‘‘टूर ऑफ ड्यूटी’’ प्लान युवाओं के भविष्य और देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा दोनों के साथ खिलवाड़: अभय सिंह चौटाला

‘‘टूर ऑफ ड्यूटी’’ प्लान के तहत युवाओं को फौज में सिर्फ चार साल के लिए भर्ती किया जाएगा और फिर उन्हें हटा दिया जाएगा
सैनिक हथियारों के उपयोग में प्रशिक्षित होंगे वो चार साल बाद बेरोजगार होने से देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं
देश का वित्तीय भार खत्म करना है तो बजाय  ‘‘टूर ऑफ ड्यूटी’’ प्लान लागू करने के भाजपा सरकार को सभी लोकसभा एवं राज्यसभा सांसदों और विधायकों की पेंशन खत्म कर देनी चाहिए
केंद्र की भाजपा सरकार को अपने इस सैनिक विरोधी फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए और ‘‘टूर ऑफ ड्यूटी’’ प्लान को तुरंत वापिस लेना चाहिए और सेना में बंद पड़ी नियमित भर्ती तुरंत शुरू होनी चाहिए

चंडीगढ़, 13 जून: इनेलो के प्रधान महासचिव एवं ऐलनाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला ने केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा लाया जाने वाला ‘‘टूर ऑफ ड्यूटी’’ प्लान को फौज में नौकरी करने की चाहत रखने वाले युवाओं के भविष्य और देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा दोनों के साथ खिलवाड़ बताते हुए कहा कि ‘‘टूर ऑफ ड्यूटी’’ प्लान के तहत युवाओं को फौज में सिर्फ चार साल के लिए भर्ती किया जाएगा और फिर उन्हें हटा दिया जाएगा फिर वो न घर के रहेंगे न घाट के। चार साल की पिछली सेवा को वेतन और बाद में क्रमिक पेंशन के लिए नहीं गिना जाएगा।

‘‘टूर ऑफ ड्यूटी’’ प्लान अगर लागू हो जाता है तो अचानक युद्ध छिड़ने की परिस्थिति में ये सैनिक युद्ध में भाग लेने से कतराएंगे क्योंकि तीन साल की नौकरी के लिए अपनी जान दांव पर नहीं लगाएंगे। ये सैनिक किसी भी रेजिमेंट में जा सकेंगे जिसके कारण जिस कौमी नारे और निशान से फौजें लड़ती हैं वह भी खत्म कर देंगे। रक्षा सेवा के लिए इस योजना का दूसरा हिस्सा यह है कि रेजिमेंटल सिस्टम, जहां लड़ाकू हथियार इकाइयां वर्ग के आधार पर आधारित हैं, को समाप्त कर दिया जाएगा। सैनिक हथियारों के उपयोग में प्रशिक्षित होंगे वो चार साल बाद बेरोजगार होने से देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं।

विडंबना यह है कि डिफैंस अफसर और जेसिओ पर यह प्लान लागू नहीं होगा जबकि सैनिकों की तादाद 85 प्रतिशत है और सैनिक ही युद्ध में पहली पंक्ति में तैनात होकर लड़ता है। इस भव्य प्रस्ताव को अगर लागू करना है तो डिफैंस अफसर, जेसिओ, सिविल सेवाओं, पुलिस और सीओओ पर भी लागू करना चाहिए। देश का वित्तीय भार खत्म करना है तो बजाय ‘‘टूर ऑफ ड्यूटी’’ प्लान लागू करने के भाजपा सरकार को सभी लोकसभा एवं राज्यसभा सांसदों और विधायकों की पेंशन खत्म कर देनी चाहिए।

  फौजी नाम, नमक और निशान के साथ उनकी यूनिट के युद्ध के नारे पर केंद्रित होकर जीते हैं। लगभग दो शताब्दियों के कठिन परिश्रम और बलिदान के बाद भारतीय सेना की वर्ग इकाइयां अपने वर्तमान मानकों पर पहुंच पाई हैं इसलिए केंद्र की भाजपा सरकार को अपने इस सैनिक विरोधी फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए और ‘‘टूर ऑफ ड्यूटी’’ प्लान को तुरंत वापिस लेना चाहिए और सेना में बंद पड़ी नियमित भर्ती तुरंत शुरू होनी चाहिए।

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