बिना सोचे-समझे मिल्ट्री रिफॉर्म लागू ना करे सरकार, अग्निपथ पर करे पुनर्विचार- हुड्डा भारत जैसे देश के लिए कारगर नहीं है अग्निपथ जैसी योजना- हुड्डा केंद्र की अग्निपथ और प्रदेश सरकार की कौशल निगम योजना, तर्कहीन- हुड्डा 16 जून, चंडीगढ़ः पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि अग्निपथ योजना ना देशहित में है और ना ही युवाओं के हित में। क्योंकि इस योजना के तहत भर्ती होने वाले 75 प्रतिशत युवाओं का भविष्य अंधकार में चला जाएगा। हुड्डा ने कहा कि आज 18 साल की उम्र से फौज की भर्ती शुरू हो जाती है और 15 साल की नौकरी के बाद जवान पेंशन के साथ रिटायरमेंट आता है। लेकिन अग्निपथ योजना के तहत 17 साल की उम्र में भर्ती हुआ जवान बिना पेंशन के 21 साल की उम्र में रिटायरमेंट आ जाएगा। इसी तरह 21 साल की उम्र में भर्ती हुआ जवान 25 साल की उम्र तक रिटायर हो जाएगा। लेकिन, उसके बाद वो क्या करेगा, इसका जवाब सरकार के पास नहीं है। हुड्डा ने समझाया कि सरकार का यह फैसला तकनीकी तौर पर भी गलत है। उन्होंने रूस की सेना का उदाहरण देते हुए बताया कि आज की तारीख में रूस के सशस्त्र बल में तमाम जवान अधिकारी रैंक पर हैं, उनमें कोई सिपाही नहीं है। क्योंकि सारा काम तकनीकी है। इस तकनीक को सीखने के लिए वर्षों लग जाते हैं। 4 साल की नौकरी के दौरान चंद महीने की ट्रेनिंग में यह संभव नहीं है। इसी तरह आर्टलरी,आर्म्ड, इन्फेंट्री और कॉमबैट फोर्सेज नियुक्ति के लिए भी यह समय सीमा बहुत कम है। पैराट्रुपर्स जैसे अनेक विशेष दल के लिए तो ट्रैनिंग की मियाद बहुत लंबी होती है। ऐसे में कम समय के लिए नियुक्ति पाने वाले युवा इस तरह की विशेषज्ञता हासिल नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि आर्मी रिफॉर्म्स जरूरी हैं लेकिन यह बहुत सोच-समझकर अपनाए जाने चाहिए। इनका सिर्फ एक पहलू देखकर इन्हें लागू नहीं किया जा सकता। हुड्डा ने समझाया कि 4 साल के लिए सेना में भर्ती जैसी योजनाएं उन देशों के लिए तो सही है जिन देशों का किसी अन्य देश के साथ टकराव नहीं है। या फिर जिस देश की जनसंख्या बहुत कम है और वहां के लोग सेना में भर्ती नहीं होना चाहते। लेकिन, भारत जैसे विशाल देश में, जहां पाकिस्तान और चीन जैसे देशों के साथ टकराव की स्थिति बनी रहती है, वहां अग्निपथ जैसी योजना कारगर साबित नहीं होगी। हुड्डा का कहना है कि इस योजना के खिलाफ पूरे देश और खासकर हरियाणा के युवाओं में बहुत रोष है। क्योंकि हरियाणा के युवाओं में सेना के प्रति सबसे ज्यादा रुझान देखने को मिलता है। लेकिन पिछले 3 साल से सेना की कोई भर्ती नहीं हुई। ऊपर से प्रदेश के युवा पूरे देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी झेल रहे हैं। लेकिन हरियाणा सरकार ने भी युवाओं को रोजगार देने के बजाय उन्हें कौशल निगम जैसी ठेका प्रथा के हवाले कर दिया। हुड्डा ने कहा कि एक तरफ राज्य सरकार की कौशल निगम और दूसरी तरफ केंद्र की अग्निपथ योजना हरियाणा के युवाओं के लिए इधर कुआं, उधर खाई वाली स्थिति है। भयंकर बेरोजगारी के बीच ऐसी योजनाएं युवाओं के जख्मों पर नमक की तरह काम करती हैं। यही वजह है कि युवा इनके विरोध में सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर हैं। सरकार को इसपर फौरन पुनर्विचार करना चाहिए। Post navigation देश की सुरक्षा व युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ बंद करे सरकार, अग्निपथ योजना को ले वापिस- दीपेंद्र हुड्डा “समाज में बढ़ता नशा, पुलिस, सरकार और पत्रकारों के लिए चुनौती” विषय पर एम डब्ल्यु बी की संगोष्ठी 19 जून को यमुनानगर में : नरेश उप्पल