‘वन रैंक, वन पेंशन’ का नारा देने वालों ने अब ‘नो रैंक, नो पेंशन’ का दिया नारा- दीपेंद्र हुड्डा
गरीब, किसान, मध्यम वर्गीय और ग्रामीण परिवारों के बच्चों पर सीधा प्रहार है अग्निपथ योजना- दीपेंद्र हुड्डा
देश की सुरक्षा पर राजनीति नहीं, राष्ट्रनीति अपनाए सरकार- दीपेंद्र हुड्डा
पूरे देश को ठेके पर चलाने की योजना बना रही है सरकार- दीपेंद्र हुड्डा
करोड़ों नौजवानों की देशभक्ति की भावना को सरकार ने पहुंचाई ठेस- दीपेंद्र हुड्डा
पहले किसानों के लिए किया संघर्ष, अब जवानों के लिए करेंगे संघर्ष- दीपेंद्र हुड्डा

16 जून, चंडीगढ़। सेना भर्ती के लिए लाई गई ‘अग्निपथ योजना’ देश की सुरक्षा के लिए घातक सिद्ध हो सकती है। ये योजना ना देश के हित में है और ना ही भर्ती होने वाले युवाओं के हित में। ये कहना है राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा का। सांसद दीपेंद्र ने अग्निपथ योजना को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि सिर्फ 4 साल के लिए भर्ती देश की सेना, युवाओं के भविष्य व सेना के प्रति उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ है।

सांसद ने कहा कि पिछले 3 साल से लाखों युवा सेना भर्ती का इंतजार कर रहे हैं। संसद में उनके सवाल का उत्तर देते हुए सरकार ने बताया था कि सेना में करीब डेढ़ लाख पद खाली पड़े हैं। उन पदों को भरने की बजाए सरकार ठेके पर भर्ती की तरफ कदम बढ़ा रही है। पिछले कुछ सालों में लगभग हर सरकारी महकमे की नौकरियों को खत्म करने के बाद अब सरकार की टेढ़ी नजर सेना पर भी पड़ गई है। ऐसा लगता है मानो सरकार पूरे देश को ठेके पर चलाना चाहती है। ‘वन रैंक वन पेंशन’ का नारा देने वाले अब ‘नो रैंक, नो पेंशन’ का नारा दे रहे हैं।

दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि देश की सुरक्षा बहुत ही गंभीर विषय है क्योंकि हमारे एक तरफ पाकिस्तान और दूसरी तरफ चीन बैठा है। ऐसे विषय पर सरकार को राजनीति नहीं करनी चाहिए बल्कि उसे ‘राष्ट्रनीति’ अपनानी चाहिए। देश की सुरक्षा के मसले पर एकराय बनाने के लिए उसे संसद में सेना भर्ती पर विस्तार से चर्चा करवानी चाहिए। इस तरह के फैसले लेने से पहले उसे उन युवा के बारे में सोचना चाहिए जो बरसों से सेना भर्ती का इंतजार कर रहे हैं। इस इंतजार में निराशा के चलते युवा आत्महत्या जैसे दर्दनाक कदम उठा रहे हैं।

सांसद ने कहा कि अग्निपथ योजना सीधे तौर पर गरीब, किसान, मध्यम वर्गीय और ग्रामीण परिवारों के बच्चों पर प्रहार है। क्योंकि, ज्यादातर इन्हीं परिवारों के बच्चे अपनी शारीरिक योग्यता के बल पर सेना की सरकारी नौकरी पाते थे। लेकिन अब सरकार ने इन परिवारों के बच्चों से यह मौका भी छीन लिया।

राज्यसभा सांसद ने भिवानी के तालू निवासी पवन का जिक्र करते हुए कहा कि भर्ती के लंबे इंतजार ने एक होनहार युवा को आत्महत्या जैसा कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया। सरकार को समझना चाहिए कि सेना के प्रति देश के युवाओं की भावना कितनी पवित्र है। सरकार ने उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचायी है, इसलिए पूरे देश के युवा आज सड़कों पर हैं।

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि अग्निपथ योजना के तहत बाहरवीं क्लास के तुरंत बाद युवा सिर्फ 4 साल के लिए सेना में भर्ती हो सकेंगे। लेकिन, क्या सरकार के पास इस सवाल का जवाब है कि 4 साल के बाद वो युवा क्या करेंगे? क्योंकि पढ़ने-लिखने वाली 17-18 साल की उम्र में अगर युवा सेना में भर्ती हो जाएंगे तो वो आगे की पढ़ाई कैसे पूरी कर पाएंगे और जिस नौकरी के लिए वो पढ़ाई छोड़ेंगे, 4 साल बात उन्हें वो नौकरी भी छोड़नी पड़ेगी। इस तरह युवा ना इधर के रहेंगे और ना ही उधर के।

सांसद ने कहा कि मौजूदा सरकार युवाओं को सुरक्षित भविष्य और रोजगार देने में पूरी तरह नाकाम है। इसी के चलते पहले 2 करोड़ रोजगार का जुमला उछालने वाली सरकार अब 10 लाख नौकरियां देने की बात कर रही है। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि 10 लाख नौकरियों का झूठा सपना दिखाने की बजाए सरकार सेना में डेढ़ लाख सच्ची व पक्की भर्तियां करे। सरकारी लेटलतीफी के चलते जो युवा ओवरएज हो गए हैं उन्हें कम से कम 3 साल की रिलेक्शेसन दी जाए। अगर सरकार ने यह मांग नहीं मानी वो युवाओं के लिए संघर्ष करने को तैयार हैं। जिस तरह पहले किसानों के लिए संघर्ष किया था, उसी तरह अब जवानों के लिए भी संघर्ष का रास्ता अपनाया जाएगा।

error: Content is protected !!