों व संस्थानों के लैंडस्केप के अनुकूल देशज प्रजातियों के बहु-उद्देशीय पौधों का चयन करना चाहिए तथा महत्वपूर्ण अवसरों पर अवश्य पौधारोपण करना चाहिए। इससे लोगों में वृक्षों के प्रति जागरुकता आएगी। यदि हम सभी वृक्षारोपण को अपनी संस्कृति और रोजमर्रा के जीवन में शामिल करलें तो हम पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से अवश्य छुटकारा पा सकेंगे। उन्होंने पौधारोपण में पौधों की विदेशी प्रजातियों के स्थान पर स्थानीय पौधों को महत्व दिए जाने पर बल दिया और कहा कि जैव विविधिता संवर्धन के माध्यम से पारिस्थितकी को बहाल किया जाना चाहिए। उन्होंने इस अवसर पर उपरोक्त महाविद्यालय के लॉन में अमलतास का पौधा रोपित किया। कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय की  लैंडस्केप इकाई के सहयोग से किया गया था।

विद्यार्थियों को टैग दिया गया: पौधारोपण पश्चात करेंगे देखभाल
इस मौके पर कृषि महाविद्यालय के डीन डॉ. एस.के. पाहुजा ने अमलतास के औषधीय महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि महाविद्यालय परिसर में 200 पौधें रोपित किए गए। भविष्य में भी पौधारोपण कार्यक्रम जारी रहेगा और विभिन्न चरणों में करीब 1500 पौधें रोपे जाएंगे। उन्होंने बताया कि आज के कार्यक्रम में जिन विद्यार्थियों ने पौधारोपण किया है उन्हे इन पौधों की देखरेख की पूरी जिम्मेवारी सौंपी गई है और टैग जारी किया गया है जिस पर विद्यार्थी का नाम व रोल नम्बर दिए गए हैं। समय-समय पर इन पौधों की बढ़वार के आधार पर विद्यार्थियों का मूल्यांकन किया जाएगा।

इस अवसर पर ओएसडी डॉ. अतुल ढींगड़ा सहित विश्वविद्यालय के सभी अधिष्ठाताओं, निदेशकों, अधिकारियों, कर्मचारियों व विद्यार्थियों ने पौधे रोपित किए।

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