जब एम्स के लिए किसानों से जमीन खरीदने की प्रक्रिया भी शुरू नही हुई, तब श्रेय लेने के लिए आपस में लठम-लठ्ठा होना समझ से परे है।  विद्रोही
जुलाई 2015 में बावल की सभा में मनेठी में एम्स निर्माण की घोषणा करके तीन साल तक तो मुख्यमंत्री खट्टर जी भूल गए थे कि उन्होंने कभी एम्स बनाने की घोषणा भी की थी जब लोगों ने लगातार सवाल किये तो मुख्यमंत्री ने सितम्बर 2018 में मनेठी एम्स घोषणा को दबाव में कहलावा गया जुमला बता दिया था। विद्रोही

29 जून 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने अहीरवाल के राजनेताओं, सामाजिक संगठनों व आमजनों से अपील की कि वे मनेठी-माजरा एम्स निर्माण का श्रेय लेने के चक्कर में अपनी एकता कमजोर करने व ऊर्जा बर्बाद करने की बजाय पहले एम्स निर्माण के संदर्भ में आ रही सभीे बाधाएं दूर करके कानूनी औपचारिकताएं पूरी करवाये। विद्रोही ने कहा कि जब एम्स निर्माण विधिवत रूप से शुरू हो जाये, तब जो चाहे वह वैसा श्रेय ले। आज श्रेय होड़ बेमानी है। किस बात का श्रेय, क्या एम्स निर्माण की पहली सीढी जमीन की रजिस्ट्रिया एम्स के नाम शुरू हो गई? एम्स को दी जाने वाली माजरा पंचायत की लगभग 75 एकड़ जमीन क्या एम्स के नाम पर स्थानातंरित हो गई? जवाब है नही। जब एम्स के लिए किसानों से जमीन खरीदने की प्रक्रिया भी शुरू नही हुई, तब श्रेय लेने के लिए आपस में लठम-लठ्ठा होना समझ से परे है। 

विद्रोही ने कह कि कटु सत्य यह है कि अहीरवाल में एम्स बने, इसमें राव इन्द्रजीत सिंह की भूमिका को नकारा नही जा सकता है। वहीं यदि एम्स संघर्ष समिति, विभिन्न दलों के राजनेता व सामाजिक संगठन एवं आमजन केन्द्र की मोदी-भाजपा सरकार व हरियाणा की भापजा खट्टर सरकार पर लगातार दबाव नही बनातेे तो मनेठी-माजरा एम्स निर्माण कीे भूमिका नही बनती। जुलाई 2015 में बावल की सभा में मनेठी में एम्स निर्माण की घोषणा करके तीन साल तक तो मुख्यमंत्री खट्टर जी भूल गए थे कि उन्होंने कभी एम्स बनाने की घोषणा भी की थी जब लोगों ने लगातार सवाल किये तो मुख्यमंत्री ने सितम्बर 2018 में मनेठी एम्स घोषणा को दबाव में कहलावा गया जुमला बता दिया था। 

विद्रोही ने कहा कि सितम्बर 2018 में मुख्यमंत्री द्वारा एम्स को दबाव में करवाई गई पूरी नही की सकने वाली घोषणा बताने के बाद अहीरवाल की जनता ने लामबद्ध होकर जो संघर्ष किया व राव व इन्द्रजीत सिंह ने केन्द्रीय मंत्री के नाते जो प्रयास किये, उन सभी एकजुट प्रयासों व संघर्ष के परिणामस्वरूप ही भाजपा सरकार मनेठी-माजरा मेें एम्स बनाने को मजबूर हुई। एम्स निर्माण में पूरे अहीरवाल के लोगों, नेताओं, सामाजिक संगठनों की कम-ज्यादा भूमिका रही है। इसलिए किसी एक को श्रेय देने की बजाय अहीरवाल के सभी पक्षों को सामूहिक श्रेय देने की जरूरत है। विद्रोही ने कहा कि श्रेय के चक्कर में अहीरवाल के लोग न भूले कि अभी मंजिल बहुत दूर है और एम्स निर्माण में अभी तक सभी बाधाएं व कानूनी औपचारिकताएं पूरी करनी बाकी है। सभी पक्ष एकजुटता से एम्स निर्माण के लिए अपना संघर्ष तब तक जारी रखेे जब तक विविधत रूप से एम्स फंक्सनल नही हो जाता। और यदि लोगों ने अपनी एकजुटता तोडी तो दस वर्षो बाद भी मनेठी-माजरा एम्स फंक्सनल नही होगो और केवल कागजों में ही रहेगा। 

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