उपायुक्त को सौंपा ज्ञापनसरकार ने अपने फैसले को वापिस न लिया तो मुंजाल शोवा के श्रमिक राष्ट्रपति से करेंगे इच्छामृत्यु की मांग गुडग़ांव, 28 जून (अशोक): जिले के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में श्रमिक विवादों का समाधान होता दिखाई नहीं दे रहा है। श्रमिक यूनियनें प्रतिष्ठानों के संचालकों पर समय-समय पर आरोप लगाते रहे हैं कि प्रबंधन जानबूझ कर श्रमिकों की समस्याओं का समाधान नहीं करना चाहती। कई प्रतिष्ठानों में श्रमिक विवाद चल रहे हैं। उद्योग विहार स्थित मुंजाल शोवा के श्रमिक प्रबंधन पर आरोप लगाते आ रहे हैं कि प्रबंधन अपनी मनमर्जी से श्रम कानूनों की अवहेलना कर श्रमिकों को जबरदस्ती नौकरी से निकाल रही है। श्रम विभाग भी कंपनी प्रबंधन के इशारे पर काम कर रहा है। मुंजाल शोवा के श्रमिक प्रतिनिधियों ने मंगलवार को श्रमिक संगठन एटक के जिला महासचिव कामरेड अनिल पंवार की अध्यक्षता में उपायुक्त को ज्ञापन भी सौंपा है जिसमें मुंजाल शोवा के श्रमिकों ने उपायुक्त से कहा है कि यदि उनकी समस्याओं का समाधान नहीं निकलता है तो वे सभी परिवार सहित महामहिम राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग करेंगे। कामरेड अनिल पंवार व श्रमिक प्रतिनिधियों सुरेंद्र कुमार, राजेश, श्यामलाल, विजय गुलाटी आदि का कहना है कि पिछले 25-30 वर्षों से कार्यरत श्रमिकों को कंपनी संचालक विभिन्न बहाने बनाकर नौकरी से निकालते आ रहे हैं। प्रतिष्ठान से श्रमिकों को निकालने के मामले को लेकर श्रम विभाग में प्रबंधन द्वारा चुनौती दी गई थी, जिसे इस वर्ष फरवरी माह में श्रम विभाग द्वारा नामंजूर कर दिया गया था। प्रबंधन ने इस मामले को दोबारा श्रम विभाग में उठाया। जिस पर इस बार श्रम विभाग ने प्रबंधन के आग्रह को मान लिया है। इस निर्णय से श्रमिकों में रोष व्याप्त होता जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाए हैं कि प्रबंधन पुराने श्रमिकों को किसी न किसी तरीके से नौकरी से निकालने पर आमादा है। उनका कहना है कि यदि प्रबंधन ने पुराने श्रमिकों को नौकरी से निकालना शुरु कर दिया तो श्रमिकों के सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो जाएगी। वे अपने परिवार का कैसे पालन-पोषण करेंगे। बढ़ती उम्र के चलते उन्हें कौन रोजगार देगा। श्रमिक नेताओं का कहना है कि एक ओर तो सरकार रोजगार दिलाने की बात कर रही है, वहीं प्रतिष्ठानों की मांग को सरकार स्वीकार कर रही है कि प्रबंधन अपने हिसाब से श्रमिकों को नौकरी से निकाल दें। इस प्रकार तो बेरोजगारी और बढ़ेगी ही। श्रमिक प्रतिनिधियों का कहना है कि जब उनका रोजगार ही नहीं बचेगा तो वे जीकर क्या करेंगे। इसलिए सभी श्रमिक अपने परिवार सहित महामहिम राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की मांग करेंगे। उधर अनिल पंवार का कहना है कि सरकार अपने गलत फैसले को तुरंत वापिस ले, अन्यथा सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरु कर दिया जाएगा और इस सबकी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार व प्रबंधन की ही होगी। Post navigation हरियाणा के कलाकारों के लिए प्रदेश सरकार की नई पहल लिपिकों के द्वारा एक दिन की सांकेतिक भूख हड़ताल